पंजाब के तरनतारन जिले के युवा किसान दलजीत सिंह अपने क्षेत्र में एक अलग पहचान बना चुके हैं. पहचान की वजह बनीं है मशरूम की उन्नत खेती. दरअसल, पाकिस्तान की सीमा से सटे तरनतारन जिले के गांव हरबंसपुरा में कई किसान हैं, लेकिन यहाँ दलजीत सिंह की पहचान सबसे अलग है. वे क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. तो ऐसे में आइये जानते हैं उनकी सफलता की कहानी-
एक शेड से की शुरुआत
दलजीत सिंह भी अपने क्षेत्र के अन्य किसानों की तरह अपने खेतों में पराली और नाड़ की समस्या से परेशान थे. इसलिए उन्होंने आर्थिक तंगी से निपटने के लिए मशरूम की खेती शुरू की. उनके पास 7 एकड़ जमीन है लेकिन इसके बावजूद खेती से अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाता था. ऐसे में उन्हें मशरूम की खेती करने का आईडिया आया. उन्होंने मशरूम की खेती की शुरुआत महज एक शेड डालकर की थी, लेकिन अब उनके पास 20 शेड है. उनके हर शेड की लंबाई 70 फीट और चौड़ाई 20 फीट है.
150 क्विंटल मशरूम का उत्पादन
अपनी मेहनत और लगन के दम पर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है. उन्हें लोग सफेद क्रांति का जनक कहने लगे हैं. लेकिन यह बात सच है क्योंकि वे अकेले ही साल में 150 क्विंटल मशरूम का उत्पादन करते हैं. जिन्हें वे 200 ग्राम के पैकेट बनाकर बाजार में पहुंचाते हैं. कुल माल से उन्हें 13 से 14 लाख रुपये की कमाई होती है. 34 साल के दलजीत अपने काम को संभालने के लिए आठ-दस मजदूर भी रखें हैं. वहीं वे एरिया के अन्य किसानों को भी मशरूम की खेती ट्रैनिंग प्रदान कर रहे हैं.
कई सम्मान
उनके इस काम से प्रभावित होकर उन्हें कृषि विभाग ने भी सम्मानित किया है. वहीं क्षेत्र के डिप्टी कमिश्नर ने भी उन्हें एक पत्र लिखा था जिसमें उनकी मेहनत और लगन की प्रशंसा की थी. उन्होंने कहा था कि अन्य किसानों को भी दलजीत के काम से प्रेरणा लेनी चाहिए. वहीं क्षेत्रीय विधायक डॉ. धर्मबीर अग्निहोत्री ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि जिस तरह से दलजीत सिंह मशरूम की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं उसी तरह अन्य किसानों को भी इस क्षेत्र में प्रयास करना चाहिए.