1. Home
  2. ख़बरें

सुमिन्तर इंडिया ऑर्गेनिक्स से किसानों ने पाया "जैविक खेती-फसल पूर्व प्रशिक्षण"

सुमिंतर इंडिया ऑर्गेनिक्स का जैविक खेती को बढ़ावा देने का एक प्रयास है- "आदर्श जैविक प्रक्षेत्र" एवं आदर्श जैविक खेती किसान तैयार करना है। इस दिशा में महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अकोला, वाशिम, बुलढ़ाना, यवतमान, एवं अरावती जिले में 200 "आदर्श जैविक प्रक्षेत्र" बनाने का निर्णय लिया है। उन्नत आदर्श प्रक्षेत्र को विकसित करने में किसान की भागीदारी आवश्यक है जिसके लिए फसल पूर्व प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। यह फसल पूर्व प्रशिक्षण महाराष्ट्र के विधर्व क्षेत्र के जिला अकोला, अमरावती बुढ़ाना के लगभग 170 किसानों को दिया गया.

जिम्मी

सुमिंतर इंडिया ऑर्गेनिक्स का जैविक खेती को बढ़ावा देने का एक प्रयास है-

"आदर्श जैविक प्रक्षेत्र" एवं आदर्श जैविक खेती किसान तैयार करना है। इस दिशा में महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अकोला, वाशिम, बुलढ़ाना, यवतमाल, एवं अमरावती जिले में 200 "आदर्श जैविक प्रक्षेत्र" बनाने का निर्णय लिया है। उन्नत आदर्श प्रक्षेत्र को विकसित करने में किसान की भागीदारी आवश्यक है जिसके लिए फसल पूर्व प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

यह फसल पूर्व प्रशिक्षण महाराष्ट्र के विधर्व क्षेत्र के जिला अकोला, अमरावती, बुलढ़ाना, के लगभग 170  किसानों को दिया गया. |
“फसल पूर्व प्रशिक्षण” में प्रशिक्षक की भूमिका कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक (शोध एवं विकास) संजय श्रीवास्तव ने निभाया और उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया की जैविक खेती का मुख्य आधार जैविक खाद है, जो पशुओं के मल- मूत्र एवं फसल अवशेष एवं वनस्पत्तियों से तैयार होती है. वर्तमान मे किसान खाद या कम्पोस्ट को एक ढेर के रुप में एकत्र कर वर्ष में एक बार गर्मी में खाली खेत में डालते हैं. ढ़ेर में खाद ठीक से स़ड़ती नहीं है और तेज गर्मी/धूप से उपलब्ध पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. साथ ही अधपकी खाद के उपयोग से खेतों मे दीमक का प्रकोप बढ़ जाता है. इससे बचाव हेतु एवं अच्छी खाद मात्र 2 माह में कैसे तैयार हो इसके लिए राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (NCOF) द्वारा विकसित वेस्ट डी- कम्पोजर के बहुलीकरण एवं उपयोग की विधि बताया गया प्रशिक्षण में आए हुए किसानों को बहुलीकृत वेस्ट डी-कंपोजर की एक लीटर की बोतल प्रत्येत किसानों को दिया गया तथा इसे पुन: कैसे बहुलीकृत कर उपयोग करें बताया गया.

खाद तैयार करने की अन्य विधियां जैसे- घन-जीवमृत, जीवामृत, आदि बनाने का प्रशिक्षण संजय श्रीवास्तव द्वारा बनाकर दिखाया गया.

यह फसल पूर्व प्रशिक्षण आगामी खरीफ फसल को ध्यान में रखकर किया गया.खरीफ मौसम  में इस क्षेत्र की मुख्य फसल सोयाबिन एवं अरहर है. जिसमें खेत की तैयारी बीज का चुनाव, जमाव परिक्षण, बीज उपचार, जीवाणु खाद का प्रयोग कर बीज उपचार कैसे करें बताया गया.

फसल बोने के बाद खड़ी फसल में जीवामृत व वेस्टडी-कंपोजर घोल का प्रयोग कैसे करें इसकी जानकारी किसानों को दी गई. जीवामृत तथा वेस्टडी-कंपोजर का घोल कैसे बनाएं यह बताया गया और बनाकर दिखाया गया.

फसल की बढ़वार के बाद कीट से बचाव हेतु विषरहित फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग कब कैसे करें तथा इसके क्या फायदे हैं बताया गया.

कीटों के नियंत्रण हेतु स्थानीय रूप से उपलब्ध पेड़ पौधों के पत्तियों का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के हर्बल सत् तैयार कर उनका उपयोग कैसे करें बताया गया. जिसमें दशपर्णी अर्क, पंचपत्ती अर्क एवं सत गौ-मूत्र पुरानीछाछ, नीम बीज सत्, लहसुन मिर्च सत् आदि को बनाकर दिखाया गया. इसका फसल पर उपयोग कर किसान विषमुक्त उत्पादन बिना खर्च के प्राप्त कर सकते हैं.
यह फसल पूर्व प्रशिक्षण इतना ज्ञानवर्धक एवं रोचक था कि किसान तपति धूप एवं गर्मी जिसमें तापमान 47 डिग्री होने पर भी जानकारी लेते दिखाई दे रहे थे।
कार्यक्रम के समापन पर कंपनी के महाराष्ट्र प्रदेश के प्रबंधक श्री राजीव पाटिल ने आए हुए किसानों को धन्य्वाद दिया तथा भोजन ग्रहण कर जाने का निवेदन किया।


सोर्स : सुमिंतर इंडिया ऑर्गेनिक्स

English Summary: Suminter India Organis Provided Pre- Seasion training to Farmers Published on: 30 April 2019, 07:51 PM IST

Like this article?

Hey! I am जिम्मी. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News