कृषि जागरण ने #farmerthebrand अभियान की पहल शुरू की है, जिसके तहत देशभर के सफल किसानों को जोड़ा जा रहा है. इसके चलते आज कृषि जागरण Farmer The Brand अभियान ने सफल किसान धीरेंद्र शर्मा से रूबरू कराया है, जो कि उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले हैं.
और ब्रांड शर्मा औद्योगिक फार्म के संस्थापक भी हैं. धीरेंद्र शर्मा विगत कई सालों से कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. वह कृषि क्षेत्र से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी रखते हैं. बता दें कि सफल किसान ने विगत वर्ष तरबूज और टमाटर की खेती की है, तो आइए आपको धीरेंद्र शर्मी से रूबरू कराते हैं, जिन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कृषि से जुड़ी हत्वपूर्ण जानकारी दी है.
तरबूज की खेती ने बनाया सफल
सफल किसान ने विगत वर्ष सिजेंटा कंपनी का अभिनय टमाटर लगाया था. अभिनय टमाटर की किस्म बहुत अच्छी मानी जाती है. इसकी खेती में आधुनिक तकनीक अपनाया है. टमाटर की खेती बेड बिछा के मल्चिंग विधि द्वारा की, पीएम मोदी की सिंचाई योजना के तहत ड्रिप इर्रिगेशन की मदद ली. किसान का कहना है कि 1 एकड़ में 4100 से 4500 पौधा लगता है. हर पौधे को सिंगल लगाना है. इसके बाद आधुनिक खाद वॉटर सालयूबल लगाते हैं. इस तरह प्रति एकड़ टमाटर का उत्पादन 200 से लेकर 250 क्विंटल है, लेकिन लॉकडाउन में फसल का भाव थोड़ा कम मिला है फिर भी गेहूं और धान के मुकाबले अच्छा भाव मिला है.
तरबूज की खेती से मिला मुनाफ़ा
किसान ने सकुरा कंपनी के 60 का तरबूज लगाया है, जो कि बहुत अच्छी किस्म मानी गई है. इससे प्रति एकड़ 250 क्विंटल उत्पादन मिला है. इसका भाव होल सेल में 8 रुपए और फुटकर में 12 रुपए मिला है. इस तरह प्रति एकड़ लगभग 2 लाख रुपए के आस-पास आमदनी हुई है. तरबूज की बुवाई भी टमाटर की तरह करनी है. सबसे पहले मल्चिंग के दोनों साइड एक-एक छेद कीजिए. इसके बाद एक छेद में एक बीज डाल दीजिए. अब दो से ढाई इंच का एक गड्ढा बनाएं, जिसमें बीज डालना है औऱ वर्मी कंपोस्ट से ढकना है. इस तरह बीज 10 दिन के अंदर अंकुरित हो जाएगा. अगर नमी कम है, तो इस बीच 3 से 4 दिन पर ड्रिप इर्रिगेशन की मदद से सिंचाई कर दें.
आपको बता दें कि भारत सरकार और यूपी सरकार की तरफ से तमामा वर्मी कंपोस्ट के गड्ढे बनाए जा रहे हैं, जिस पर सरकार द्वारा सब्सिडा भी प्रदान की जा रही है. किसान इस गड्ढे को बनाए और एक एक गाय का पालन करें. इसके बाद वर्मा कंपोस्ट तैयार करें. औद्योगिक फसलों की खेती में वर्मी कंपोस्ट और ड्रिप इर्रिगेशन का बहुत बड़ा योगदान होता है. इसकी मदद से फसलों से दोगुना उत्पादन प्राप्त होता है. अगर किसान औद्योगिक फसलों की खेती करेत हैं, तो ड्रिप इर्रिगेशन ज़रूर लगवाएं. इससे सिंचाई और खाद में लगने वाली लागत कम होती है.
अन्य जानकारी
अध्ययन से पता चला है कि पपीता की खेती से ज्यादा मुनाफ़ा किसी अन्य फसल में नहीं है, लेकिन यह फसल लगभग 9 महीनों में तैयार होती है. इसकी खेती में एक एकड़ में लगभग 1200 पौधे लगाए जाते हैं.