मिर्च की खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. इसका उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है. हर साल देश में तकरीबन 7 लाख 92 हजार हेक्टेयर रकबे में मिर्च की खेती की जाती है. जिससे लगभग 12 लाख 23 हजार टन उत्पादन हर साल मिलता है. देश में मिर्च के प्रमुख उत्पादक प्रान्त मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, उड़ीसा, राजस्थान एवं पश्चिम बंगाल है. तो आइये जानते हैं मिर्च की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी तथा कीट प्रबंधन-
मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु तथा मिट्टी
मिर्च की खेती के लिए गर्म आर्द्र जलवायु अच्छी मानी जाती है. इसके लिए न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. बता दें कि मिर्च की फसल 130 से 150 दिनों में पक जाती है. इसकी खेती के लिए जीवांशयुक्त मिट्टी जिसका पीएच मान 6.5 से 8 हो उत्तम मानी जाती है. वहीं खेत में जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.
मिर्च की खेती के लिए प्रमुख उन्नत किस्में
इसकी प्रमुख देशी किस्में जवाहर मिर्च-283, जवाहर मिर्च-218, काशी अनमोल, काशी विश्वनाथ एवं अर्का सुफल है. जबकि हाइब्रिड किस्में काशी हरिता, काशी अर्ली आदि है. वहीं निजी क्षेत्र की प्रमुख किस्में उजाला, यूएस-611, यूएस-720 तथा एचपीएच-1900 है.
मिर्च की खेती लिए पौध तैयार करना एवं नर्सरी प्रबंधन
सबसे पहले नर्सरी निर्माण के लिए ऐसी जगह चुने जहां पर्याप्त धूप आती हो. अब 3X3 मीटर की क्यारी बनाएं जो तकरीबन 20 सेंटीमीटर ऊंची हो. अब क्यारी में दो से तीन टोकरी सड़ी गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें. इसके बाद क्यारी में 5X5 सेंटीमीटर की दूरी पर आधे से एक सेंटीमीटर गहरी नाली का निर्माण करके इसमें मिर्च के बीजों की बुवाई कर दें.
मिर्च की खेती के लिए बीज की मात्रा
यदि आप एक हेक्टेयर रकबे में मिर्च की खेती कर रहे हैं, तो देशी किस्मों का 500 ग्राम तथा हाइब्रिड किस्मों का 200 से 250 ग्राम बीज पर्याप्त होगा. मिर्च की खेती बारिश, सर्दी और गर्मी तीनों मौसम में कर सकते हैं. हालांकि मिर्च की खेती खरीफ सीजन में प्रमुख रूप से की जाती है. इसके लिए जून से अक्टूबर महीने में रोपाई की जाती है.
मिर्च की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक
गुणवत्तापूर्ण और ज्यादा उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर 120 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 80 किलोग्राम पोटाश पर्याप्त होता है. वहीं लगभग 200 से 250 क्विंटल सड़ी गोबर खाद डालना चाहिए.
मिर्च की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट एवं प्रबंधन
थ्रिप्स -प्याज, लहसुन समेत अन्य फसलों की तरह थ्रिप्स मिर्च की फसल को बेहद नुकसान पहुंचाता है. इस कीट का वैज्ञानिक नाम सिटरोथ्रिटस डोरसेलिस हुड है, जो पौधे की पत्तियों तथा अन्य कोमल हिस्से को नुकसान पहुंचाता है. यह इन हिस्सों का रस चूस लेता है, जिससे पत्तियां नाव की तरह मुड़ जाती हैं.
प्रबंधन- इस कीट के रोकथाम के लिए कोरोमंडल का मैथ्री कीटनाशक उपयोग कर सकते हैं . मैथ्री फिप्रोनिल 7 % और हेक्जीथायजोक्स 2% का सम्मिश्रण है, जो थ्रिप्स और मकड़ी (मईट्स) जैसे जटिल रस चूसने वाले कीटों की समस्या पर संपूर्ण तरीके से प्रभावी नियंत्रण करता है। मैथ्री के बारे में अधिक जानकारी के लिए https://bit.ly/3zYj1ZP लिंक पर क्लिक करें.
माइट- इसका साइंटिफिक नाम हेमीटारयोनेमसलाटस बैंक है जो पत्तियों की सतह से रस चूसता है जिसके कारण पत्तियां नीचे की तरफ मूड़ जाती है.
प्रबंधन- इसके लिए भी मैथ्री कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं. यह प्रभावी तरीके से इस कीट का नियंत्रण करता है.
सफेद मक्खी- इस कीट का साइंटिफिक नाम बेमिसिया तवेकाई है. यह तीन चरणों अंडा, शिशु तथा वयस्क अवस्था में पत्तियों की निचली सतह का रस चूसता है.
प्रबंधन- इस कीट की रोकथाम के लिए थायमेथाइसम 25 WG की 5 ग्राम मात्रा को 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
मिर्च की खेती के लिए उत्पादन
मिर्च की फसल का उत्पादन विभिन्न किस्मों के चुनाव पर निर्भर करता है. जहां देशी किस्मों से प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल तो हाइब्रिड किस्मों से 300 से 350 क्विंटल मिर्च का उत्पादन होता है. मिर्च की काशी अर्ली किस्म सबसे ज्यादा 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है.