28 डिग्री से कम तापमान में भी 4 गुना से ज्यादा अब झींगा मछली की आसानी से पैदावार होने लगी है. हरियाणा के झाझखेंड़ा गांव के प्रदीप कुमार ने इस तरह से झींगा मछली का उत्पादन करके सभी को चौंका दिया है. उन्होंने झींगा मछली को घरेलू नुस्खे जैसे कि लहसुन और हल्दी की मदद से जीवित रखने का कार्य किया है. बता दें कि झींगा मछली को जीवित रहने के लिए 29 से 33 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
ऐसे हो रहा झींगा उत्पादन
प्रदीप ने इसकी शुरूआत सर्दियों में की थी. तब शुरूआत में सभी ने उनको टोकना शुरू कर दिया था. उन्होंने 4 हेक्टेयर जमीन में कुल 10 तालाब बनाए है. उन्होंने चार हजार वर्ग मीटर के हर तालाब के हिसाब से इनमें पांच-पांच फीट पानी भरकर झींगा मछली के बीज को डाला. साथ ही तालाब के नीचे तापमान को संतुलित करने के लिए एक विशेष प्रकार का यंत्र भी लगाया. इसके अलावा तालाब की तली तक आक्सीजन पहुंचाने का विशेष तरह का इस्तेमाल किया गया है. लहसुन और हल्दी के एंटिबायोटिक गुड़ की वजह से मछलियां बीमार होने से बच गई है.
एक एकड़ में 4 लाख झींगा
अगर हम झींगा उत्पादन की बात करें तो एक एकड़ के तालाब में एक से डेढ़ लाख मछलियों की पैदावार होती है. प्रदीप की मेहनत और विशेष तकनीकी की वजह से 4 गुना ज्यादा करीब 4 लाख मछलियों की पैदावार कुल एक एकड़ तालाब में होती है. इसके लिए प्रदीप ने केंद्र सरकार के मत्स्य प्रशिक्षण संस्थान और रोहतक के लहाली गांव के सेंटर से विशेष ट्रेनिंग ली है.
इस तरह पैदा होती झींगा
झींगा मछली ज्यादातर समुद्री क्षेत्रों में ही होती है. झींगा मछली को बढ़ने के लिए खारे पानी की जरूरत होती है. खारे पानी का स्तर 5 पीपीटी से लेकर 25 पीपीटी तक होना चाहिए. झींगा मछली 33 डिग्री के तापमान तक आसानी से जीवित रहती है. इनके बीजों को तटीय क्षेत्रों की नर्सरी से मंगवाया जाता है. इनको लाने का तरीका भी काफी संवेदनशील होता है. जबकि नियंत्रित तापमान में इनको 8 से 10 घंटों के अंदर थर्माकोल के विशेष डिब्बे में लाया जाता है.
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