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छत्तीसगढ़ी भैंस को पशु नस्ल पंजीकरण के लिए प्रमाण पत्र

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री ने एक मिशन दिया. किसान पशुधन से कैसे अपनी आय को बढ़ा सकते हैं, इसके लिए सभी राज्य अनुदान भी देते हैं. भैंस हो या गांय, इसके द्धारा किसान भाई अपनी एक डेरी भी खोल सकते हैं.

किसानों  की  आय  दोगुनी  करने  के  लिए  प्रधानमंत्री  ने  एक  मिशन  दिया. किसान  पशुधन  से  कैसे अपनी  आय को  बढ़ा  सकते  हैं, इसके  लिए  सभी  राज्य  अनुदान  भी  देते  हैं. भैंस  हो  या  गांय,  इसके द्धारा  किसान  भाई  अपनी  एक  डेरी भी  खोल  सकते  हैं.

अभी  हाल  ही  में  कृषि  मंत्री  राधा  मोहन  सिंह  जी  ने  ऐसी  सभी  नस्लों  के  रजिस्ट्रेशन  सर्टिफिकेट का  वितरण  भी  किया. इसी कड़ी में  छत्तीसगढ़ी  भैंस को पशु नस्ल पंजीकरण के लिए प्रमाण पत्र  भी  दिया  गया है. राधा मोहन सिंह, केंद्रीय कृषि मंत्री, की अध्यक्षता में भाकृअनुप- राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ने कृषि भवन, नई दिल्ली में पशु नस्ल पंजीकरण के लिए हितधारकों  को प्रमाण पत्र वितरित करने हेतु समारोह का आयोजन किया।

इस अवसर पर गोवंश की दो नस्लें लद्दाखी (जम्मू और कश्मीर) और कोंकण कपिला (महाराष्ट्र और गोवा), भैंस की तीन नस्लें लुइत (असम और मणिपुर), बरगुर (तमिलनाडु), और छत्तीसगढ़ी (छत्तीसगढ़), बकरी की छह नस्लें काहमी (गुजरात), रोहेलखण्डी (उत्तरप्रदेश), असम हिल (असम), बिदरी और नंदीदुर्ग (कर्नाटक), भकरवाली (जम्मू और कश्मीर), एक भेड़ पंचाली (गुजरात), एक सूअर घुर्रा (उत्तर प्रदेश), एक गधा हलारी (गुजरात), और एक कुक्कुट, उत्तरा कुक्कुट (उत्तराखंड) कुल पंद्रह नए पशु नस्लों को पंजीकृत किया गया।

श्री राधा मोहन सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि 2014 - 2018 के बीच कुल 40 नई पशुओं के नस्ल को पंजीकृत किया गया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इन नई नस्लों की पहचान सूकर, गर्दभ, याक, बतख, हंस आदि जैसी प्रजातियों के लिए भी की गई जो अधिकतर सीमान्त किसानों के पास होते हैं। उन्होंने कहा कि इन नई नस्लों को पंजीकृत करने के बाद देश में स्वदेशी नस्लों की कुल संख्या 184 हो गई हैं, जिनमें 43 गोवंश, 16 भैंस, 34 बकरी, 43 भेड़, 7 घोड़े और टट्टू, 9 ऊँट, 8 सूकर, 2 गधे, 1 याक, 19 कुक्कुट, 1 बतख और 1 गीस की नस्लें शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास दुनिया के कुल गोवंश का लगभग 15%, भैंस का 57%, बकरी का 17%, भेड़ का 7% और चिकन का 4.5% है। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों, राज्यों के कृषि एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों और पशुपालन विभागों के अधिकारियों द्वारा अद्तीय नस्लों की पहचान के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और जनजातीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले देश के दूरदराज के हिस्सों में उपलब्ध पशुधन और कुक्कुट नस्लों की पहचान एवं पंजीकरण प्राथमिकता पर होना चाहिए, जिससे नस्लों के विकास कार्यक्रमों के माध्यम से समुदाय लाभान्वित होंगे। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने पशु नस्ल पंजीकरण हितधारकों को प्रमाण-पत्र दिया।

इस अवसर पर श्री परुषोत्तम रुपाला, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्रीमती कृष्णा राज, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री और श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री के साथ-साथ मंत्रालय और परिषद के अन्य उच्च अधिकारी भी मौजूद रहे। 

चंद्र  मोहन, कृषि जागरण

English Summary: Certificate for animal breed registration to Chhattisgarhi buffaloes Published on: 14 December 2018, 04:08 PM IST

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