कृषि की आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक ने खेती को बेहद आसान बना दिया है. जहां आप खेती की कल्पना तक नहीं कर सकते थे वहां भी सफलतापूर्वक खेती की जा रही है और लाखों रूपए की कमाई की जा रही है. जी हां, राजस्थान में खारे पानी के जरिए खजूर की खेती हो रही है.
वैसे तो यहां हर तरफ रेत ही रेत दिखाई देती है. लेकिन कृषि वैज्ञानिकों की अथक मेहनत के बाद यहां के काजरी क्षेत्र में खजूर की खेती हो रही है.
टिश्यू तकनीक का उपयोग (Use of tissue technology)
जोधपुर के काजरी में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि यहां भी खजूर के पेड़ उगाए जा सकेंगे. लेकिन पांच साल पहले यहां खजूर के पौधे टिश्यू कल्चर तकनीक से लगाए गए थे. जिन पर अब खजूर आ रहे हैं, जिसे देखकर क्षेत्र के अन्य लोग भी हैरान है. सबसे खास बात यह है कि खारे पानी की मदद से पौधों को उगाया गया है, वहीं इससे प्राप्त होने वाले खजूर (Dates) पौष्टिक और शक्कर जैसे मीठे होते हैं.
हर पौधे से 100 किलो उत्पादन (100 kg production from each plant)
यहां के एक फार्म में कृषि वैज्ञानिक डाॅ अखत सिंह की देखरेख में खजूर के पौधे लगाए गए थे. यह पौधे एडीपी-1 किस्म के है. डाॅ अखत सिंह का कहना है कि पांच साल बाद प्रति पौधे से 80 से 100 किलोग्राम खजूर का उत्पादन होता है. जोधपुर के बाद अब बीकानेर के आसपास के क्षेत्र में भी इस तकनीक का प्रयोग करके खजूर के पौधे लगाए जाएंगे.
5 लाख रूपए की कमाई (Earning Rs 5 lakh)
डाॅ. अखत सिंह का कहना हैं कि टिश्यू तकनीक अपनाकर खजूर की सफल खेती की जा रही है. एडीपी-1 खजूर की एक उन्नत तकनीक है. इस किस्म के एक पेड़ से लगभग 100 किलोग्राम खजूर उतारा गया है. एक हेक्टेयर में अगर इसके पौधे लगाए जाए तो अच्छी कमाई हो सकती है. बाजार में यह खजूर 100 रूपए किलो तक बिकता है. वहीं 4 से 5 साल बाद सालाना 5 लाख रूपए की कमाई की जा सकती है. उन्होंने बताया कि हाल ही के दिनों में खराब मौसम के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है लेकिन फिर भी यह एक फायदे की खेती है.
क्या है टिश्यू कल्चर? (What is tissue culture?)
टिश्यू कल्चर (Tissue culture) एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसकी मदद से ऐसी जमीन में भी पौधे उगाए जा सकते हैं जो उपजाऊ नहीं है.
दरअसल, इस तकनीक का उपयोग करके पौधों में जेनेटिक इंप्रूवमेंट किया जा सकता है. वहीं इस तकनीक को अपनाकर पर्यावरण की समस्याओं को दूर किया जा सकता है. टिश्यू कल्चर तकनीक के जरिये पौधे के ऊतक जैसे तना, जड़ तथा फूल को सीधे पोषक तत्व देकर पौधे को बंजर भूमि में भी उगाया जा सकता है.