गेहूं रबी सीजन की एक प्रमुख फसल है. इसकी अगेती बुवाई काफी अच्छी मानी जाती है. जिससे किसान ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण पैदावार ले सकता है. गेहूं की अगेती बुवाई 15 नवंबर से पहले कर देना चाहिए. तो आइए जानते हैं गेहूं की प्रमुख अगेती किस्मों के बारे में और बुवाई के तरीके-
एचडी 2967 (HD 2967)
गेहूं की यह काफी लोकप्रिय किस्म है. गेहूं की इस किस्म की अगेती फसल ली जाती है. इसमें पीला रतुआ रोग लगने की संभावना बेहद कम होती है. इसके पौधे की लंबाई 101 सेंटीमीटर तक होती है. वहीं यह किस्म 150 दिनों पककर तैयार हो जाती है. इसके पौधे की बढ़वार अधिक होने से इससे निकलने वाला भूसा भी ज्यादा निकलता है. प्रति एकड़ इससे 22 से 23 क्विंटल तक की पैदावार होती है. हरियाणा और पंजाब के किसान इस किस्म की अधिक बुवाई करते हैं.
डब्ल्यूएच 1105 (WH 1105)
गेहूं की इस किस्म की भी अगेती बुवाई की जाती है. इसका पौधा औसतन 97 सेंटीमीटर का होता है. ज्यादा लंबा न होने के कारण यह विपरीत परिस्थितियों में खड़ा रहता है. 157 दिन में पकने वाली यह किस्म प्रति एकड़ 23 से 24 क्विंटल की पैदावार देती है. इस किस्म में भी पीला रतुआ रोग लगने की संभावना नहीं रहती है. इस किस्म की उपज हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेष, मध्य प्रदेश और बिहार के किसान लेते हैं.
पीबीडब्ल्यू 550 (PBW 550)
गेहूं की अगेती किस्मों से यह भी काफी उन्नत किस्म मानी जाती है. इसके पौधा 86 सेंटीमीटर का होता है. गेहूं की यह किस्म 145 दिनों पककर तैयार हो जाती है. इससे प्रति एकड़ 22 से 23 क्विंटल की पैदावार ली जा सकती है. यह भी पीला रतुआ रोग प्रतिरोधक होता है.
एचडी 3086 (HD 3086)
इसकी गिनती भी गेहूं की उन्नत किस्मों में होती है. इसकी खासियत यह है कि गेहूं के बीज के पकते समय चलने वाली गर्म हवाओं का असर नहीं पड़ता जिस वजह से पैदावार अच्छी होती है. इसके पौधे की लंबाई 96 सेंटीमीटर होती है.
वहीं यह 156 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. यह पीला रतुआ प्रतिरोधक होती है. इससे प्रति एकड़ 23 क्विंटल की पैदावार होती है. इस किस्म की बुवाई हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों की जा सकती है. बुवाई के लिए प्रति एकड़ 55 से 60 किलो एकड़ बीज लगता है.इसके अलावा गेहूं की अगेती किस्में हैं-डीबीडब्ल्यू 17, डब्ल्यूएच 711 आदि.