Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 22 September, 2023 12:00 AM IST
Cow has been given importance since the Vedic period

आज के दौर में हर कोई भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान की तरफ अग्रसर है. इस विज्ञान की दुनिया में किसी के सामने यदि धर्म चर्चा की जाए तो यह कहकर टाल दिया जाता है कि मनुष्य की सभी आवश्यकताओं को विज्ञान पूरा कर रही है, फिर धर्म की दुहाई क्यों? यदि विज्ञान-भक्ति का चश्मा उतारकर शुद्ध दृष्टि से देखें तो मालूम होगा विज्ञान और धर्म का चोली-दामन का रिश्ता है. ये दोनों परस्पर सापेक्ष हैं. हिन्दू संस्कृति में जहां धर्म की प्रधानता दी गई है. वहीं विज्ञान की भी उपेक्षा नहीं की गई है.

गो सेवा-प्रधान धर्म

हिन्दू संस्कृति में गो सेवा धर्म को प्रधान धर्म माना गया है. वैदिक काल से लेकर आज तक गो-गरिमा के गीत गाए जाते हैं. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों के साधन का मूल स्वरुप गो माता ही हैं. वेद, शास्त्र, पुराण और साधु-संतों ने इन देवी की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है. हिन्दू धर्म का सौभाग्य और वैभव गोमाता से ही है. हमारे राष्ट्र का जीवन गो माता पर ही अवलम्बित है. ऐसा माना जाता है गो माता सुखी तो राष्ट्र सुखी. लेकिन आज हम गो सेवा और गो सुरक्षा की बात पर विचार करना ही नहीं चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें : कुछ हट कर: राजनीति के दांव पक्के और जनता कच्ची

वेदों में गाय के दूध को अमृत कहा गया

गाय हमारे लिए कोई पशु नहीं है बल्कि ये हमारी मां हैं. हमारी आस्था काफी ही प्रगढ़ है. साथ ही साथ  ये एक आर्थिक और सामाजिक संस्था है. हमारा शाकाहार प्रधान देश अपने आहार के आवश्यक तत्वों के लिए मुख्यतः गाय के दूध पर निर्भर है. आज गो ज्ञान अपने आप में एक विषय बनता जा रहा है और आने वाले समय में जन समूह तक फिर से गाय महिमा सुनाई जायेंगीं और हमें ये समझना पड़ेगा गो हत्या या गो को संरक्षण न देना अपने राष्ट्र को गर्त में भेजने से कम साबित नहीं होगा. 'यतो गावस्ततो वयं' अथार्त गायें है, इसीलिए ये बात हम सभी को ध्यान में रखना चाहिए. वेदों में गाय के दूध को अमृत कहा गया है. धर्मशास्त्र तो गोधन की महानता और पवित्रता का वर्णन करता ही है. साथ ही भारतीय अर्थशास्त्र में भी गोपालन का विशेष महत्व है. कौटिल्य अर्थशास्त्र में गो पालन और गो रक्षण का विस्तृत विवरण मिलता है.

गाय माता होते हुए भी आज हो रहीं हैं तिरस्कृत

आज गाय माता को हम मां तो मानते हैं लेकिन कहीं ना कहीं हमारी संवेदना गाय के प्रति घटती जा रही है. साथ ही कई गाय पालकों को देखा जाता है कि वो गाय के प्रति तभी अपनी सहानुभूति दिखाते हैं जब गाय दुहना होता है. उसके बाद गाय कहां है. कहां विचर रही है, क्या खा रही है,  इससे कोई मतलब नहीं. सड़क-चौराहों पर देखने को मिल ही जाता है कि गाय कभी कूड़े को खाती है तो कभी पॉलिथीन में फेंकी कोई साम्रगी को निगल जाती है. जिसकी वजह से गाय के पेट में पॉलिथीन होने से उसे कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं. साथ ही पेट में पॉलिथीन जाने की वजह से पाचन क्रिया बाधित हो जाती हैं. ये दृश्य बताती है कि हम गाय माता को लेकर कितने सजग व संवेदनशील हैं.

वेदों में गाय के दूध को अमृत कहा गया

गाय हमारे लिए कोई पशु नहीं है बल्कि ये हमारी मां हैं. हमारी आस्था काफी ही प्रगढ़ है. साथ ही साथ  ये एक आर्थिक और सामाजिक संस्था है. हमारा शाकाहार प्रधान देश अपने आहार के आवश्यक तत्वों के लिए मुख्यतः गाय के दूध पर निर्भर है. आज गो ज्ञान अपने आप में एक विषय बनता जा रहा है और आने वाले समय में जन समूह तक फिर से गाय महिमा सुनाई जायेंगीं और हमें ये समझना पड़ेगा गो हत्या या गो को संरक्षण न देना अपने राष्ट्र को गर्त में भेजने से कम साबित नहीं होगा. 'यतो गावस्ततो वयं' अथार्त गायें है, इसीलिए ये बात हम सभी को ध्यान में रखना चाहिए. वेदों में गाय के दूध को अमृत कहा गया है. धर्मशास्त्र तो गोधन की महानता और पवित्रता का वर्णन करता ही है. साथ ही भारतीय अर्थशास्त्र में भी गोपालन का विशेष महत्व है. कौटिल्य अर्थशास्त्र में गो पालन और गो रक्षण का विस्तृत विवरण मिलता है.

गाय माता होते हुए भी आज हो रहीं हैं तिरस्कृत

आज गाय माता को हम मां तो मानते हैं लेकिन कहीं ना कहीं हमारी संवेदना गाय के प्रति घटती जा रही है. साथ ही कई गाय पालकों को देखा जाता है कि वो गाय के प्रति तभी अपनी सहानुभूति दिखाते हैं जब गाय दुहना होता है. उसके बाद गाय कहां है. कहां विचर रही है, क्या खा रही है,  इससे कोई मतलब नहीं. सड़क-चौराहों पर देखने को मिल ही जाता है कि गाय कभी कूड़े को खाती है तो कभी पॉलिथीन में फेंकी कोई साम्रगी को निगल जाती है. जिसकी वजह से गाय के पेट में पॉलिथीन होने से उसे कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं. साथ ही पेट में पॉलिथीन जाने की वजह से पाचन क्रिया बाधित हो जाती हैं. ये दृश्य बताती है कि हम गाय माता को लेकर कितने सजग व संवेदनशील हैं.

English Summary: Cow has been given importance since the Vedic period.
Published on: 22 September 2023, 01:50 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now