कहा जाता है कि ईश्वर ने एक संतुलित विश्व का निर्माण किया है. जीवन की कुछ राहें कांटो से परिपूर्ण है तो कई राहों में वृक्ष की शीतल छांह हैं. इसी तरह यदि रोगों ने जीवन को दुश्वार बनाया है तो सुखमय जीवन के लिए कई प्रकार के उपचार भी संभव हैं. “एक अनार सौ बीमार “, यह कहावत तो आप सब ने सुनी होगी, लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसा कौन सा फल है, जो सौ मर्ज़ की एक दवा है. वो फल है आंवले .
आंवले कोई सामान्य फल नही है. ये तो एक औषधीय फल है. आंवले विटामिन- सी का प्रमुख स्त्रोत है. इसके अतिरिक्त यह बहुमूल्य फल कैल्शियम, लोहा, फास्फोरस, विटामिन-सी, ए, ई और बहुत सारे पोषक तत्व से भरपूर है. जो शरीर की कई प्रकार के रोगों से रक्षा करता है.
आंवले विशिष्ट कसैले स्वादयुक्त, एक चमकदार हरा गोलाकार फल है, जो भारत के उष्णकटिबंधीय जंगलों के साथ-साथ चीन और म्यांमार के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी होता है. आंवले आयुर्वेद में सबसे अधिक उल्लेखित एकमात्र फल है, जो पिछले 5,000 वर्षों से भारत में स्वदेशी चिकित्सा की एक प्राचीन पारंपरिक प्रणाली है. इस लेख में पढ़िए आंवले की खेती के बारे में जानकारी .
आंवले की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
आंवले एक गर्म जलवायु का पौधा है. इसको शुष्क प्रदेश में भी उगाया जा सकता है. इसके वृक्ष लू और पाले से अधिक प्रभावित नहीं होते. इनमें 0.46 डिग्री तापमान सहन करने की क्षमता होती है. 630- 800 मिमी की वार्षिक वर्षा इसके विकास के लिए आदर्श होती है. लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसके 3 साल की उम्र तक के युवा पौधे को मई-जून के दौरान गर्म हवा से और सर्दियों के महीनों में पाले से बचाना चाहिए.
उपयुक्त मिट्टी
यह एक उष्णकटिबंधीय पौध है इसलिए इसकी खेती के लिए बलुई भुमि के अतिरिक्त सभी प्रकार की भूमि उपयुक्त मानी जाती है. आंवले का पौधा काफी कठोर होता है इसलिए इसकी खेती सामान्य भूनि पर भी की जा सकती है. रेतीली मिट्टी में इसकी खेती संभव नहीं है.
खेती के लिए उपयुक्त गड्ढ़ों की खुदाई
इसकी खेती के लिए बारिश के मौसम के समय जमीन में गड्ढें खोदने चाहिए और इसके बाद गढ्ढों मे पानी भर देना चाहिए. लेकिन पानी भरने से पहले उन गढ्ढों मे पहले ले भरा हुआ पानी निकाल देना चहिए. खोदे हुए गढ्ढो में 55-60 किलोग्राम गोबर की खाद मिला दे. इसके बाद 10 किलोग्राम बालू को लगभग 10 किलोग्राम जिप्सम और ऑर्गेनिक खाद में मिला दे. तैयार खाद के मिश्रण को हर एक गढ्ढे में लगभग 5 किलोग्राम की मात्रा में भर दे. खाद को गढ्ढों में भरने के 20-25 दिन बाद ही पौधारोपण की प्रक्रिया प्रारंभ करनी चाहिए.
आंवले की किस्में
आंवले की व्यावसायिक प्रजातियां निम्न है.-
- चकैया
- फ्रांसिस
- कृष्ण
- कंचन
- बनारसी
- एन-ए-6
- एन-ए 7
- एन-ए 10
आदि आंवले की उन्नत किस्में हैं.
उपयुक्त खाद एवं उर्वरक
इसकी खेती के लिए 50 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद, 20 किलोग्राम नीम, 50 किलोग्राम अरंडी की खली इत्यादि को खाद में अच्छी तरह मिलाए. तैयार मिश्रण को 3-5 किलो प्रतिपौधा साल में दो बार जनबरी, फरवरी में डाले. दूसरा आधा मिश्रण जुलाई माह में जब फलों का विकास हो रहा हो तब डालें. इसके 20 साल के पौधे को 10 किलोग्राम खाद देना चाहिए.
कीटनाशक रोकथाम
आंवले के पौधे और फल कोमल प्रकृति के होते है. इसलिए इसमें कीड़े जल्दी लग जाते है. आंवले की व्यवसायिक खेती के दौरान इस बात का ध्यान रखना होता है कि, पौधे और फल को संक्रमित होने से बचाया जाए. शुरुआती दिनों में इस पर लगने वाले कीड़ो और लार्वा को हाथो से हटाया जा सकता है. इसके साथ ही इसकी रोकथाम के लिए कीट द्वारा बनाए गए छेद में मिट्टी का तेल डालकर ऊपर से गीली मिट्टी लगा देनी चाहिए, एवं पौधे पर नीम की पत्तियों के उबले पानी के घोल का छिड़काव करना चाहिए.
सिंचाई
आंवले की अच्छी उपज के लिए पौधे की ठण्ड के मौसम में 10-15 दिनों के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए एवं गर्मी के मौसम में 7 दिनों के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए. अप्रैल से जून तक सिंचाई का विशेष महत्व होता है. टपक सिंचाई आंवले के लिए अच्छी होती है.
आंवले की तुड़ाई
आंवले के पौधे के रोपण के पश्चात, उचित रखरखाव के बाद लगभग 4 से 5 सालों बाद से फल लगने लगते हैं. इसके फल नबंबर से लेकर फरवरी तक पकते है.आंवले के फल की तुडाई तभी करते हैं जब छिलके का रंग हल्के हरे से हल्का पीला हो जाए. इसकी तुड़ाई हाथ से ही की जाती है जिससे फलो को खरोंच नहीं आए. परिपक्व फल कठोर होते हैं और वे कोमल स्पर्श पर नहीं गिरते हैं उनको गिराने के लिए या तो वृक्ष को तेजी से हिलाना पड़ता है या कटाई करनी पड़ती है .
उपज
आंवले की उपज इसकी प्रयुक्त प्रजाति, भूमि की स्थिति और पोषक तत्व प्रबंधन पर निर्भर करती है. आंवले का वृक्ष चौथे वर्ष से फल देने लगता है. 8-9 वर्ष का एक वृक्ष औसतन एक क्विंटल फल प्रतिवर्ष देता है. प्रत्येक वृक्ष से प्रति वर्ष 1500 से 2000 रुपये तक आय होती है
जैविक उत्पादन
आंवले के फलों का उपयोग हम अपने स्वास्थ्य सुधार एवं औषधीय गुणों के लिए करते है. इसलिए इसका जैविक उत्पादन बड़ा महत्व रखता है. इस प्रकार से उत्पादित आंवले से तैयार उत्पाद अधिक गुणवत्तायुक्त होने के कारण घरेलू एवं विदेशी बाजार में अधिक सराहे जाते हैं. इसके जैविक उत्पादन की दिशा में किये गये प्रारम्भिक कार्य में काफी अच्छी सफलता प्राप्त हुई है.
आंवले फल के लाभ
आंवले सदियों से अपने कई स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण बेशकीमती रहा है. आंवले बड़ी ही सहजता से प्रकृति की गोद में मिल सकता है और शरीर को रोगमुक्त रखने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. आंवले के लाभों को जाने , समझे और फिर इस्तेमाल करें-
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आंवले का रस आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है. ये आंखो की ज्योति को बढ़ाता है.
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आंवला भोजन को पचाने में बहुत मददगार साबित होता है.
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आंवला खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है.
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आधुनिक वैज्ञानिकों ने 25 से अधिक वर्षों से आंवले फल का अध्ययन किया है, और यह निर्धारित किया है कि आंवले के अद्वितीय पोषक मिश्रण का चयापचय सिंड्रोम और रक्त प्रवाह से लेकर एंटी-एजिंग प्रक्रियाओं तक हर चीज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
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आंवले का उपयोग कई सूजन संबंधी बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए पारंपरिक आयुर्वेदिक रोगों में किया गया है.
किसान भाईयों यह फल कई रोगों से बचाता है एवं इसमें अधिक औषधीय मूल्य हैं. भारतीय बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इस फल की मांग है. इसके फल को हम बाजार के साथ-साथ औषधीय कंपनियों में भी बेच सकते है. आप इसकी खेती से बहुत अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
खेती से संबंधित समस्त जानकारियों के लिए कृषि जागरण हिंदी पोर्टल के लेखों को ज़रूर पढ़ें.