मक्का एक प्रमुख खाद्य फसल है जो कि मुख्य रूप से मोटे अनाजों की श्रेणी में आती है. बुवाई से लेकर उसके परिपक्व होने तक, मक्का में विभिन्न कीटों का प्रकोप पाया जाता है. सही समय पर इनकी पहचान तथा हानिकारक अवस्था का पता करके इनका नियंत्रण करने से अत्यधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है. मक्का में लगने वाले कीट एवं उनकी पहचान चिन्ह निम्न प्रकार से है –
तना भेदक (Stem Borer)
लगभग पूरे देश मक्का में तना भेदक का लार्वा बहुत हानिकारक माना जाता है. इसके वयस्क पत्तियों पर अंडे देते हैं व इनसे निकली सूंडी तने में प्रवेश कर पौधे को हानि पहुँचाती है. बुवाई के 25-30 दिन पश्चात् मक्का में इसके विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता प्रबल हो जाती है तथा डेड हार्ट (मृत केन्द्रक) का निर्माण होता है. इसके अंडे चपटे, अंडाकार व पीले रंग के होते हैं. मादा द्वारा 15-20 के समूह में अंडे दिए जाते है. इनका लार्वा पीले से भूरे रंग का होता है, जिस पर 4 भूरे रंग की धारिया तथा गहरे भूरे रंग के धब्बे होते हैं. इसका वयस्क पतंगे के रूप में जिनकी अग्र पंख गहरे भूरे रंग के होते हैं जिस पर धारियाँ पाई जाती हैं.
सफेद लट (White grub)
सफ़ेद लट्ट के अंडे छोटे, गोलाकार व सफेद रंग के होते हैं, जो हैचिंग से ठीक पहले काले हो जाते हैं. इनके लार्वा लार्वा एक सी-आकार के शरीर, भूरे रंग के सिर और तीन जोड़ी पैरों के साथ सफेद होती है. वयस्क भृंग अधिकांश पीले से गहरे लाल-भूरे तथा काले, मजबूत व चमकदार होते हैं. यह कीट जड़ों को नुकसान पहुँचता है व मक्का के खेत में फसल की असमान वृद्धि इस कीट के प्रकोप को दर्शाती है.
मोयला (Aphid)
नीले-हरे रंग से लेकर काले रंग का होता है. मुख्य रूप से मक्का के विभिन भागों से रस चूसता है. अतिरिक्त द्रव्य को चिपचिपा शहद के रूप में स्रावित करता है जो चींटियों को आकर्षित करता है. भारी आक्रमण से पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और तनाव से पत्तियां लाल या पीली होकर सिकुड़ कर मर जाती हैं.
कॉर्न भेदक (Crown Borer)
इसके अंडे शुरुआती समय में हरे तथा कुछ समय पश्चात् पीले हो जाते हैं. लार्वा का सिर हल्का भूरा होता है जिस पर एक सफेद जाल की तरह पैटर्न पाया जाता है. शरीर भूरा, हरा कभी-कभी पीला या काला होता है. आमतौर पर लार्वा के ऊपर की ओर एक हल्के पीले रंग की चैड़ी गहरी पट्टी होती है व नीचे सफेद धारी होती है. वयस्क पतंगों के अग्र पंख आमतौर पर पीले भूरे रंग के होते हैं और अक्सर केन्द्र में एक धब्बा पाया जाता है, वहीं पिछले पंख हलके पीले व सफ़ेद रंग के होते हैं. यह अक्सर भूट्टे के सिरे पर पाया जाता है लेकिन धीरे-धीरे दानों को खाते हुए नीचे की ओर जाता है. इसके अतिक्रमण से फफूंद के लिए एक आदर्श वातावरण तैयार हो जाता है और फसल की गुणवत्ता कम हो जाती है.
फॉल आर्मीवर्म (Fall Army Worm)
अन्तिम अवस्था की सूँडी के सिर पर उल्टे V आकार का हल्के रंग का चिन्ह एवं शरीर पर काले धब्बे होते हैं. सूंडी के शरीर के पृष्ठीय सतह पर उभरे हुए स्पॉट होते हैं, जो गहरे रंग के व उन पर रोएं होते हैं. विकसित हो रही सूंडी गहरे भूरे रंग की एवं शरीर दानेदार होता है.
पिंक तना भेदक (Pink stem borer)
यह विशेष रूप से रबी फसल के दौरान पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देता है. इसकी सूंडी तने में प्रवेश कर मक्के को नुकसान पहुँचाती है. फलस्वरूप तने में डेड हार्ट (मृत केन्द्रक) का निर्माण होता है.
मक्का में समन्वित कीट प्रबन्धन (Integrated Pest Management in Maize crop)
-
गर्मी में खेत की गहरी जुताई करनी लाभकारी होती है.
-
दालों के साथ इंटर-क्रॉप करने से भेदक की रोकथाम में मदद मिलती है- मक्का-सोयाबीन, मक्का-चावल / मक्का-चना इसके कुछ अच्छे उदाहरण हैं.
-
अच्छी तरह से विघटित खाद का उपयोग दीमक के प्रकोप को कम करती है.
-
खरीफ में 75 से.मी. X 18 से.मी. और रबी में 60 से.मी. X 18 से.मी. की दूरी पर पौधे लगाने की सलाह दी जाती है.
-
डेड हार्ट को हटाने से दूसरी पीढ़ी के संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है.
-
वयस्क कीटों के विनाश से कीट आबादी को कम कर सकते हैं.
-
फेरोमोन ट्रैप का उपयोग 5/हेक्टेयर लाभकारी होता है.
-
नीम केक 200 किलोग्राम/हेक्टेयर उपयोग करें.
-
कीट नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप का उपयोग करना चाहिए.
-
7-10 ट्राईकोकार्ड/हेक्टेयर पत्तियों की निचली सतह पर अंकुरण के 7-15 दिनों के अंतराल पर पिन से चिपकायें.
-
मोयला के प्रभावी नियंत्रण हेतु मक्का के खेत में लेडी बर्ड बीटल का संरक्षण किया जाना चाहिए.
-
ट्राईकोग्रामा को 50,000.00 प्रति एकड़ की दर से एक सप्ताह के अन्तराल पर मक्का की फसल में छोडें.
-
मेटाराइजियम एनीसोपिली की 5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर मक्का की फसल की बुवाई के 15-25 दिन बाद तने में उपयोग करें.
-
जब फसल में 5 प्रतिशत नुकसान हो तब एजाडिरेक्टिन 1500 पी.पी.एम. की 5 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें.
-
बीजोपचार के लिए सायन्ट्रानिलिप्रोल 8 प्रतिशत़ और थायमिथोक्जाम 19.8 प्रतिशत मिश्रण की 4 मि.ली. प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार कर बुवाई करने से फसल में शुरू के 2 से 3 सप्ताह तक इस कीट का आक्रमण नहीं होगा.
फसल मे इस कीट से 10 से 20 प्रतिशत नुकसान होने पर, इमामेक्टिन बेन्जोएट की 4 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पाईनोसेड की 0.3 मि.ली. प्रति लीटर पानी या थायमिथोक्जोम 12.6 प्रतिशत लेम्डासायहेलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत की 0.5 मि.ली. प्रति लीटर या क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोल की 0.3 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.