नवाचार तकनीकों (New Techniques) की वजह से बागवानी करने वाले किसानों को काफी मुनाफा हो रहा है, जिससे यह साबित होता है कि किसान सिर्फ अपनी आय को बागवानी फसलें (Horticulture Crops) उगाकर भी बेहतर कर सकते हैं. ऐसी ही एक ख़बर उत्तर प्रदेश के इटावा से भी आ रही है जहां किसानों ने इसका जीता-जगता उदाहरण पेश किया है.
बागवानी कर पैसा कैसे कमाएं (Horticulture Profit)
इटावा (Itawa) का पीपल्दा गांव आसपास के क्षेत्र का मुख्य सब्जी उत्पादक गांव है. यहां से उपखंड क्षेत्र सहित मांगरोल, बारा, कोटा आदि के साथ मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में भी सब्जियों की आपूर्ति की जाती है. इन दिनों कोरोना महामारी के प्रतिबंधों के चलते किसानों का ज्यादातर समय खेतों में गुजरता है, जिसके चलते किसानों का रुझान सब्जी उत्पादन एवं अन्य बागवानी खेती (Horticulture) की तरफ बढ़ा है.
खेती में उन्नत बीज (High Quality Seeds), तकनीकों का प्रयोग और नवाचारी से पीपल्दा के किसानों ने बागवानी को फायदे का सौदा बना लिया है. इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि परंपरागत तरीके से की जा रही खेती के साथ-साथ बागवानी खेती एवं पशुपालन किया जाए, तो यह किसानों के लिए लाभ का सौदा है. इससे किसानों की आय में अच्छी ख़ासी वृद्धि हो सकती है.
उन्नत तकनीक से टमाटर की खेती (Advance Technique for Tomato Farming)
पीपल्दा के एक किसान का कहना है कि वह पिछले 10 वर्षों से बागवानी की खेती कर रहे हैं. जिसमें वह तीन-चार सालों से टमाटर की उन्नत खेती (Tomato Farming) कर रहे हैं, जिसके लिए वह नर्सरी में टमाटर के उन्नत बीजों की पौध तैयार करते हैं. नतीजतन कम बीज में इनकी नर्सरी तैयार हो जाती है.
इसके उपरांत तैयार नर्सरी को डिप व मल्चिंग का प्रयोग करते हुए रोपण किया जाता है. फिर एक माह के उपरांत टमाटर के पौधों को बांस (Bamboo) और तार के सहारे बांध दिया जाता है. इससे टमाटर जमीन से ऊपर रहते हैं. साथ ही इससे टमाटर सड़ने एवं रोग कीट आदि समस्याओं से निजात मिलती है.
क्या है सहफसली खेती की तकनीक (Intercropping Techniques)
सहफसली खेती प्रणाली एक प्रकार की मिश्रित खेती प्रणाली है. जिसमें एक फसल के साथ दूसरी फसल की भी बुवाई की जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मिश्रित खेती (Intercrop Farming) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसानों को अपने लाभ और मुनाफे के लिए किसी सीज़न का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है, बल्कि ऐसी खेती से किसानों को साल भर पैसों की कमाई होती है.
अंतरफसल और फसल चक्रण के लाभ क्या हैं (Intercropping and Crop Rotation)
इंटरक्रॉपिंग एक ही समय में एक ही खेत में एक निश्चित पंक्ति पैटर्न (Fixed Pattern) में एक से अधिक फसल उगाने की तकनीक है. मुख्य फसल की एक कतार के बाद अंतरफसल की तीन कतारें उगाई जा सकती हैं. इससे प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादकता में वृद्धि होती है.
फसल चक्र के लाभ (Crop Rotation Benefits)
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मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है.
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खरपतवार और कीटों की वृद्धि को रोका जाता है.
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बहुत सारे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती है.
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मिट्टी की भौतिक और रासायनिक प्रकृति स्थिर रहती है.
मिश्रित खेती में किन फसलों की करें खेती (Crops should be cultivated in intercropping)
मॉडल के तहत, किसानों को गहरी जड़ वाली फसलें जैसे हल्दी (Turmeric), अदरक (Ginger), प्याज (Onion), टमाटर (Tomato), हरा धनिया (Coriander), लहसुन (Garlic) और मिर्च (Chilli) शामिल हैं. और इन सब से किसानों को अच्छी कीमत भी मिल सकती है.
सहफसली कृषि तकनीक से उगाई तीन फसलें (Best Crops for Intercrop Farming)
पीपल्दा के एक किसान ने अपने खेत में सहफसली तकनीक का प्रयोग करते हुए टमाटर की 2 एकड़ फसल के साथ मक्का और बैंगन की फसल उगाई हैं. इससे उन्हें काफी मुनाफा भी मिलेगा और एक समय में अत्यधिक फसलें भी उग सकेंगी.
इंटरक्रॉपिंग का लाभ (Advantages of Intercrop Farming)
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इंटरक्रॉपिंग, एकल फसल की तुलना में अत्यधिक लाभ देती है.
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यह असामान्य वर्ष में फसलों की विफलता के खिलाफ बीमा के रूप में कार्य करता है.
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अंतर-फसलें मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) बनाए रखती हैं क्योंकि पोषक तत्वों का अवशोषण मिट्टी की दोनों परतों से होता है.
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मृदा अपवाह में कमी और खरपतवारों को नियंत्रित करता है.
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अंतरफसलें दूसरी फसल को छाया और सहारा प्रदान करती हैं.
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अंतर फसल प्रणाली संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करती है और उनकी उत्पादकता में वृद्धि होती है.
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नकदी फसलों के साथ अंतरफसल करना अधिक लाभदायक है.
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यह अंतर-फसल प्रतिस्पर्धा से बचने में मदद करता है और इस प्रकार प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक संख्या में फसल पौधे उगाए जाते हैं.
इंटरक्रॉपिंग के नुकसान (Disadvantages of Intercrop Farming)
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उपज कम हो जाती है, क्योंकि हर फसल की क्षमता भिन्न होती हैं.
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परंपरागत खेती प्रथाओं के मुताबिक, किसानों को यह कार्य कठिन लगता है.
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बेहतर उपकरणों का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं किया जा सकता है.
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उर्वरक या सिंचाई के पानी की अधिक मात्रा का ठीक से उपयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि फसलें इन संसाधनों की प्रतिक्रिया में भिन्न होती हैं.
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खेती के इस मॉडल में फसलों की कटाई भी मुश्किल है.
निष्कर्ष (Conclusion)
इंटरक्रॉपिंग मॉडल के माध्यम से खराब मिट्टी और संसाधनों के साथ-साथ सिंचाई सुविधाओं की कमी सहित खेती में किसानों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है. यह छोटे किसानों के लिए अत्यंत ही लाभदायक प्रणाली है जिससे कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है तथा प्राकृतिक प्रकोप से होने वाले नुकसान की भी भरपाई की जा सकती है. इसके अतिरिक्त, एक ही समय में कई फसलें लगाकर साल कमाया जा सकता है.