डेयरी क्षेत्र एक ऐसा सेक्टर है, जो भारत के 8 करोड़ परिवारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका देता है. यही नहीं डेयरी क्षेत्र देश की जीडीपी में लगभग पांच प्रतिशत योगदान देता है.
दुग्ध उत्पादन में भारत ग्लोबल लीडर
देश में बढ़ता डेयरी क्षेत्र ही एक मात्र कारण है कि दुग्ध उत्पादन के मामले में भारत ग्लोबल लीडर बनकर उभरा है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के आंकडों पर नजर डालें तो भारत दुनिया में कुल दुग्ध उत्पादन में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है. ये तो रहा डेयरी क्षेत्र से होने वाले फायदे, लेकिन डेयरी क्षेत्र का एक और पहलु है जिसपर शायद ही किसी का ध्यान जाता है. इसके बारे में हम नीचे चर्चा करेंगे.
डेयरी क्षेत्र में होने वाले नुकसान के बड़े कारण
देश के किसान डेयरी क्षेत्र बिजनेस से होने वाले फायदे की वजह से इस ओर ज्यादा रुख करने लगे हैं. लेकिन हाल के दिनों में डेयरी क्षेत्र से होने वाले उत्पादन में काफी हद तक कमी देखी जा रही है, जिससे कई पशुपालकों को नुकसान भी झेलना पड़ रहा है. हम अक्सर डेयरी किसानों की सफल कहानी पढ़ते हैं लेकिन कई ऐसे किसान भी हैं जिनको नुकसान झेलना पड़ा या पड़ रहा है. इसका समाधान हम इसी लेख में आपके साथ साझा करेंगे लेकिन उससे पहले नुकसान के बड़े कारणों पर नजर डालते हैं, जो की निम्नलिखित हैं-
उत्पादन बढ़ाने के लिए पर्याप्त पशुधन का ना मिलना
अच्छी नस्ल की गाय-भैंस खरीदने की समस्या
पशुधन व्यापार में सीमन व भ्रूण खरीदने की समस्या
गार्भिन पशुओं का सही तरीके से देखभाल नहीं हो पाना
पशु में होने वाले रोगों का सही तरीके से इलाज नहीं हो पाना
जैसे की सभी को पता है कि अच्छी नस्ल की गाय-भैंस ज्यादा दुग्ध उत्पादन करती है. लेकिन देश के किसानों को अच्छी नस्ल की दुधारू पशु खरीदने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. क्योंकि आकड़ों को देखें भारतीय दुधारू पशुओं की उत्पादकता दुनिया के ज्यादातर दुग्ध उत्पादक देशों की तुलना में कम है. कम उत्पादकता के कारण किसानों को दुधारू पशुओं के पालन से लाभकारी आय नहीं हो रही है. जब देश में ही दुधारू पशुओं की उत्पादकता कम है तो ऐसे में यहां के किसानों के लिए अच्छी नस्ल और ज्यादा दूध देने वाली गाय-भैसों को खरीदना बेहद मुश्किल हो जाता है. किसानों को इसके लिए अपने क्षेत्र में लगने वाले पशु मेले का इंतजार करना पड़ता है और इसमें भी किसानों को किफायती दर और अच्छी नस्ल के पशु ही मिले इसकी कोई गारंटी नहीं होती है.
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जैसे मान लिजिए कि अगर कोई किसान बिहार का है और वो हरियाणा से अच्छी नस्ल की कोई गाय-भैंस खरीदना चाहता है तो उसके लिए पहले तो वहां जाना ही बेहद मुश्किल होगा और अगर चला भी गया, तो वहां से ट्रांसपोर्ट के महंगे पैसे खर्च कर इतनी दूर पशु को लाना बेहद मुश्किल और महंगा होगा. ऐसा ही दुधारू पशुओं को बेचने वाले किसानों के साथ भी है. अगर कोई किसान अपने पशु को बेचकर पैसा कमाना चाहता है तो उसे भी इन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पशुपालक किसानों को सीमन व भ्रूण खरीदने और बेचने पर भी बिल्कुल ऐसी ही समस्याओं से जुझना पड़ता है. अच्छी नस्ल के सीमन व भ्रूण डेयरी क्षेत्र के विस्तार के सबसे अहम पहलू हैं. हालांकि इन सभी समस्याओं का समाधान हमारे पास है.
पशुपालकों की समस्याओं का ऑनलाइन समाधान
दरअसल, केंद्र सरकार पशुधन व्यापार से जुड़े किसानों को हो रही इन्हीं समस्याओं के परिदृश्य को देखते हुए ऑनलाइन पोर्टल और ऑनलाइन ऐप चलाती है. ये पोर्टल और ऐप देशभर के पशुपालक किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि इसका इस्तेमाल कर किसान घर बैठे दुधारू पशुओं की खरीद और ब्रिकी कर सकते हैं. ना सिर्फ पशुओं को बल्कि सीमन, भ्रूण और पशुधन की सभी जरूरी चीजों को भी खरीद और बेच सकते हैं. ऐसे में आइये इस ऑनलाइन पोर्टल और ऐप के बारे में जानते हैं-
ई-पशु हाट पोर्टल (e-Pashu Haat Portal)
ई-गोपाला ऐप (e-Gopala App)
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