टमाटर एक ऐसी सब्जी है जो गर्म जलवायु में ही उगाई जाती है परंतु इसकी खेती ज्यादातर ठंडे मौसम में की जाती है. इसके सफल उत्पादन हेतु इसका तापमान 21 से 23 डिग्री अनुकूल माना गया है. लेकिन अगर हम बात करें, इसके व्यापारिक स्तर कि तो उसके लिए इसका सफल उत्पादन 18 से 27 डिग्री तापमान तक होता है.
यह एक ऐसी सब्जी है जिसके अंदर सूखा सहने की अधिक क्षमता होती है. परन्तु अगर हम इसकी फसल में ज्यादा सूखे के बाद तुरंत ही सिंचाई कर दें तो एक दम से पानी मिलने की वजह से इसका फल धीरे -धीरे फटने लग जाता है और इसके फूल के तने गलने लगते है. इसका तापमान ज्यादा या फिर एक दम से कम होने पर बीजों का अंकुरण कम हो जाता है.
जिस कारणवश फसल की बढ़वार कम हो जाती है और फल कमजोर हो कर गिरने लगता है और झुलस जाता है. उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों की मृदु जलवायु अंकुरण, पादप वृद्धि, फल के निर्माण, फलों के विकास और पकने के लिए उचित माना गया है. लेकिन ज्यादा बारिश होने के कारण फूल झड़ने की समस्या हो जाती है. जिस कारण इसकी उपज में भारी कमी आती है. यह फसल अच्छी धूप वाले जगहों पर सही तरह पकती है.
टमाटर की फसल के लिए भूमि का चयन (Land Selection for tomato crop)
इसे अलग-अलग प्रकार की मृदाओं (मिट्टियों) में उगा सकते है. इसके लिए रेतीली दोमट से चिकनी काली कपासीय मृदा और लाल मृदा उचित मात्रा में जल निकास वाली होनी चाहिए. हालांकि, रेतीली दोमट मृदा (मिट्टी ) में जैविक पदार्थ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते है. जिस वजह से यह इस फसल की पैदावार के लिए अच्छी मानी जाती है.
टमाटर की उन्नत किस्में (Advanced Varieties of tomatoes)
अगर हम टमाटर की उन्नत किस्मों की बात करें तो इसमें कई किस्में आती है. जैसे - अर्का सौरभ, अर्का विकास, ए आर टी एच 3, ए आर टी एच 4, अविनाश 2, बी एस एस 90, को. 3, एच एस 101, एच एम 102, एच एस 110, सिलेक्शन 12, हिसार अनमोल (एच 24 ), हिसार अनमोल (एच 24 ) हिसार अरुण (सिलेक्शन 7 ), हिसार लालिमा (सिलेक्शन 7 ), हिसार लालिमा (सिलेक्शन 18 ), हिसार ललित (एन टी 8 ) कृष्णा, के एस 2, मतरी, एम.टी एच 6 ), एन ए 601, नवीन, पूसा 120, पंजाब छुहारा (ई सी 55055 X पंजाब ट्रोपिक), पंत बहार, पूसा दिव्या, पूसा गौरव, पूसा संकर 1, पूसा संकर 2, पूसा संकर 4, पूसा रुबी, पूसा शीतल, पूसा उपहार, रजनी, रश्मी, रत्न, रोमा और रुपाली आदि.
टमाटर की बुवाई (Tomato Sowing)
हमारे देश में उत्तरी मैदानों में शरद एवं बसंत ऋतू में आमतौर पर दो फसलें ली जाती है. अगर हम बात करें, दक्षिणी भारत की तो वहां तीन फसलें ली जाती है. जिनकी बुवाई जून - जुलाई, अक्टूबर - नवंबर और जनवरी - फरवरी में होती है. जबकि पंजाब में केवल बसंत से ग्रीष्म ऋतु मौसम की फसल ली जाती है.क्योंकि शरद ऋतू में लीफ कर्ल मोजैक ज्यादा मात्रा में लगता है.
टमाटर की फसल के लिए खाद एवं उर्वरक (Manures and Fertilizers for Tomato Crop)
टमाटर की फसल की ज्यादा पैदावार के लिए इसकी फसल में 100 किलो नाइट्रोजन के साथ 60 किलो स्फूर एवं 60 किलो पोटाश की जरूरत प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है. इसके साथ ही संकर जातियों के लिए 213 किलों नाइट्रोजन, 240 किलो स्फूर एवं 250 किलो पोटाश की जरूरत प्रति हेक्टेयर होती है.
इस फसल को खाद देते समय ध्यान रहें कि रोपाई के समय नाइट्रोजन देने के लिए यूरिया की जगह आप दूसरी मिश्रित खाद या अमोनियम सल्फेट का प्रयोग कर सकते है या फिर टाप ड्रेसिंग हेतु भी यूरिया का प्रयोग कर सकते हैं.
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
टमाटर की खेती करते समय इसकी फसल के साथ कई तरह के खरपतवार उग जाते है. जो फसल को काफी हानि पहुंचते है. आज कल फसलों में खरपतवार की समस्या इतनी तेजी से बढ़ रही हैं कि कई खेत में फसल की जगह खरपतवार ही दिखाई देता है. इसलिए समय – समय पर निराई कर खेत को अच्छे से साफ रखें
टमाटर की फसल के लिए कीटनाशक का प्रयोग (Use of insecticide for tomato crop)
- फ्लूक्लोरेलिन 1 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से
- मेरिटेंजिन (सेन्फोर) 0.25 – 0.50 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से
- एलैक्लोर (लासों) 2.0 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से