अगर आप घर में सुरक्षित सब्जी व मसालों का उपयोग करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप अपने घर में ही सब्जी व मसालों की खेती करना शुरू कर दें. इस तरह आप खेती करना भी सीख जाएंगे, साथ ही सुरक्षित सब्जी व मसालों का इस्तेमाल भी कर पाएंगे, जो कि सेहत के लिए बहुत जरूरी है. ऐसे में आप माइक्रोग्रीन्स की खेती (Microgreens Farming) कर सकते हैं. यह घर में आराम से की जा सकती है.
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च की मानें, तो घरों में माइक्रोग्रीन्स (Microgreens) उगाना बहुत आसान होता है. इसकी फसल 1 से 2 सप्ताह में तैयार हो जाती है. यह सफल खेती गांव या शहरी घरों के सीमित जगह में की जा सकती है, जो कि शारीरिक और मानसिक, दोनों के लिए बहुत अच्छी है. आइए आपको बताते हैं कि आप घर में माइक्रोग्रीन्स कैसे उगा सकते हैं, लेकिन उससे पहले जान लें कि माइक्रोग्रीन्स (Microgreens) क्या है और इसमें कौन-से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
क्या है माइक्रोग्रीन्स
यह छोटे-छोटे ऐसे पौधे होते हैं, जिनमें केवल पत्तियां आती हैं. यानी अंकुरित होने के बाद जब तना, पत्तियां विकसित होते हैं, तब उनकी लंबाई 4 से 5 इंच होती है. ऐसे पौधों को अधिक रख-रखाव की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि यह कम समय में उग आते हैं. बस इन्हें थोड़ी सी धूप, पानी, रोशनी, हल्की मिट्टी और पत्तियों की खाद की जरूरत होती है.
माइक्रोग्रीन में पोषक तत्व
इसमें विटामिन सी, विटामिन के और एंटीऑक्सिडेंट जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. अच्छी बात यह है कि आप माइक्रोग्रीन घर की रसोई में मौजूद चीज़ों की मदद से जल्दी और आसानी से उगा सकते हैं. ध्यान दें कि बीजपत्र पत्तियों के अंकुरण के बाद यानी पहले या दूसरे पत्ते के बाद माइक्रोग्रीन(Microgreens) को उगाया जा सकता है.
माइक्रोग्रीन के लिए बीज चुनना
आपको घर की रसोई में मसालेदानी से धनिया, सौंफ, सरसों, मेथी और तुलसी के बीज आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे. आप इनसे बहुत आसानी से माइक्रोग्रीन्स उगा सकते हैं. इसके लिए आप सूखे मटर, मूंग और सूरजमुखी के बीज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर आपके पास ब्रोकोली, मूली, पालक, चुकंदर और काएल के बीज हैं, तो और भी अच्छा होगा.
माइक्रोग्रीन के लिए कंटेनर चुनना
माइक्रोग्रेन्स (Microgreens) फ्लैट ट्रे में उगाए जाते हैं, जो कि 2 इंच तक मिट्टी पकड़ सकते हैं. अगर आपके पास इस तरह की ट्रे नहीं है, तो इसकी जगह आप इस्तेमाल न किए जाने वाली चीज़ को रीसायकल करके इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कि आप जूते का बॉक्स या डलिया का इस्तेमाल कर सकते हैं. ध्यान रखें कि कंटेनर में जल निकासी छेद होना चाहिए, ताकि अतिरिक्त पानी बाहर निकाला जा सके. इस तरह पौधों के सड़ने की स्थिति नहीं बनती है.
माइक्रोग्रीन कैसे उगाएं
अगर आप माइक्रोग्रीन्स (Microgreens) उगाना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा माध्यम आवास परिसर के भीतर उपलब्ध कोको पीट और उपजाऊ मिट्टी का सही मिश्रण है. अगर मिट्टी नहीं है, तो आप कुछ टिशू पेपर भी ले सकते हैं. इसके लिए टिशू पेपर को एक के ऊपर एक रखना होगा और फिर सुनिश्चित करना होगा कि वे अंकुरित होने के लिए पर्याप्त रूप से नम हैं या नहीं.
माइक्रोग्रीन के लिए सब कुछ व्यवस्थित करें
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सबसे पहले कंटेनर में मिट्टी को लगभग डेढ़ से दो इंच मोटा फैला लें.
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फिर बीज को मिट्टी या नम टिशू पेपर पर फैलाएं.
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ट्रे या कंटेनर को अख़बार से कवर कर लें.
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अब इसे ऐसी जगह पर रख दें, जहां सीधी धूप न आती हो. इस तरह बीज अंकुरित हो जाएंगे और यह नमी भी न खोते हैं,
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इसके बाद कंटेनर को दिन में 2 बार पानी से स्प्रे कर दें.
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तीसरे या चौथे दिन, जब पत्तियां दिखाई देने लगे, तब आप उन्हें सूर्य की रोशनी में ला सकते हैं. ध्यान रहे कि इसके लिए अप्रत्यक्ष सूर्य का प्रकाश होना चाहिए, ताकि छोटे पत्ते जलें या सूखें नहीं.
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इसके लिए रसोईघर की खिड़की वाली जगह सही रहती है.
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माइक्रोग्रीन्स पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए.
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इसके बाद नौवें या दसवें दिन माइक्रोग्रीन्स की कटाई कर सकते हैं.
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आपको कटाई के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहिए, क्योंकि देरी करने से उनका स्वाद बदल सकता है और उन्हें कड़वापन आ सकता है.
इन बातों का रखें खास ध्यान
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किसी भी तरह के केमिकल से उचारित बीजों का उपयोग न करें.
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अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी का उपयोग करें, जो किसी भी तरह के केमिकल से मुक्त हो.
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माइक्रोग्रीन में ज़रूरत से ज़्यादा पानी न डालें.
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कंटेनर में जल निकासी छेद रखें.