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Updated on: 14 July, 2023 12:00 AM IST
Need to improve the deteriorating condition of small farmers by educating them

छोटे किसानों के पास इतनी बड़ी जमीन नहीं होती जिस पर ठीक से खेती की जा सके. यदि होती भी है तो टुकड़े में. सामूहिक परिवारों के बिखरने से जैसे-जैसे जमीन के टुकड़े होते गए. वैसे-वैसे भूमि के उस हिस्से पर खेती की संभावना कम होती गई. यदि किसी के पास बड़ी जमीन है भी तो उस जमीन पर सिंचाई के लिए सुलभ साधन उपलब्ध नहीं है. जिनके पास सिंचाई के साधन है, उनके पास फसल बेचने के लिए पहले की तरह परंपरिक मंडिया नहीं हैजहां पारंपरिक तरीकों से हो रही पैदावार को बेचा जा सके.

मसलन देसी टमाटर और सलाद टमाटर में से सलाद टमाटर की मांग बाजार में ज्यादा है. ऐसे में जो किसान देसी टमाटर उगाते हैं, उन्हें सही दाम नहीं मिल पाते. छोटे किसान की बिगड़ती दशा का एक और कारण उसका समय के साथ विकसित न हो पाना भी है. उदाहरण के लिए पहले लैंडलाइन चलते थेव्यापारियों के लिए समय अनुसार एसटीडी पीसीओ नया व्यापार बना. मोबाइल आया तो उसने लैंडलाइन का व्यापार ठप्प किया और पूरे मार्केट पर कब्जा किया. तब से सब कुछ ऑनलाइन बिकने लगा हैमोबाइल से लेकर रिचार्ज तकउसने मोबाइल व्यापारियों के लिए मन्दी ला दी है. इस पूरी प्रक्रिया में व्यापारियों ने माथा पकड़ कर रोने की जगह समय और जरूरत के हिसाब से व्यापार में बदलाव करते गए.

किसानों के साथ समस्या रही कि वह समय के साथ बदला नहीं. वह देसी टमाटर लगाता है जो बिकता नहीं. इसकी जगह अब हाइब्रिड या अमेरिकन टमाटर लगा सकता है, लेकिन उसके लिए उसे अपनी जमीन को उस हाइब्रिड बीज के लिए तैयार करना होगा जो कि वह यूरिया डालकर करता है. रासायनिक खाद से जमीन की प्रकृतिक उपजाऊ क्षमता प्रभावित होती हैजमीन को नुकसान भी पहुंचाता है. मगर उसकी भरपाई के लिए किसान कोई तैयारी नहीं करता. सीखने या जानने की कोशिश नहीं करता. रासायनिक खाद के अलावा जो कीटनाशक डाले जाते हैंवह मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं उसकी भरपाई के लिए किसानों के पास ना ही कोई सही जानकारी है. ना ही इलाज के तरीके पता है. हमारे देश में आज भी ऐसे कीटनाशक बिकते हैं जो कई देशों में बैन है.

छोटे किसानों का नुकसान देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डालता है. इन समस्याओं से उबरने के लिए किसानों को चली आ रही कुछ नीतियों को बदलना होगा एवं सरकार को भी सही जानकारी पहुंचाने की ओर कुछ ठोस कदम उठाने होंगे. हमारे किसानों की दयनीय अवस्था का एक ही कारण होता हैवह धन का अभाव या कर्ज में डूबती की स्थिति. असल में सिर्फ यही कारण नहीं है.

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खेती को होने वाले नुकसान के कई सारे छोटे-छोटे कारण हैं, जो साथ मिलकर एक विकराल रूप धारण कर लेते हैं. क्षेत्र ऐसे होते हैं जहां सिंचाई के लिए सुगम साधन उपलब्ध नहीं है. वहां परंपरागत फसलों को छोड़कर दूसरी प्रजातियों की खेती की जा सकती है. इमारती लकड़ी की भी खेती होती हैयदि पानी की कमी है तो एलोवेरालेमनग्रासमुनगा आदि लगाए जा सकते हैंजो कम पानी में भी फलते फूलते हैं. मुंडा न फिर कम पानी में पनप सकता है बल्कि यह भूजल स्तर को ऊपर लाने में भी सहयोगी है. औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैबड़ी मुनाफेदार मंडियों में इसकी पहुंच हैं और यह बेहद कम देखरेख मांगता है.

गांव में इस तरह की खेती करने वाले एक या दो किसान ही होते हैं. अन्य किसानों के पास या तो ज्ञान का अभाव होता है या वे कुछ नया करने से हिचकते हैं. इसलिए सरकार को किसानों को जागरूक और शिक्षित करने की जरूरत है.

लेखकरबीन्द्रनाथ चौबे, कृषि मीडिया, बलिया, उत्तरप्रदेश

English Summary: Need to improve the deteriorating condition of small farmers by educating them
Published on: 14 July 2023, 02:19 IST

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