बसंतकालीन गन्ने की बुवाई करने का समय नज़दीक आ चुका है. यूपी के किसानों ने बसंतकालीन गन्ने की बुवाई करने की तैयारी लगभग शुरू कर दी है. ऐसे में अगर किसान ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करेंगे, तो उन्हें फसल से लगभग 40 प्रतिशत अधिक उपज मिल सकती है.
बसंतकालीन गन्ने की ट्रेंच विधि से बुवाई शरद, बसन्त और देर बसंत में अच्छे से की जा सकती है, तो आज आपको बसंतकालीन गन्ने की ट्रेंच विधि से बुवाई करने की जानकारी देते हैं.
क्या है ट्रेंच विधि (What is trench method)
इस विधि में खेत तैयार करने के बाद ट्रेंच ओपनर से लगभग 1 फीट चौड़ी और लगभग 25-30 सेमी गहरी नाली बना लेते हैं. ध्यान रहे कि एक नाली से दूसरी नाली की दूरी लगभग 120 सेमी की होनी चाहिए. इस तरह पूरे खेत में ट्रेंच बनाकर तैयार कर लें. अब ट्रेंच में सबसे पहले उर्वरक डालना चाहिए.
इसके अलावा रासायनिक खाद में डीएपी, यूरिया और पोटाश डालें. इसके बाद प्रति हेक्टेयर के लिए 100 किलो यूरिया, 130 किलो डीएपी और 100 किलोग्राम पोटाश को तीनों मिलाकर ट्रेंच की तलहटी पर डाल दें. ध्यान दें कि जब आप उर्वरक डाल रहे हैं, तो उस समय बुवाई भी कर दें.
गन्ने की ट्रेंच विधि में बुवाई और ढकाई (Sowing and covering in trench method of sugarcane)
इस विधि से गन्ने की बुवाई करने के लिए तैयार नाली में दो आंख के उपचारित 10 से 12 गन्ने के टुकड़े प्रति मीटर की दर से इस तरह डालें कि उनकी आंखें अगल-बगल रहें.
ध्यान रहे कि गन्ने के टुकड़ों को दीमक और अंकुर बेधक से बचाने के लिए ऊपर रीजेन्ट 20 किग्रा या फोरेट 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर का छिड़काव कर दें.
इसके अलावा क्लोरपाइरीफास 5 लीटर प्रति हेक्टेयर को 1875 लीटर पानी के साथ घोलकर टुकड़ों पर छिड़क दें. इसके बाद गन्ने के टुकड़ों की ढकाई इस तरह करें कि गन्ने के टुकड़ों के ऊपर 2 से 3 सेमी से अधिक मीट्टी न पड़ पाए.
ज़रूरी जानकारी (Important information)
ध्यान दें कि कोई भी बीज टुकड़ा खुला न रहे और किसी पर ज़्यादा मिट्टी भी न पड़ पाए. अगर सिंचाई के साधनों की कमी है, तो लगभग 5 से 6 सेंटीमीटर भुरभुरी मिट्टी से टुकड़ों को ढकना चाहिए.
इस विधि से गन्ने की बुवाई करने पर पानी का जमाव लगभग 80 से 90 प्रतिशत होता है, जिससे फसल की पैदावार के साथ-साथ चीनी परता में भी वृद्धि होती है. आज के समय में कई किसान इस विधि को अपनाकर फसल की ज़्यादा पैदावार प्राप्त कर रहे हैं.