मध्य प्रदेश का निमाड़ अंचल कपास और मिर्च की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां किसान अब नवाचार करते हुए बांस की खेती कर रहे हैं. जिसकी बीड़ा यहां के प्रोग्रेसिव फार्मर विजय पाटीदार ने उठाई है. वे खरगोन जिले के गांव मेनगांव से ताल्लुक रखते हैं और बांस की सफल खेती कर रहे हैं. अपनी मेहनत से उन्होंने आज अपनी एक ख़ास पहचान कायम कर ली है. तो आइये जानते हैं विजय पाटीदार की सफलता की कहानी.
कटंग बांस के पौधे लगाए
दो वर्ष पहले विजय ने अपने खेत में बांस की कटंग किस्म के 4 हजार पौधे लगाए. आज उन्होंने 75 हजार से अधिक बांस का उत्पादन किया है. उन्होंने बताया कि बांस की खेती के पहले वे सब्जियां और अन्य फसलें उगाते थे. जिसमें उन्हें कई बार नुकसान उठाना पड़ता था और लागत भी नहीं निकल पाती थी. इस वजह से वे ऐसी फसल बोने की खोज में थे जिसमें कम जोखिम हो और अच्छा उत्पादन मिलें. यही वजह हैं कि उन्होंने बांस की खेती शुरू की.
40 लाख रुपये तक कमाई हो सकती है
विजय का कहना हैं कि चौथे साल बांस के प्रति भिर्रा से 40 फीट लंबे 10 बांस प्राप्त किये जा सकते हैं. इस तरह 4 हजार पौधों से 40 हजार बांस प्राप्त होते हैं. बाज़ार में प्रति बांस की कीमत 100 रुपये तक मिल जाती है. इस तरह चौथे साल 40 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. वहीं एक एकड़ से चौथे साल 1 हजार क्विंटल सुखी पत्तियां मिल जाती है. जिससे अच्छी क्वालिटी की कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकती है. जिसका उपयोग सब्जी और अन्य फसलों में किया जा सकता है.
प्रति पौधा 120 रुपये की सब्सिडी
बांस की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. बांस की खेती के बीच लहसुन, अदरक, शिमला मिर्च आदि फसलें लगाई जा सकती है.जिससे किसानों को निरंतर आय मिल जाती है. उन्होने बताया कि बांस की पत्तियों की छाया कि वजह से फसलों में कम पानी की आवश्यकता होती है तथा गर्मी का भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है. इधर, मध्य प्रदेश सरकार बांस की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति पौधा 120 रुपये की सब्सिडी देती है. इससे किसानों की लागत भी कम हो जाती है.
100 सालों तक उत्पादन
विजय ने बताया कि बांस की खेती पर्यावरण के लिए भी अच्छी होती है. यह कार्बन डाईऑक्साईड के तीव्रता को कम करके मौसम में ठंडक प्रदान करता है. वहीं कटंग बांस की चौथे साल कटाई के बाद इससे हर साल बांस प्राप्त होते रहते हैं. बांस की इस किस्म से 100 से 110 सालों तक लगातार बांस मिलते हैं जिससे पेंशन की भी अच्छी जुगाड़ हो सकती है. उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी खेती के 10 फीसदी भाग में बांस लगाना चाहिए.
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