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हे माधव ! मैं प्राण छोड़ सकता हूं लेकिन सच को नहीं

'सच' - ये वो शब्द है जो आज सुनने को बहुत कम मिलता है. यूं तो सच के नाम से हरिशचंद्र ही याद किए जाते हैं लेकिन एक नाम और है जिसकी चर्चा नहीं होती.