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Updated on: 23 June, 2022 2:14 PM IST
बालू पांडुरंग मोटे (Balu Pandurang Mote)

चुनौतियां तभी आती हैं जब आप सफलता पाने की राहों में कुछ क्रांति कर रहे होते हैं. कुछ यही मिसाल महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती गांव के बालू पांडुरंग मोटे (Balu Pandurang Mote) ने पेश की है, जो एक बकरी पालक और किसान हैं. यह शैली अहर्षस्त्र समूह (Aharshastra Group) के ब्रांड के मालिक हैं. इनकी शुरू से ही बकरी पालन में रूचि रही है, जिसके चलते आज इन्होंने अपनी इस क्षेत्र में एक अलग ही पहचान बना ली है.

बकरी पालन से की शुरुआत

बालू एक किसान परिवार से हैं और इन्होंने इस क्षेत्र में स्नातक की पढ़ाई भी की है. कृषि क्षेत्र में पहले से ही बैकग्राउंड होने की वजह से इनके पास अपनी बकरियां और खेत हैं, जो इन्हें विरासत में मिली हुई है.

बकरी पालन से कमाएं मोटा मुनाफा

इन्होंने अपनी शुरुआत पारंपरिक खेती से की थी लेकिन बकरी पालन (Goat Farming) की ओर ज़्यादा ध्यान दिया करते थे, क्योंकि इससे इनको अधिक लाभ मिलता था.  बालू ने अपने बकरी फार्म के प्रबंधन (Goat Farm Management) में अपनी क्षमता में सुधार करने के लिए नई तकनीकों और तरीकों को सीखा और फिर उसको अपने फार्म में इस्तेमाल करना शुरू किया. बालू का कहना था कि "बकरियों को पालना महंगा है, लेकिन आपको अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिलता है."

बकरी का मांस और दूध

बालू को बकरी पालन के लिए पानी की व्यवस्था करने में काफी दिक्कतें आई थीं, लेकिन अच्छी आय के साथ वह बकरियों के लिए पानी की व्यवस्था करने में सक्षम रहे. बकरी पालन में अत्यधिक लाभ होने की संभावना इसलिए होती है, क्योंकि मार्केट में इसके मांस और दूध (Goat Meat and Milk) की भारी मांग रहती है.

बता दें कि इन्होंने जून 2015 में बकरी पालन शुरू किया और आज उनके पास 200 भेड़ और 25 बकरियां हैं. इसके बिज़नेस में बड़े पैमाने पर जाने में काफी मुश्किलें आईं, लेकिन धीरे-धीरे बालू इसको सफलता में तब्दील करते गए. इन्हें शुरुआत में आर्थिक नुकसान भी हुआ, क्योंकि उन्हें भारी निवेश करना पड़ा था, लेकिन इन चीज़ों को नज़रअंदाज कर आज यह एक सफल बकरी किसान हैं.

इन्होंने बकरियों के लिए 76 मीटर लंबा क्षेत्र बनाया हुआ है, जहां सभी बकरियां हरी घास और अन्य चारा खाती हैं. इन जानवरों को मक्का, पशु चारा, विभिन्न घास, सूखा चारा आदि खिलाया जाता है. बालू कहते हैं कि आप अनुभव के साथ सीखते हैं और आपकी बकरियों और उनके दूध की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करेगी कि आप उन्हें क्या खिलाते हैं. आपको सालभर अपनी बकरियों के साथ काम करना होता है. आपको अच्छे प्रयास करने चाहिए जिससे आप सफल हो सकते हैं".

बकरी पालन की ट्रेनिंग

बालू ने आगे बताया कि, "सफलता की कोई कहानी देखकर या पढ़कर बकरियां न पालें, क्योंकि बकरी पालन इतना आसान नहीं है जितना लगता है. इस व्यवसाय को सावधानीपूर्वक योजना और बुद्धिमत्ता के साथ करना होगा". 

यह अपने ज्ञान और अन्य उपयोगी जानकारी को यहां के बकरी किसानों के साथ साझा करते रहते हैं, ताकि उनको सही राह मिलती रहे. यह बताते हैं कि, मैं जितना हो सके समाज की मदद करने की कोशिश करता हूं."

इन्होंने अपना खुद का व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप भी बनाया हुआ है, जिसका नाम शेली अहर्षस्त्र है. इसके जरिए वह 5000 से 7000 किसानों का मार्गदर्शन करते हैं. यह बकरी पालन पर ब्लॉग भी लिखा करते हैं. इन्होंने अपना खुद का बकरी आहार कैलकुलेटर बनाया हुआ है जिससे यह अपनी बकरियों के आहार की योजना बनाते हैं.

बकरी पालन की ऑनलाइन ट्रेनिंग  

यह किसानों को न्यूनतम लागत पर उच्च आय प्राप्त करना सिखातें हैं और Google मीट के माध्यम से सेमिनार आयोजित करते रहते हैं. बता दें कि यह किसानों को मुफ्त में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं जो बिल्कुल मुफ़्त होता है.

English Summary: How is this farmer earning lakhs and crores a month by rearing goat
Published on: 23 June 2022, 02:14 PM IST

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