Success Story: राजस्थान के बाड़मेर जिले के प्रगतिशील युवा किसान गणपत चौधरी ने जैविक अनार की खेती (Pomegranate Farming) में नई ऊंचाइयों को छू लिया है. उनके इस सफर में संघर्ष, नई तकनीक की सीख और कठिन परिश्रम शामिल हैं. गणपत के पास कुल 80 बीघा जमीन है, जिसमें से 22 बीघा जमीन पर उन्होंने अनार की खेती शुरू की है. उनके इस निर्णय से न केवल उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि उन्होंने आधुनिक कृषि तकनीकों को भी अपनाया है, जो अन्य किसानों के लिए मिसाल है.
वर्तमान समय में युवा किसान गणपत चौधरी अपनी फसलों से सालाना लगभग 40 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे में आइए इस युवा प्रगतिशील किसान की सफलता की कहानी (Success Story of a Progressive Farmer) के बारे में विस्तार से जानते हैं-
प्रारंभिक जीवन और चुनौतियों का सामना
गणपत चौधरी की खेती का सफर आसान नहीं था. गणपत ने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की, और इसके बाद उनका सपना था कि वे सेना में जाएं. लेकिन उस समय उनकी उम्र कम थी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. इस कारण वे सेना में नहीं जा सके और उन्हें प्राइवेट नौकरी करनी पड़ी. इसके बावजूद उनकी खेती में रुचि बनी रही, और 2021 के अंत में उन्होंने खेती करने का फैसला किया. 2022 में उन्होंने 22 बीघा जमीन पर 5,000 अनार के पौधे लगाए.
अनार की खेती में आने वाली चुनौतियां (Pomegranate Farming)
युवा किसान गणपत ने पारंपरिक खेती में काफी अनुभव हासिल किया था, लेकिन बागवानी और जैविक विधि से खेती करने में वे नए थे. जैविक खेती (Organic Farming) के दौरान उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया, जिनमें पोषण प्रबंधन, फसल रोग और फंगस की समस्या शामिल थी. जैविक खेती की जानकारी के लिए उन्होंने इंटरनेट और YouTube का सहारा लिया.
खेती की चुनौतियों को पार करते हुए गणपत ने सीखा कि पौधों में पोषक तत्व प्रबंधन कैसे करना चाहिए. गोबर खाद का इस्तेमाल कच्चे रूप में नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे बगीचे में रोग और फंगस लगने का खतरा बढ़ता है. उन्होंने जैविक खाद के लिए आवश्यक गोबर अन्य किसानों से खरीदा.
अनार की उन्नत किस्म की खेती (Improved Pomegranate Variety)
युवा किसान गणपत अपने बाग में हाइब्रिड अनार की भगवा सिंदूर किस्म की खेती करते हैं, जो उत्पादन के लिहाज से काफी फायदेमंद है. यह किस्म राजस्थान में अच्छी तरह से उगाई जा सकती है और इससे अधिक मात्रा में उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि अनार की बुवाई का सही समय फरवरी और मार्च का महीना है. बुवाई से पहले मिट्टी में कार्बनिक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए वह अपने खेत में तिल की खेती करते हैं और बाद में उसे खेत में जुताई के माध्यम से पलट देते हैं. साथ ही मिट्टी में कार्बनिक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए पक्के गोबर खाद का भी उपयोग करते हैं.
गणपत ने आगे बताया कि पौधों का चयन करते समय अच्छे नर्सरी से ही पौधों को खरीदना चाहिए, ताकि पौधे स्वस्थ और रोगमुक्त हों. अगर पौधे की बात करें तो पौधे दो तरह के होते हैं- टिश्यू कल्चर और गोटी पौधा. वह अपने फार्म में गोटी पौधा की खेती करते हैं. जोकि महाराष्ट्र से मंगवाए हैं.
ये पौधे रोग प्रतिरोधक क्षमता में बेहतर होते हैं, लंबी आयु वाले होते हैं, और उत्पादन भी अधिक देते हैं. साथ ही, टिश्यू कल्चर पौधों की तुलना में गोटी पौधे सस्ते होते हैं और कम कीमत में मिल जाते हैं.
तापमान और सिंचाई
गणपत के क्षेत्र में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस होता है, जो अनार की खेती (Pomegranate Farming) के लिए अनुकूल है. सिंचाई के लिए वे ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करते हैं, जो पानी की बचत में सहायक होता है और पौधों को आवश्यक नमी मिलती रहती है.
फसल में होने वाले रोग और उनकी देखभाल
अनार की फसल में फंगस, एन्थ्रेक्नोज और तेलिया जैसी समस्याएं होती हैं, जिन पर समय पर ध्यान नहीं दिया जाए तो फसल पूरी तरह बर्बाद हो सकती है. गणपत ने अपने खेत में पौधों की दूरी 13x11 फीट रखी है, ताकि प्रत्येक पौधे को पर्याप्त जगह मिले. यह दूरी अलग-अलग मिट्टी में बदल भी सकती है, लेकिन उनके अनुसार इस दूरी से पौधों का विकास अच्छा होता है.
अनार की खेती में लागत और मुनाफा (Cost and Profit in Pomegranate Farming)
युवा किसान गणपत ने बताया कि उनके यहां 1 हेक्टेयर जमीन में लगभग 6 बीघा होते हैं, और पहले साल में 1 हेक्टेयर की खेती पर 1.75 लाख से 2 लाख रुपये तक की लागत आती है. इसके बाद लागत में कमी आ जाती है, क्योंकि पौधों को पहले साल में अधिक देखभाल की जरूरत होती है. 1 हेक्टेयर में लगभग 750 पौधे लगाए जा सकते हैं. आज गणपत विभिन्न फसलों और अनार के बगीचों से सालाना लगभग 40 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. इस मुनाफे में जीरा, अरंडी, पुराने और नए बगीचे की आय भी शामिल है.
जैविक खेती की अपील
कृषि जागरण से बातचीत में युवा किसान गणपत चौधरी ने जैविक खेती करने की सलाह देते हुए कहा कि जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरक शक्ति बनी रहती है और फसल में गुणवत्ता भी बनी रहती है. वे चाहते हैं कि किसान रासायनिक खेती की जगह जैविक खेती अपनाएं ताकि उनकी उपज से लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो. गणपत का कहना है कि कोई भी किसान यह नहीं चाहता कि उसकी उपज से कोई बीमार पड़े.
भविष्य की राह
गणपत चौधरी की सफलता की यह कहानी अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनकी मेहनत, नई तकनीक की जानकारी और जैविक खेती के प्रति उनका समर्पण उन्हें एक सफल किसान बनाता है. गणपत का मानना है कि खेती एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, बशर्ते किसान नई तकनीकों को अपनाएं.