आज हम सफल किसान इशाक अली की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनका जन्म गुजरात के मेहसाणा के बादरपुर में हुआ. मगर वह 1 साल की उम्र में ही राजस्थान के सिरोही के काछोली गांव में आ बस गए. वे सौंफ की खेती करते हैं और इस खेती में उनका जो रुतबा है, वह देखते ही बनता है. आज उन्हें देश में सम्मान के साथ ‘सौंफ किंग’ कहकर पुकारा जाता है. उन्होंने आबू सौंफ-440 नामक किस्म विकसित की है. इस सौंफ की ख़ूबी यह है कि यह 5 प्रतिशत कम पानी देने पर भी ज़्यादा उपज देती है.
इशाक अली राष्ट्रपति भवन में किसान वैज्ञानिकों की शोध उपलब्धियों की प्रदर्शनी में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को सौंफ की किस्म की जानकारी भी दे चुके हैं. बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर 7 से 8 किसान वैज्ञानिकों को बुलाकर उनके साथ मुलाकात की थी. अपने वैज्ञानिक अनुभव उनके साथ बांटा, साथ ही उनके संघर्ष की कहानियां भी सुनी थीं. इन किसानों में इशाक अली भी शामिल थे.
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आपको बता दें कि सौंफ की खेती मुख्य रूप से मसाले के रूप में होती है. इसके बीजों से तेल भी निकाला जाता है. इसकी खेती गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आँध्रप्रदेश, पंजाब समेत हरियाणा में की जाती है. इसका खेती शरद ऋतु में अच्छी तरह से की जा सकती है. इसके आलावा फसल पकते समय शुष्क जलवायु की आवश्यकता पड़ती है, तो वहीं बीज बनते समय अधिक ठंडक की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसकी खेती बलुई भूमि को छोड़कर सभी तरह की भूमि में की जा सकती है. मगर जल निकास का उचित प्रबंध होना आवश्यक है.
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