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Updated on: 18 May, 2019 2:49 PM IST
Paddy Cultivation

छत्तीसगढ़ के माओवाद से प्रभावित बस्तर क्षेत्र में राइसमैन के नाम से प्रसिद्ध शिवनाथ यादव 300 से अधिक धान की किस्म को संरक्षित करके उसमें तरह-तरह के प्रयोग कर रहे है. वह पिछले 24 साल से ढाई एकड़ जमीन पर धान की दुर्लभ प्रजातियों को सहेजने के साथ ही उनके संवर्धन के लिए दूसरे किसानों को भी तेजी से जागरूक करने का कार्य कर रहे है. इसके अलावा वह मल्टी विटामिन, कैंसर, समेत कई तरह की बीमारियों से लड़ने वाली वैरायटी भी तैयार कर रहे है.

पिता से ली बीज संरक्षण की प्रेरणा

शिवनाथ कोडागांव जिला मुख्यालय से 19 किमी दूर गोलावंड गांव में शिवनाथ यादव के द्वारा धान की कुल 307 किस्मों को विलुप्त होने से बचाने के लिए हर साल रोपा जाता है. उनके साथ अब 11 लोगों की टीम बीज संरक्षण की दिशा में भी तेजी से कार्य कर रही है..शिवनाथ ने बताया कि उन्हें बीज संरक्षण करने की पूरी प्रेरणा अपने पिता के जरिए मिली है. बस्तर जिले में धान बीज से फसल लेने के बाद वह दूसरी किस्म की बीज से फसल ले लेते है. यह बीज उसे अन्य किसान प्रदान कर देते है. इससे धान की वैरायटी बनी रहती है.

एंटी कैंसर देने वाली किस्म पर हो रहा काम

यहां के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिक डॉ दीपक शर्मा, शिवनाथ यादव के बीज संरक्षण के काम को काफी करीब से देख रहे है. डॉ शर्मा ने बताया कि शिवनाथ के पास एंटी कैंसर और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली प्रमुख वैरायटी लायचा और गठबन है. फिलहाल इन दोनो ही वैरायटी पर शोध प्रयोगिक स्तर पर ही है. पटेल के पास सुपर वैरायटी भी है जो कि मल्टी विटामिन की तरह आसानी से कार्य करती है. उन्होंने चावल की ऐसी किस्म को विकसित कर लिया है जिनका उत्पादन अन्य बीज के मुकाबले कही अधिक है.

कृषि विज्ञान केंद्र को दी 200 वैरायटी

बस्तर कृषि विज्ञान केंद्र कुम्हरावंड के वैज्ञानिक ने बताया कि शिवनाथ ने कृषि विज्ञान केंद्र को धान की 200 से अधिक वैरायटी को उपलब्ध करवा चुके है. इसके अलावा वह बस्तर के किसानों को भी बीज संरक्षण से संबंधी जरूरी टिप्स भी दे रहे है.

बीज केवल बस्तर के किसानों के लिए

शिवनाथ यादव दिल्ली, चेन्नई, चंडीगढ़, बेंगलुरू, हैदाराबाद, रायपुर समेत कई शहरों के कृषि मेले में हिस्सा ले चुके है. मेले में उनसे बीज के बारे में मांग की जाती है, लेकिन बस्तर के बाहर उन्होंने कभी किसी को की भी बीज नहीं दिया है. इसके पीछे वह वजह बताते है कि बीज को देने पर उसका व्यावसायिक उपयोग होता है और इसके चलते बस्तर से जुड़ी पुरानी मान्यता पीछे चूट जाएगी.

अधिक जानकारी के लिए विडियो के लिंक पर क्लिक करें https://youtu.be/u6hwI0QqUfc

English Summary: The advantage of growing variety of paddy rising in
Published on: 18 May 2019, 02:52 PM IST

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