कहते है कि नारी शक्ति में बड़ी ताकत यदि कोई महिला कुछ करने की ठान ले तो वह बिलकुल भी हार नहीं मानती. ऐसी ही पंजाब के लुधियाना एक महिला किसान है गुरदेव कौर, जिन्होंने अपने आप को हर हाल में साबित किया है. गुरदेव कौर सरकारी नौकरी छोड़कर आज जैविक खेती कर रही हैं वो अपने साथ गांव की महिलाओं को स्वावलंबी भी बना रही हैं.
उन्होंने कृषि के साथ-साथ उद्यमिता की बारीकियों को भी सीखा और अपने व्यवसाय की शुरुआत की. उन्होंने पिछले 9 सालों में उनकी बनाई संस्था का टर्नओवर 40 लाख तक पहुँचा दिया है। उनके साथ इस संस्था में लगभग 300 महिलाए कार्य कर अपनी आजीविका चला रही हैं. जैसा की पहले भी बताया गुरदेव पहले खेती नहीं करती थी वह सरकारी स्कूल में गणित की अध्यापिका थीं, लेकिन उन्होंने एक साल नौकरी करने के बाद उस पेशे को अलविदा कह दिया. उनके पति भी सरकारी नौकरी करते थे, लेकिन उनके रिटायर होने के बाद घर की स्थिति काफी खराब हो गई। इसके बाद साल 2008 में गुरदेव ने कुछ अलग करने की सोची.
उन्होंने गांव में खाली पड़ी करीब ढाई एकड़ जमीन को उपयोग में लाने का सोचा। तभी उन्होंने इस भूमि में खेती करना शुरू किया हालांकि गुरदेव के पास खेती का कोई अनुभव नहीं था। उन्होंने खेती के साथ-साथ दो महीने तक पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से सब्जियां उगाने, फलों व अनाज से तरह-तरह के खाद्य पदार्थ तैयार कर मार्केट में बेचने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद गांव की जमीन पर खेती-बाड़ी शुरू कर दी. उन्होंने गोभी, गाजर, मिर्च, शिमला मिर्च, हल्दी,अदरक, नींबू, आंवला, दालों व गन्ने की खेती की। साथ ही मधुमक्खी पालन शुरू किया. वह ऑर्गेनिक चावल की भी खेती करती हैं.
सब्जियों, आंवला से आचार व मुरब्बा बनाकर और चावल, दालों व हल्दी से पाउडर बनाकर बढिय़ा पैकिंग के साथ उसे मार्केट, कृषि मेलों, मंडियों में जाकर उसकी सीधी बिक्री शुरू कर दी। बेहतर क्वालिटी की वजह से उनके द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री बढ़ गई.इसी दौरान उन्होंने ग्लोबल सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में महिलाओं को प्रशिक्षण देना शुरू किया। इसके लिए गुरदेव कौर को कई बार सम्मानित किया जा चुका है. उनको 2011 में नाबार्ड की ओर से सेल्फ हेल्प ग्रुप के लिए स्टेट अवॉर्ड भी मिल चुका है.
इसी के साथ उन्होंने फार्म प्रोडूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) की शुरुआत भी की जिससे इन 9 सालों में ही उनका सालाना टर्न ओवर लगभग 40 लाख तक पहुंच गया है. आज उनकी यह मेहनत रंग लाई। इसी मेहनत को देखते हुए पंजाब की जानी-मानी कंपनी वेरका ने दो महीने पहले लुधियाना और मार्कफैड ने चंडीगढ़ में सेल सेंटर अलॉट किया है.
गुरदेव कौर ने मात्र 15 महिलाओं के साथ इस ग्रुप की शुरुआत की थी. उन्होंने शुरुआत में जैम बनाया और बेचने के लिए किसान मेले में पहुंची. गुणवत्ता की वजह से गुरदेव द्वारा बनाये गए उत्पाद किसानों को खूब पसंद आने लगे वो और भी सामान की मांग करने लगे. जिसके बाद अचार, मुरब्बा, मसाले बनाने शुरू किए. गुरदेव ने इन सब उत्पादों को जैविक तरीको से बनाया. इस दौरान उन्होंने किसानों को भी ट्रेनिंग देना शुरू किया. और बाकी किसानों को भी अपने साथ उन्होंने जोड़ा. इनमें ज्यादातर महिला किसान थी. उन्होंने इन महिला किसानों को प्रशिक्षण दिलाया अब उनको मार्केटिंग की कोई चिंता नहीं है. वो अपने सभी उत्पाद सेल सेण्टर पर जाकर बेचती हैं. गुरदेव द्वारा शुरू की गई मेहनत आज रंग लायी और उन्होंने एक बड़ा मुकाम हासिल किया, अपने साथ 300 महिलाओं को भी रोजगार का अवसर दिया. उनके ग्रुप से जुडी महिलाए आसानी से अच्छी कमाई कर रही हैं. गुरदेव चाहती तो कोई अच्छी नौकरी करके आराम की जिदगी काट सकती थी लेकिन उन्होंने मेहनत का रास्ता चुना. उनके लिए यह डगर आसान नहीं थी.