कहते हैं इंसान अगर मेहनत करे तो सब कुछ सरलता से कर सकता है. आज हम आपको एक ऐसे ही एक किसान की कहानी बताने जा रहे हैं. जी हां शोभा राम अयोध्या के एक प्रगतिशील किसान हैं, जिनका नाम ही आज उनका ब्रांड बन चूका है. हाल ही में कृषि जागरण में व्यवसाय विकास मेघा शर्मा (GM - Business Development at Krishi Jagran) ने एफटीबी प्लेटफॉर्म पर उनका इंटरव्यू लिया था.
बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की उन्होंने बताया कि केला, टमाटर और अन्य सब्जियों की खेती वह मुख्य तौर पर करते हैं. इसी आधार पर उन्होंने अपने फार्म हाउस की भी स्थापना की है और साथ ही उन्होंने बकरी पालन (Goat farming) की भी शुरुआत की है. उन्होंने बताया कि वह साल 2006 से एक पेशेवर किसान हैं लेकिन किसान शोभा राम बचपन से ही खेती से जुड़े हुए हैं. तो आइए आज हम इस लेख में किसान शोभा राम की कड़ी मेहनत और संघर्ष के बारे में जानते हैं...
शोभा राम जी के मुताबिक इस समय इन चीजों की करें खेती
शोभा राम जी इस वक़्त अपने पीती के द्वारा सौंपी गयी चीजों को संभाल रहे हैं लेकिन उनकी रुचि की परंपरागत रूप से गेहूं, चावल और जमीन पर आधारित सब्जियों की खेती करने में रही है. अपनी इसी रूचि के चलते अब वे बांस की डंडियों और केबलों पर सब्जियां उगा रहे हैं. इसके अलावा वह अन्य किसानों को भी खेती के बारे में आधुनिक जानकारी भी देते हैं. इतना ही नहीं कुल लागत को कम करने के लिए 25 जून को धान की बुवाई के बाद सिंचाई करें और बारिश के समय केले के पौधे की रोपाई 10 जुलाई तक कर छड़ें इसकी भी सलाह उन्होंने किसान भाइयों को दी है.
किसान शोभा बताते है कि, वो 10-15 सितंबर के बीच धान की कटाई करते हैं और इस बीच उनका ध्यान अपने केले के पौधों पर रहता है. साथ ही वह आलू और फूलगोभी भी खेती करते हैं. वह आलू के बाद कद्दू की खेती अधिक तौर पर करते हैं. वहीँ जुलाई-अगस्त तक वह केले की खेती पर अपना ध्यान केन्द्रित रखते हैं अक्टूबर-नवंबर तक उनका यह फल पक कर तैयार हो जाता है.
किसान शोभा यह भी बताते हैं कि खेती के लिए एक पावर टिलर अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि आपके पास सही उपकरण नहीं है तो आप कृषि के कई कार्यों को प्रभावी ढंग से नहीं कर पाएंगे. हमें जमीन के हर टुकड़े का प्रबंधन करना होगा ताकि वे सामंजस्य में विकसित हो सकें. अगर आप मुख्य तौर पर केला की खेती करते हैं, तो अन्य फसलों को इस तरह से लगाएं की केले की खेती को बढ़ने में किसी प्रकार का कोई दिक्कत ना हो.
वहीं अगर आप अन्य फसल में आलू की खेती करते हैं, तो यह किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है. क्योंकि आलू मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करता है जिस वजह से अन्य फसलों की उपज अच्छी प्राप्त होती है. अन्य फसल में आप कद्दू को भी लगा सकते है. कद्दू एक नकदी फसल है.
शोभा राम द्वारा बताए गए तरीके और बाजार करने की विधि
जब उनसे उनकी खेती के तरीकों के बारे में पूछा गया - क्या वह जैविक तरीके से खेती करते हैं या रसायनों का उपयोग करते हैं? तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि किसानों ने जवाब दिया कि वह दोनों तरीके यानी आर्गेनिक और रासायनिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. वह गोबर को खाद के रूप में और यूरिया, पोटाश को उर्वरक के रूप में उपयोग करते हैं. राजस्थान के जोधपुर में जैविक पोटाश पर शोध चल रहा है और जब यह पूरा हो जाएगा तो हमें इसमें से 50 किलोग्राम का 350-400 रुपये सरकार की ओर से दिया जाएगा. उन्हें वरिष्ठ अध्येताओं द्वारा जैविक पोटाश के बारे में सूचित किया गया, जो उन्हें अनुसंधान की प्रगति पर अद्यतन करते हैं.
मेघा शर्मा ने उनसे बाजारों के बारे में पूछा जहाँ वह अपने फसलों को ले जाकर बेचते हैं. शोभा राम ने बताया की वह अयोध्या जिले में अपने फसलों की बिक्री करते हैं. व्यापारी इन केलों को अपने पौधों से खुद काटते हैं. इस काम के लिए शोभा राम 1000 रुपये से 1600-1700 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान करते हैं.
उनसे पूछा गया कि क्या वह बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं या संपर्क उद्देश्यों के लिए ऑनलाइन उपस्थिति रखते हैं,? तो उन्होंने नकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि वह इस विकल्प पर तब विचार करेंगे जब उनका उत्पाद पूरी तरह से जैविक होगा. इतना ही नहीं वो अपने आम के बागीचे में हल्दी की भी खेती कर रहे हैं. जिसको लेकर उन्होंने कई योजनाएं भी बनाई है. हल्दी का पाउडर बना कर उसे बाजारों में बेचने का.
सबसे अच्छा केले का गुच्छा
उनके केले को किस चीज ने अलग और खास बनाया, इस पर उन्होंने जवाब दिया कि केले की उपज करना आसान नहीं है. समय-समय पर प्रबंधन महत्वपूर्ण है, स्वच्छता महत्वपूर्ण है और यदि आपका फल अच्छी गुणवत्ता का है तभी बाजारों में इसकी मांग बढ़ेगी नहीं तो आपको नुकसान झेलना पर सकता है.
अयोध्या जिले के बाहर के किसी भी बाजार में अपने केले बेचने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि उन्हें वह कीमत नहीं मिलती जो उन्हें चाहिए. दरअसल, केला बिहार जैसे अन्य राज्यों से अयोध्या लाए जाते हैं, जिसका मतलब है कि हमारे यहां फलों का अच्छा बाजार है.
ग्राहकों का अनुभव
मेघा शर्मा ने उनसे अपने गग्राहकों का अनुभव पूछा की उनके आपका फल कैसा लगता है? उसने जवाब दिया कि वह भी एक दर्जी है और 6-7 कारीगरों के साथ एक दुकान है जो 2003 से संचालित है, यहां वह अपने कृषि उत्पाद भी बेचते हैं. यह दुकान मुख्य सड़क के बगल में है और उन्होंने साइड बिजनेस के तौर पर खेती शुरू की. ग्राहकों को बाजार से सस्ते दामों पर केले मिलते हैं और 100 रुपये में उन्हें हमारे खेत की सब्जियों और फलों से भरा बैग भी मिलता है. लॉकडाउन की अवधि में भी ग्राहकों को उनकी दुकान से सब्जियों की आपूर्ति की जाती थी. स्थानीय लोगों में से अधिकांश हमारे बारे में जान गए हैं और बार-बार हमसे खरीदने आते हैं.
साथी किसानों के लिए संदेश
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी लोग खेती करते हैं और महंगाई बढ़ने पर उन्हें नुकसान हो सकता है. उन्होंने किसानों को साइड बिजनेस के रूप में पशुपालन शुरू करने की सलाह दी. इन जानवरों के साथ काम करने से जैविक खेती संभव हो सकेगी. आप अपने खेत में किस प्रकार के जानवर रखते हैं यह आप पर निर्भर करता है. यदि आप डेयरी पशु रखते हैं तो आपको उनसे दूध मिलेगा, गाय के गोबर को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. जैसा कि उन्होंने पहले ही उल्लेख किया है की उन्होंने कहा कि उन्होंने पशुपालन के बजाय बकरी पालन को अपनाया है, क्योंकि मवेशियों का प्रबंधन करना कहीं अधिक कठिन है.
वह अपने साथी किसानों को बहु-फसल के साथ काम करने का सुझाव देते हैं, क्योंकि यह आपकी थाली में विभिन्न वस्तुओं को पहुंचाएगा और आप इनका सेवन आसानी से कर सकते हैं.
इसके अलावा वह यह भी कहते है कि, आपके पास आपकी फसलें, जानवर हैं जो जैविक खेती में आपकी सहायता करेंगे. आपकी लागत कम हो जाएगी. उन्होंने किसानों को सह-फसल विधियों का उपयोग करने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि उनका देसी खीरा बाजार में 15-20 रुपये में बिक रहा है जबकि हाइब्रिड खीरे (Hybrid Cucumbers) 5-7 रुपये में मिल रहे हैं. ये तरीके आपको एक किसान के रूप में कम निवेश और अधिक कमाई करने की अनुमति देंगे.
फिलहाल वह देसी बीजों को इकट्ठा करने पर काम कर रहे हैं, क्योंकि यह उनके लिए एक मात्र आय का श्रोत है. इसलिए बीज इकट्ठा कर वो अपने पैसों की बचत कर सकते हैं. ये देसी बीज उत्पादक (Indigenous seed producer) होते हैं और इनकी फसल स्वाद में अच्छी होती है. इसलिए आपको पैसे बचाने के तरीकों की तलाश करनी चाहिए.