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Updated on: 18 July, 2021 9:30 AM IST
Paddy Cultivation

खरीफ सीजन में अधिकतर किसान धान की खेती की ओर रूख करते हैं और इसके लिए तमाम उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर उनकी बुवाई करते हैं. ऐसे में आज हम बिहार के किसानों भाईयों के लिए एक खास जानकारी लेकर आए हैं. दरअसल, बिहार के किसान भाई अगले साल से धान की एक नई किस्म की बुवाई कर पाएंगे. धान की इस नई किस्म का नाम सबौर हीरा धान है, तो आइए आपको इस किस्म से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी देते हैं.

धान की सबौर हीरा किस्म की जानकारी

धान की इस किस्म को वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज डुमरांव के धान वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश सिंह और डॉ. अशोक कुमार सिंह ने तैयार किया है. बता दें कि बिहार के किसानों को धान की यह नई किस्म नाटी मंसूरी के विकल्प के तौर पर मिलेगी. दावा किया जा रहा है कि धान की सबौर हीरा किस्म से पैदावार अधिक होगी, जिससे किसानों की आमदनी को बल मिलेगा.

धान की सबौर हीरा किस्म में है कई पोषक तत्व

इस किस्म में आयरन, जिंक के साथ-साथ ग्लासेमिक इंडेक्स भी पाया जाता है, जो कि डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी लाभदायक है. इसमें ग्लासेमिक इंडेक्स 60 से 65 के बीच मिलता है, जो कि अन्य दूसरी किस्मों में 75 से 80 के बीच पाया जाता है. ऐसे में शुगर रोगियों के लिए ये चावल खाना बहुत फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि ग्लासेमिक इंडेक्स के कम होने से शुगर की समस्या दूर होती है.

रोग प्रतिरोधक है किस्म

धान की सबौर हीरा किस्म में रोग व कीट कम लगते हैं, क्योंकि ये प्रतिरोधक क्षमता में नाटी मंसूरी धान से बेहतर है.

धान की सबौर हीरा किस्म की अन्य विशेषताएं  

  • इस किस्म के पौधे अगर 10 दिनों तक पानी में डूबे रहें, तो भी फसल को नुकसान नहीं होगा.

  • यह किस्म पानी की कमी को झेल सकती है.

  • मुश्किल परिस्थितियों में भी किसानों को अधिक नुकसान नहीं होता है.

कब करें इस किस्म की बुवाई

अगर किसान भाई खरीफ सीजन में धान की सबौर हीरा किस्म की बुवाई करना चाहते हैं, तो  जून से जुलाई के बीच लगा सकते हैं. इस किस्म के पौधे की लंबाई 110 से 115 सेंटीमीटर होती है. इसकी खासियत यह है कि पौधा गिरता नहीं है.

कब पकती है फसल

धान की सबौर हीरा किस्म की बुवाई से फसल को पकने में 5 माह का समय लगता है. इसके बाद कटाई की जा सकती है.

ट्रायल हुआ पूरा

खुशी की बात यह है कि राज्य के 11 जिलों के 90 किसानों ने सबौर हीरा धान का ट्रायल किया है. इस नई किस्म को विकसित करने के लिए इंप्रूव्ड वाइट पोन्नी व काला जोहा किस्मों को मिलाया गया है.

तमिलनाडु में किस्म है मशहूर

धान की सबौर हीरा किस्म तमिलनाडु की सबसे मशहूर किस्म में से एक है. यहां कई किसान धान की इस किस्म की बुवाई करते हैं. 

धान की सबौर हीरा किस्म से उपज

कृषि वैज्ञानिकों की मानें, तो 7 साल की लंबी अवधि के बाद अगले साल से किसानों को यह किस्म उपाजने को मिलेगी. ऐसे में दावा किया जा रहा है कि ये किस्म नाटी मंसूरी धान से अधिक उपज देगी. इस किस्म के ट्रॉयल के दौरान दक्षिणी और उत्तर बिहार में 70 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त हुई थी. अगर नाटी मंसूरी धान की बात करें, तो इससे प्रति हेक्टेयर में 60 से 70 क्विंटल उपज मिलती है.

बता दें कि साल 1989 से बिहार के 45 प्रतिशत खेतों में दक्षिण भारत की किस्म नाटी मंसूरी की खेती हो रही है. बताया जा रहा है कि सबौर हीरा के एक क्विंटल धान में लगभग 65 से 67 किलो खड़ा चावल निकल जाएगा. इस तरह किस्म की बुवाई से किसानों को अच्छा मुनाफा होगा.

(खेती से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए कृषि जागरण की हिंदी वेबसाइट पर विजिट करें.)

English Summary: farmers of bihar will sow sabour heera variety of paddy
Published on: 17 July 2021, 03:43 PM IST

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