भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का कहना था कि उनकी लिखी कविताएं युद्ध की घोषणा करने जैसी हैं.
जेठ हो कि हो पूस, हमारे किसान को आराम नहीं है छूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम नहीं है मुख में जीभ शक्ति, भुजा में, जीवन में सुख का नाम नहीं है वस…