कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है बल्कि यदि लगन से किया जाए तो एक बड़ा प्लेटफार्म बन सकता है. हरियाणा के एक युवा फार्मर ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ मशरूम की आधुनिक खेती को अपनाकर सही साबित कर दिया. जी हां, यहां के गुरूग्राम के अंशुमान कालरा ने एमबीए के बाद कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम किया लेकिन एक घटना के बाद उन्होंने प्राइवेट सेक्टर की नौकरी छोड़ मशरूम की खेती शुरू की.
पत्नी के बीमार होने के बाद आया आइडिया
दरअसल, अंशुमान राजस्थान के भिवाड़ी से ताल्लुक रखते हैं. मशरूम की खेती से पहले वे 3 अलग-अलग मल्टीनेशनल कंपनियों में काम कर चुके थे. लेकिन एक दिन उनकी पत्नी तनुश्री गुप्ता बीमार हो गई. उन्हें अचानक छाती में बहुत ज्यादा दर्द होने लगा. इसके बाद डॉक्टर ने मेमोग्राफी कराने की सलाह दी. तब तनुश्री के ईलाज के लिए उनके दादा ने एक खास मशरूम के बारे में बताया. अंशुमान ने बताया कि इस मशरूम के उपयोग से तनुश्री की बीमारी बिल्कुल सही हो गई.
खुद की कंपनी बना ली
इस ख़ास किस्म की मशरूम की खेती अंशुमान ने सबसे पहले दो सौ गज क्षेत्र में शुरू की. आज उन्होंने खुद की कंपनी बायोक्रिडेंस बना ली. जो न सिर्फ मशरूम उगाती है बल्कि इसका पाउडर बनाकर बेचती भी है. बता दें कि उनकी कंपनी को आइएसओ 9001 और आइएसओ 2000 के साथ जीएमपी और एचएसीसीपी सर्टिफिकेट भी मिल चुका है. आज इस ख़ास किस्म की मशरूम के उत्पादन में उनकी कंपनी एक ख़ास पहचान बना चुकी है.
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महिलाओं के लिए उपयोगी
उनकी मशरूम का नाम सुपर मशरूम है जो महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. जो बच्चियों और महिलाओं की ओवरी की सिस्ट, त्वचा रोगों से दूर रखने के साथ बालों की गिरावट, हार्मोन्स असुंतलन और मासिक धर्म की अनियतिताओं की दूर करती है. यही वजह है कि इस मशरूम की जबरदस्त मांग है. तनुश्री का कहना है कि वे इस खास मशरूम की खेती के लिए अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही है.