प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का अनावरण 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया. इसका उद्देश्य किसानों की फसल सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इसकी देख-रेख कृषि मंत्रालय द्वारा की जा रही है. यह योजना अपनी फसल के लिए ऋण लेने वाले किसानों को प्रीमियम का बोझ कम करने एवं खराब मौसम में फसल सुरक्षा करती है. देश में यह योजना सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी. योजना के लिए केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 13,000 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है.
योजना के मुख्य आकर्षक बिंदु (Key highlights of the plan)
किसानों द्वारा सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2% का प्रीमियम देना पड़ेगा एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5% का प्रीमियम देना पड़ेगा. वार्षिक एवं वाणिज्यिक बागवानी फसलों के लिए प्रीमियम केवल 5% ही देना पड़ेगा.
किसानों द्वारा देय प्रीमियम काफी कम है और शेष प्रीमियम सरकार द्वारा दिया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की फसलों में फसल हानि के लिए किसान को बीमित राशि प्रदान की जाए.
सरकार सब्सिडी पर कोई सीमा नहीं है. भले शेष प्रीमियम 90% का हो यह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. अब कैपिंग का प्रावधान हटाते हुए किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमित राशि का भुगतान किया जाएगा.
काफी हद तक प्रोद्दोगिकी को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि दावा भुगतान में होने वाली देरी के दौरान फसल का डेटा एकत्रित करने के लिए स्मार्टफोन, रिमोट सेंसिग ड्रोन एवं जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
बीमा योजना में एकमात्र कंपनी भारतीय कृषि बीमा कंपनी शामिल है.
पीएमएफबीवाई राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना एवं संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना है इसलिए सेवाकर से छूट प्रदान की गई है.
पीएमएफबीवाई के उद्देश्य (Objectives of PMFBY)
- प्राकृतिक आपदाओं, कीट और रोगों के परिणामस्वरूप अधिसूचित फसल में से किसी भी फसल में से किसी भी की विफलता की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना.
- कृषि में किसानों की सतत प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उनकी आय को स्थायित्व देना.
- किसानों में कृषि नवाचार एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना.
- कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सुनिश्चित करना.
चयनित किसानों की श्रेणी (Selected farmers category)
- अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले पट्टेदार व जोतदार किसान पात्र हैं. गैर ऋणी किसानों को राज्य में प्रचलित के भूमि के रिकार्ड अधिकार व भूमि प्रमाण पत्र आदि जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करना जरूरी है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा अनुमति अधिसूचित लागू अनुबंध, समझौते के विवरण आदि अन्य संबंधित दस्तावेजों जो भी आवश्यक हैं.
- अनिवार्य घटक वित्तीय संस्थाओं से अधिसूचित फसलों के लिए मौसमी कृषि कार्यों के लिए ऋण लेने वाले सभी किसानों के लिए योजना वैकल्पिक होगी.
- योजना के तहत अनुसूचित जाति/ अनुसूचित/जनजाति/महिला किसानों की अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किया जाएगा. इसके द्वारा बजट आवंटन और उपयोग संबंधित राज्य के अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति सामान्य वर्ग द्वारा भूमि-भूमि धारण के अनुपात में होगा. पंचायती राज संस्थाओं को कार्यवान्यवन एवं फसल बीमा योजनाओं पर किसानों की प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए शामिल किया जाएगा.
बीमा की इकाई (Unit of insurance)
योजना बड़े पैमाने पर आपदाओं के लिए प्रत्येक अधिसूचित फसल के लिए एक क्षेत्र दृष्टिकोण पर आधारित की जाएगी. सभी बीमित किसान को बीमा की एक इकाई के रूप में एक फसल के लिए ष्अधिसूचित क्षेत्रष् के तौर पर परिभाषित किया जाना चाहिए, जो समान जोखिम का सामना करते हैं और काफी हद तक एक समान प्रति हेक्टेयर उत्पादन के लागत, प्रति हेक्टेयर तुलनीय कृषि आय और अधिसूचित क्षेत्र में जोखिम के कारण एक समान फसल हानि अनुभव करते हैं. अधिसूचित फसल के लिए इंश्योरेंस की यूनिट को जनसंख्या की दृष्टि से समरूप जोखिम प्रोफाइल वाले क्षेत्र से मैप किया जा सकता है.
परिभाषित जोखिम के कारण स्थानीय आपदाओं और फसल कटाई बाद नुकसान के जोखिम के लिए, नुकसान के आकलन के लिए बीमा की इकाई प्रभावित व्यक्तिगत किसान का बीमाकृत क्षेत्र होगा.
फसल बीमा के लिए संपर्क (Contact for crop insurance)
आप बैंक की नजदीकी शाखा कृषि सहकारी समितियां सहकारी बैंक क्षेत्र के लिए अधिसूचित सामान्य बीमा कंपनी तथा जिला कृषि अधिकारी खंड विकास अधिकारी से संपर्क स्थापित किया जा सकता है अथवा वैब पोर्टल www.agriinsurance.gov.in पर जाकर जानकारी हासिल कर सकते हैं.
भारत सरकार ने हाल ही में बीमापोर्टल भी शुरु किया साथ ही फसल बीमा एप्प शुरु किया है जो फसल बीमा, कृषि सहयोग और कृषि कल्याण विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है.
कैसे होती है निगरानी (How is monitoring)
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए राज्य में राज्य समन्वय समिति जिम्मेदार होगी. इससे इतर राष्ट्रीय स्तर पर कृषि सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी समिति योजना का प्रबंधन देखती है.
बीमा लाभार्थियों की सूची ( बैंकवार एवं बीमित क्षेत्रवार) फसल बीमा पोर्टल एवं बीमा कंपनियों की वेबसाइट पर जारी किया जा सकता है.
बीमा कंपनियां दावा राशि प्राप्त करने के बाद संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थाओं को एक सप्ताह के अंदर ही लाभार्थियों के खाते में भेज देनी चाहिए.