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Updated on: 12 June, 2023 12:00 AM IST
Bioengineering can make advanced fertilizers

जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) एक अभियांत्रिकी शाखा है जो जैविक पदार्थों, जैव विज्ञान और इंजीनियरिंग के संयोग से जुड़ी होती है. यह विज्ञान और इंजीनियरिंग के माध्यम से जीवविज्ञान के सिद्धांतों का उपयोग करके, जैविक पदार्थों और विषयों के विकास, उत्पादन, प्रसंस्करण और उपयोग के लिए तकनीकी समाधान ढूंढ़ती है.

Improved seeds are developed with the help of Bioengineering

जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) का उद्देश्य

जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) का उद्देश्य जैविक पदार्थों की प्रक्रियाओं को समझना, उन्हें सुधारना और उन्हें उपयोगी उत्पादों में रूपांतरित करना होता है. यह उत्पादों की गुणवत्ता, उत्पादकता और स्थायित्व में सुधार करने का एक मार्ग प्रदान करती है. जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) के तत्वों के उपयोग से खाद्य उत्पादों, औषधीय उत्पादों, जैविक ईंधन, स्वच्छता तकनीक, पर्यावरणीय तकनीक, और बायोमेडिकल उत्पादों का विकास किया जाता है.

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जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) में कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं, जैसे कि जैव प्रोसेस इंजीनियरिंग, जैविक इंस्ट्रुमेंटेशन, जैव संपादन, जैविक पदार्थ निर्माण आदि. इन्ही के द्वारा आज जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) खेती में विभिन्न तरीकों से उपयोगी होती है. इसके द्वारा खेती क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और जैविक पदार्थों का उपयोग करके फसलों की प्रबंधन प्रक्रियाओं को सुधारा जा सकता है. यह खेती के निम्नलिखित क्षेत्रों में उपयोगी होती है:

Bioengineering can bring revolution in agriculture

जैविक खेती में आता है सुधार

जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) खेती में सबसे पहले जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाता है. इसमें जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, जैविक उर्वरक, जैविक बीज, और प्राकृतिक प्रबंधन प्रणाली आदि को शामिल किया जा सकता है. जैविक खेती में जैविक पदार्थों का उपयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है, पौधों का प्रभावशाली प्रबंधन होता है, कीट-रोगों का प्रबंधन संभव होता है, और प्रदायित्व में सुधार होता है.

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जैव उर्वरक के उपयोग को बनाता है आसान

जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) खेती में जैव उर्वरकों का उपयोग करने से फसलों को पोषण मिलता है और उनकी उर्वरा शक्ति बढ़ती है. ये उर्वरक प्राकृतिक जैविक पदार्थों से बने होते हैं, जो पौधों को विभिन्न पोषक तत्व और मिनरल्स प्रदान करते हैं. जैव उर्वरक प्रदूषण में कमी लाते हैं और मिट्टी की उपजाऊता को बढ़ाते हैं.

Bioengineering is changing the picture of farmers

उन्नत जैविक कीटनाशक का निर्माण

जैविक अभियांत्रिकी खेती में जैविक कीटनाशकों का उपयोग करने से कीट और पशुओं के प्रभावी नियंत्रण का एक भी समाधान होता है. इन कीटनाशकों में पौधों द्वारा उत्पन्न जैविक पदार्थों, मिट्टी से प्राप्त कीटनाशकों और माइक्रोऑर्गेनिज्म्स का उपयोग किया जाता है. ये कीटनाशक पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित होते हैं.

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जैव बीजों के निर्माण में सहायक

जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) खेती में जैविक बीजों का उपयोग करने से उत्पादकता बढ़ती है और प्रतिरोधशीलता में सुधार होता है. जैविक बीज उच्च गुणवत्ता और विषमुक्त होते हैं, जो फसलों की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने में मदद करते हैं.

यही कारण है कि आज भारत ही नहीं बल्कि विश्व भी कृषि क्षेत्र में तकनीक के विकास को लेकर लगातार सक्रीय भागीदारी के साथ आगे बढ़ रहा है. जैव अभियांत्रिकी (Bioengineering) कृषि में सुधारों को लेकर एक बड़ी पहल है जिसकी सहायता से हम कृषि में उन्नत और उच्च उत्पादकता प्राप्त कर सकते हैं.

English Summary: Bioengineering Know what is bioengineering and how it is a boon for farming
Published on: 12 June 2023, 12:30 IST

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