कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ देश के किसानों को अक्सर कृषि क्षेत्र में नवाचार की सलाह देते हैं. इस नवाचार को अपनाकर देश के कई प्रगतिशील किसानों को खेतीबाड़ी से अच्छा लाभ मिल रहा है. ऐसे ही एक किसान हैं बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया गांव के गोपाल सिंह. जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक और उन्नत तरीके से बागवानी को अपनाया है. नतीजतन, आज वे कृषि क्षेत्र से न सिर्फ अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं. तो आइए जानते हैं गोपाल सिंह की कहानी.
बागवानी से लिखी सफलता की कहानी
गोपाल सिंह अपने खेतों में बड़े पैमाने पर मौसमी फल ऊगा रहे हैं. उनके खेत में संतरा, मौसंबी के अलावा पपीता, स्ट्रॉबेरी और सेव के पौधे हैं. 6 साल पहले ही उन्होंने बागवानी को अपनाया और आज वे इसमें कामयाब हो गए हैं. उन्होंने लगभग 15 एकड़ में संतरा, 10 एकड़ में मौसंबी का बगीचा लगा रखा है. इसके अलावा वे पपीता और केले का भी उत्पादन कर रहे हैं. गौरतलब हैं कि बिहार का यह क्षेत्र केले की खेती के लिए विख्यात है लेकिन गोपाल केले के साथ अन्य मौसमी फलों का भी उत्पादन कर रहे हैं.
हिमाचल से सेब के पौधे मंगाएं
अपने इस नवाचार में गोपाल ने एक और सफल प्रयोग किया. उन्होंने सेब की बगीचा भी लगा रखा है. आमतौर पर सेब का उत्पादन ठंडे प्रदेशों में होता है. गोपाल ने कभी नवाचार के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश से सेब के पौधे मंगाए थे. जिनमें अब फल आने शुरू हो गए हैं. वे बताते हैं कि पिछले साल उनके सेब के पौधों में कुछ फल आए थे. लेकिन इस वर्ष फरवरी महीने में अधिक फल आने की संभावना है. साथ ही गोपाल का यह भी कहना है कि मौसमी फलों को वे बंगाल प्रान्त के सिलीगुड़ी के व्यापारियों को बेचते हैं. जबकि संतरे को भागलपुर मंडी सप्लाई करके अच्छी आमदानी कर लेते हैं.
कुछ अलग करना पड़ेगा
क्षेत्र के दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुके गोपाल सिंह का कहना है कि आज किसानों को खेती में भी कुछ नया करने की जरुरत है. जिससे किसानों को खेती से भी अच्छा लाभ मिल सकें. गेहूं, चने और धान की पारंपरिक खेती से हटकर कुछ अलग करना पड़ेगा तभी अच्छा मुनाफा मिलेगा. वहीं बागवानी के लिए सरकार भी प्रोत्साहित करती है. ऐसे में खेती में नए प्रयोगों को अपनाकर किसान आर्थिक रूप से सक्षम बन सकते हैं.