आप सभी लोग मिर्ची का सेवन करते ही होंगे, आपको मिर्च खाते समय तीखापन (Hot chilies) लगता ही होगा, गर्मी भी लगती होगी, तो वहीं आपका चेहरा और कान भी लाल हो जाता होगा. मगर क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है.
हम बता दें कि मिर्च के अंदर एक रसायन यानि केमिकल मौजूद होता है. खास बात यह है कि अब यही केमिकल सोलर पैनल (Solar Panels) में भी लगाया जाएगा. इससे सोलर पंप ज्यादा गर्म हो पाएगा और अधिक ऊर्जा दे पाएगा.
जानकारी के लिए बता दें कि मौजूदा समय में कृषि क्षेत्र में सोलर पंप एक अहम भूमिका निभा रहा है. इसको सूरज की रोशनी से ऊर्जा मिलती है, जिसके बाद यह आपके घरों को रोशन करती है, साथ ही खेती से जुड़े कार्यों में भी मदद करता है. ऐसे में यह सोलर पैनल्स (Solar Panels) की टेक्नोलॉजी में एक नया कदम है. आइए आपको इस रसायन की जानकारी देते हैं.
क्या है ये रसायन
इस रसायन का नाम कैपसाइसिन (Capsaicin) है. इसकी वजह से मिर्ची तीखी और स्पाइसी (Hot chilies) लगती है. अब इस रसायन का उपयोग सोलर पैनल्स में भी किया जाएगा.
सोलर पैनल्स में क्यों उपयोग होगा ये रसायन?
सिलिकॉन से बने सोलर पैनल्स (Hot chilies) सेल्स सूरज की गर्मी से बिजली पैदा उत्पन्न करते हैं. इस गर्मी में से कुछ प्रतिशत गर्मी बेकार हो जाती है, जिसका उपयोग सोलन पैनल्स (Hot chilies) में लगे सेल्स नहीं कर पाते हैं. ऐसे में सोलर पैनल्स पर पड़ने वाली सूरज की पूरी गर्मी का उपयोग किया जा सके, इसलिए इन रसायनों का लेप लगाया जाएगा. इससे गर्मी का उपयोग 100 प्रतिशत हो सकेगा.
क्या होगा फायदा?
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सोलर पैनल्स की क्षमता बढ़ पाएगी.
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क्षमता बढ़ने पर हमें ज्यादा रोशनी मिलेगी.
किसने की जांच?
यह स्टडी सेल साइंस मैगजीन में 13 जनवरी को प्रकाशित हुई है. इसके मुताबिक, शंघाई स्थित ईस्ट चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट क्विनी बाओ और उनकी टीम ने पीरोवस्काइट सोलर सेल्स (Perovskite Solar Cells) बनाए हैं. इन सेल्स के ऊपर कैपसाइसिन (Capsaicin) का लेप लगाया गया है. जब कैपसाइसिन (Capsaicin) लगे पीरोवस्काइट सोलर सेल्स (Hot chilies) की जांच की गई, तो पता चला कि इसकी क्षमता में 21.88 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. बता दें कि जिन सोलर सेल्स में कैपसाइसिन (Capsaicin) नहीं लगा था, उनकी क्षमता में मात्र 19.1 प्रतिशत का इजाफा था.
बाओ कहते हैं कि इस रसायन में ऐसी क्षमता है, जो सिलिकॉन, लीड और पीरोवस्काइट सोलर सेल्स (Perovskite Solar Cells) के अंदर सूरज की गर्मी से रिएक्ट करके उन्हें ज्यादा क्षमतावान बनाती है. यह एक आसानी और प्रचुर मात्रा में मिलने वाला रसायन है. ये सस्टेनेबेल भी है, जिसकी कमी कभी नहीं होगी.