किसान तिलहन की खेती करना काफी पसंद करते हैं. तिलहन से निकाले गए तेल (Oil Extracted From Oilseeds) का कई तरह से उपयोग किया जाता है. तिलहन से तेल निकालने के बाद शेष-अवशेष पशु चारा और खाद (animal feed and manure) में इस्तेमाल किए जाते हैं. भारत में तिलहन की खेती कैसे करें, इसके बारे में जानने के लिए और पूरा आर्टिकल जरुर पढ़ें.
तिलहन की खेती क्या है? (What is oilseed farming?)
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वनस्पति तेल के घरेलू स्रोत दो प्रकार के होते हैं जो प्राथमिक और द्वितीयक हैं.
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प्राथमिक स्रोत में मूंगफली, रेपसीड (सरसों), सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, नाइजर के बीज, कुसुम, अरंडी और अलसी शामिल हैं.
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द्वितीयक स्रोत में नारियल, बिनौला, चावल की भूसी, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टेड तेल और पेड़ और वन मूल के तेल शामिल हैं.
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तिलहन उगाने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक यह है कि वे केवल बारिश वाले क्षेत्रों में ही उगते हैं.
भारत में तिलहन की खेती (Oilseeds cultivation in India)
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भारत दुनिया में तिलहन का सबसे बड़ा उत्पादक है और तिलहन क्षेत्र का देश की कृषि अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है.
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भारत सभी प्रकार की तिलहन फसलों को उगाने के लिए आदर्श है.
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देश में उगाई जाने वाली नौ तिलहन फसलों में सात खाद्य तेल हैं जो सोयाबीन, मूंगफली, रेपसीड-सरसों, सूरजमुखी, तिल, कुसुम और नाइजर हैं.
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दो अखाद्य तेल अरंडी और अलसी हैं.
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अरंडी, निगर, कुसुम और तिल जैसे अधिकांश छोटे तिलहनों के उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है.
भारत में प्रमुख तिलहन फसलें कौन सी हैं? (What are the major oilseed crops in India?)
मूंगफली (Groundnut): यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण तिलहन है. यह देश में उत्पादित होने वाले प्रमुख तिलहनों का आधा हिस्सा है. इसे खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है, लेकिन भारत में इसे रबी (मानसून फसल) के रूप में भी बोया जाता है.
रेपसीड या सरसों (Mustard): मूंगफली के बाद, सरसों भारत में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण तिलहन है. इस तेल का उपयोग भारत की हर रसोई से लेकर हर कोने में किया जाता है.
तिल (Sesame): भारत में तिल के तहत दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र है और दुनिया के उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा इस फसल का सबसे बड़ा उत्पादक भी है. इसका उपयोग खाना पकाने के प्रयोजनों के लिए और इत्र और दवाओं के निर्माण के लिए भी किया जा सकता है.
अलसी (Flaxseed): अलसी का उपयोग अपनी अनूठी सुखाने की क्षमता के कारण पेंट, वार्निश, प्रिंटिंग स्याही, खाद्य तेल निकालने आदि के लिए किया जाता है.
अरंडी का बीज (Castor seed): इसमें 50% तेल होता है और इसका ज्यादातर उद्योगों में उपयोग किया जाता है.
कच्चे माल की तैयारी कैसे की जाती है? (How are the raw materials prepared?)
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बालू, धूल और अन्य दूषित पदार्थों को हटाने के लिए तिलहन और अखरोट को अच्छी तरह से सुखाया और साफ किया जाना चाहिए.
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भंडारण करते समय उन्हें वेदरप्रूफ, हवादार कमरों में रखें जो पक्षियों, कीड़ों और कृन्तकों से सुरक्षित हों.
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कुछ कच्चे माल को भूसी निकालने या सड़ने की आवश्यकता होती है.
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तेल की पैदावार बढ़ाने के लिए तिलहनों को तेल निकालने से पहले मिलों में पीसने की आवश्यकता होती है.
भारत में तिलहन की खेती का महत्व (Importance of oilseeds cultivation in India)
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तिलहन को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है.
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तिलहन बहुत सारे उद्योगों जैसे पेंट, वार्निश, साबुन, चिकनाई वाले तेल आदि के लिए कच्चा माल प्रदान करते हैं.
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यह एक महत्वपूर्ण नकदी फसलें हैं और विदेशी मुद्रा का एक अच्छा स्रोत भी हैं.
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यह वनस्पति तेल और वसा प्रदान करते हैं.
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खाद्य तेल खली को मवेशियों के लिए खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.