देश की युवा पीढ़ी का रूझान अब आधुनिक खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. जिससे उन्हें अच्छी कमाई होने के साथ-साथ एक अलग पहचान भी मिल रही है. इसी फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ गया है युवा किसान राहुल जाधव का जो कि महाराष्ट्र के सतारा जिले के पिंपोड़े बुद्रुक (तहसील कोरेगांव) गांव से ताल्लुक रखते हैं. प्याज सीड की खेती के पहले राहुल जाधव बैंक में अच्छी खासी नौकरी करते थे. लेकिन बैंक की नौकरी छोड़ उन्होंने आधुनिक खेती को अपनाया और आज वे देशभर में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं. तो आइये जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.
एग्रीकल्चर ऑफिसर की नौकरी छोड़ी
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के राहुरी स्थित महात्मा फ़ुले कृषि विद्यापीठ से उन्होंने एग्रीकल्चर में एमएसएसी किया. इसके बाद उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक में तकरीबन साढ़े चार साल तक एग्रीकल्चर ऑफिसर की नौकरी की. राहुल ने बताया कि उनके पेरेंट्स शुरू से नहीं चाहते थे कि वे नौकरी करें इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर खेती से कमाई करने का मन बनाया. उनके पिताजी रामराव जाधव की ज्वार, गेहूं, चावल जैसी परंपरागत खेती के प्रति रूचि नहीं थी. इसलिए वे प्याज सीड का उत्पादन करते थे. शायद इसलिए ही राहुल ने भी पिता के नक्शे कदम पर चलकर प्याज सीड की खेती शुरू की.
सालाना 30 टन का उत्पादन
राहुल ने आगे बताया कि वे प्याज की पूना फुरसुंगी किस्म के बीज का उत्पादन करते हैं. इसके लिए 85 से 110 ग्राम के प्याज का चयन किया जाता है. प्याज सीड का उत्पादन वे अपनी 12 एकड़ जमीन के अलावा क्षेत्र के किसानों के साथ मिलकर उगाते हैं. आज वे क्षेत्र के 180 से अधिक किसानों को रोजगार दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा उत्पादित किया गया प्याज सीड मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जाता है. पिछले साल उन्होंने 25 से 30 टन प्याज बीज का उत्पादन किया था. आज उनका सालाना टर्नओवर 4 से 5 करोड़ रूपये का है.
कैसे होती है बीज की ग्रेडिंग
अपने प्याज सीड की खासियत बताते हुए कहा कि इस बीज में की जनरेशन क्षमता 90 फीसदी तक होती है. इसके लिए सही तरीके से बीज की ग्रेडिंग की जाती है. वे दो क्वालिटी में अपना सीड बेचते हैं. पहली क्वालिटी प्रीमियम और दूसरी इकोनॉमिकल क्वालिटी होती है. उनकी प्रीमियम क्वालिटी का सीड 1600 से 2000 प्रति किलो के भाव बिकता है. अपने सीड के बारे में उन्होंने बताया कि इस किस्म के प्याज को 6 से 8 महीने तक आसानी से स्टोरेज किया जा सकता है.
कब लगा सकते हैं?
प्याज की इस किस्म को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में अक्टूबर-नवंबर, राजस्थान में जनवरी-फरवरी, कर्नाटक में जून-जुलाई महीने में किसान लगाते हैं. प्याज डार्क पिंक कलर का होता है. जिसकी अंकुरण क्षमता अच्छी होती है. राहुल ने बताया कि आज उनसे 10 हजार से अधिक किसान जुड़े हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह लोगों का उनके बीज पर भरोसा होना.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
नाम -राहुल जाधव
मोबाइल नंबर -77750-64052
ब्रांड नाम-जाधव टेलरिंग फार्म
पता - पिंपोड़े बुद्रुक,तहसील कोरेगांव, जिला सतारा, महाराष्ट्र.