Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 8 September, 2021 4:14 PM IST
Gene Editing Technology

भारत का गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) और उत्पादन में प्रमुख स्थान है. इसके मुख्य उत्पादक राज्यों में पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश का नाम शामिल है. मौजूदा समय में देश में लगभग 8 करोड़ टन से ज्यादा गेहूं का उत्पादन हो रहा है. 

हालांकि,  देश में बढ़ रही जनसंख्या के मुताबिक गेहूं उत्पादन (Wheat Cultivation) में और वृद्धि की आवश्यकता है. इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा नई-नई तकनीकियों को अपनाया जा रहा है, ताकि गेहूं का उत्पादन बढ़ाया जा सके. इन नई तकनीकों में बुवाई विधि, बीज दर, पोषक तत्व प्रबंधन, सिंचाई, खरपतवार नियन्त्रण व फसल संरक्षण आदि प्रमुख है.

मगर सबसे ज्यादा प्रमुख है किस्मों का सही चुनाव. आज हम इस लेख में गेहूं की एक नई किस्म (W​​​​heat Variety) का उल्लेख करने वाले हैं, जिसे ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है.

गेहूं की नई किस्म (New Variety of Wheat)

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हर्टफोर्डशायर में गेहूं की जेनेटिकली मोडिफाइड किस्म उगा रहे हैं. यह प्रोजेक्ट पर लगभग 5 साल तक कार्य चलेगा. ऐसा पहली बार है कि जब यूके या यूरोप में जीन एडिटिंग तकनीक से गेहूं उगाया जा रहा है.

बता दें कि अमेरिका और चीन में इस तकनीक से गेहूं उगाया जा चुका है. खास बात यह है कि गेहूं की नई किस्म (W​​​​heat Variety) कैंसर का खतरा घटाने के लिए बहुत सहायक है. इसमें एसपर्जिन नाम के अमीनो एसिड की मात्रा को घटाया गया है.

अमीनो एसिड 90 प्रतिशत कम (90% Less Amino Acids)

शोधकर्ताओं की मानें, तो गेहूं की नई किस्म की जांच करने पर एक्रेलामाइड की मात्रा दूसरी सामान्य गेहूं की किस्म (W​​​​heat Variety) से 90 प्रतिशत तक कम है. इस नई किस्म से लोगों के खान-पान और पैकेज फूड से एक्रेलामाइड का खतरा कम होगा.

एसपर्जिन को हटाया जाता (Aspergine is Removed)

शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब सामान्य गेहूं से ब्रेड को बेक्ड या रोस्ट किया जाता है, तो इसमें मौजूद एसपर्जिन कैंसर फैलाने वाले तत्व एक्रेलामाइड में बदल जाता है. इसकी वजह से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. 

मगर शोधकर्ताओं ने गेहूं की नई किस्म (W​​​​heat Variety) में जीन एडिटिंग करके एसपर्जिन को हटा दिया है. इस तरह गेहूं की नई किस्म काफी लाभकारी साबित हो सकती है.

(खेती-बाड़ी से जुड़ी अन्य खबरों के लिए कृषि जागरण की हिंदी वेबसाइट पर विजिट करें.) 

English Summary: british scientists grow wheat with gene editing technology
Published on: 08 September 2021, 04:19 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now