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फूलों की खेती ने बदली किसान की किस्मत

फूलों की खेती के आइडिए ने बेरोजगारी का दंश झेल रहे राजेश चौबे के परिवार की तकदीर ही बदल डाली. पारंपरिक खेती छोड़ फूलों की फसल उगाने वाले राजेश अब सालाना तीन लाख रुपये कमा लेते हैं इसके साथ ही उनके परिवारिक हालात में भी काफी ज्यादा सुधार हुआ है. आत्मनिर्भर राजेश अब दूसरों को भी रोजगार देने की स्थिति में हैं.

फूलों की खेती के आइडिए ने बेरोजगारी का दंश झेल रहे राजेश चौबे के परिवार की तकदीर ही बदल डाली. पारंपरिक खेती छोड़ फूलों की फसल उगाने वाले राजेश अब सालाना तीन लाख रुपये कमा लेते हैं इसके साथ ही उनके परिवारिक हालात में भी काफी ज्यादा सुधार हुआ है. आत्मनिर्भर राजेश अब दूसरों को भी रोजगार देने की स्थिति में हैं. नौकरी की तलाश में महानगरों की खाक छानकर थक चुके ग्राम छाती निवासी राजेश चौबे ने दस साल पहले घर लौटकर बंजर खेतों को आजीविका का आधार बनाया. शुरू में उन्होंने पारंपरिक खेती को आगे बढ़ाने का कार्य किया लेकिन कुछ फायदा न हुआ. बाद में उद्यान विभाग ने उन्हें व्यावसायिक खेती का सुझाव दिया. उद्यान विभाग की पहल पर राजेश चौबे ने फूलों की खेती में हाथ आजमाया.

बागेश्वर में ही मिल रहा अच्छा बाजार

फूलों की खेती कर रहे राजेश बताते हैं कि बाजार में गेंदा और ग्लेडियस के फूलों की बड़ी मांग है. यहां के परिवेश में गेंदा और ग्लेडियस के फूलों की अच्छी पैदावार हो सकती है. उनके उत्पादित फूल बागेश्वर बाजार में ही हाथों हाथ बिक जाते हैं. नवरात्र, दशहरा, दीपावली आदि पर्वों के साथ ही विभिन्न समारोह में फूलों की खासी मांग रहती है. राजेश बताते हैं कि अक्सर मांग की तुलना में आपूर्ति ही कम हो जाती है. फूलों की खेती से किसानों को काफी लाभ है. इस कार्य के लिए विभाग भी ग्रामीणों को बीज आदि सरकारी मदद मुहैया कराता है. सरकारी मदद और अपनी लगन से राजेश चौबे काफी अच्छा मुनाफे को कमाने का कार्य कर रहे है.

 

किशन अग्रवाल, कृषि जागरण

English Summary: Flower farming changed the fate of the farmer Published on: 13 October 2018, 06:55 PM IST

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