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Updated on: 25 June, 2020 5:47 PM IST
Sugarcane crop disease

देशभर के कई हिस्सों में किसान गन्ना की खेती करते हैं. इसमें पश्चिमी यूपी के किसान भी शामिल हैं. यहां किसानों ने अपने खेतों में गन्ने की अगेती प्रजाति उगाई है, लेकिन गन्ने की फसल में टाप बोरर के साथ पोका बोईंग रोग का खतरा चिंता का विषय बन गया है.

इस रोग के प्रकोप ने किसानों को काफी कर दिया है. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है.  

गन्ने की इस प्रजाति में लगा रोग (Disease in this species of sugarcane)

पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, बड़ौत को गन्ना बेल्ट माना जाता है. जहां किसानों ने गन्ने की अगेती प्रजाति 0238 की बुवाई की है. इस प्रजाति में टाप बोरर के साथ ही पोका बोईंग रोग का प्रकोप हो गया है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है.

क्या है पोका बोईंग रोग (What is Poka Boing Disease)

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गन्ने की फसल (Sugarcane Disease) इस रोग की चपेट में आ जाए, तो गन्ने के ऊपरी चोटी पर पत्ती में छेद दिखाई देने लगते हैं, साथ ही पत्तियां पीली पड़ जाती हैं.

यह रोग टाप बोरर की भांति ही दिखाई देता है, लेकिन यह फफूंदी से फैलने वाली रोग है. इसके प्रकोप से ऊपर की बनने वाली 3 या 4 पोरियों में गलन हो जाती है. इसके बाद गन्ना सूखने लगता है.

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पोका बोईंग रोग की रोकथाम (Poka Boing Disease Prevention)

गन्ने की फसल को इस रोग से बचाने के लिए कॉपर आक्सीक्लोराईड 500 ग्राम, रोको 500 ग्राम दवा को 200 लीटर पानी में मिलाएं और प्रति एकड़ की दर से छिड़क दें. इसके अलावा थायोफिनाईट मिथाइल 500 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव कर दें. बता दें कि इन कीटनाशकों की दुगनी मात्रा को मिट्टी में मिलाकर खेत में डाल सकते हैं. इससे गन्ने की फसल में पोका बोईंग रोग का खतरा कम हो जाएगा.

English Summary: How to protect 0238 species of sugarcane from pokka boing disease
Published on: 25 June 2020, 05:52 PM IST

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