आधुनिक समय में किसान कई उन्नत फसलों की खेती करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं. इसमें पपीता की खेती भी शामिल है. यह एक ऐसी फल है, जिसकी मांग गर्मियों के दिनों में बढ़ जाती है. इसका उपयोग फल और सब्जी, दोनों के रूप में किया जाता है. आज कई किसान पपीते की खेती करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं. भारत के कई राज्यों के साथ बिहार के कई जिलों में किसान पपीता की खेती करते हैं. इसमें बांका जिले का नाम भी शामिल है. यहां किसान पीपते की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
धान और गेहूं के खेत में पपीते की खेती
किसान जिन खेतों में धान और गेहूं की खेती किया करते थे, अब उस खेत में पपीते की खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें 5 गुना ज्यादा लाभ मिल रहा है. इसके साथ ही किसानों को फसल बेचने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता है, क्योंकि पपीते की मांग स्थानीय बाजार में ही खूब होती है. बता दें कि इस वक्त जिले में लगभग 22 एकड़ जमीन पर पपीते की खेती हो रही है.
कई सफल किसानों का कहना है कि उन्होंने पहली बार साल 2017 में पपीते की खेती बहुत छोटे स्तर से शुरू की थी. खेती में कम लागत के बाद भी उन्हें काफी अधिक लाभ प्राप्त हुआ. इसके बाद किसानों ने अगले साल बड़े स्तर पर खेती करना शुरू कर दिया.
अगर विजय नगर की बात करें, तो यहां कई किसान पपीते की खेती कर रहे हैं. उनका मानना है कि उन्होंने पहले जिस खेत में धान और गेहूं की खेती की थी, वहां अब पपीते की खेती कर रहे हैं. इसमें उन्हें किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. इस जिल के आस-पास कई गांव के किसानों ने इस बार पपीते की खेती की है.
कृषि विज्ञान केंद्र के मुताबिक...
कृषि विज्ञान केंद्र का कहना है कि यहां की मिट्टी पपीते की खेती के लिए बहुत अनुकूल मानी गई है. बता दें कि इसकी खेती ऊंची और मैदानी, दोनों भागों में होती है. बस ध्यान दें कि पपीते की खेती करते वक्त पौधे के बीच जलजमाव न हो पाए. अगर ऐसा हुआ, तो पौधे को काफी नुकसान पहुंचता है.
पपीते की खेती का सही समय
जानकारी के लिए बता दें कि पपीते की खेती का सही समय फरवरी से अप्रैल के आखिरी सप्ताह तक का होता है. इसके पौधे 10-40 डिग्री का तापमान सहन कर पाते हैं. अगर किसान 1 हेक्टेयर में लगभग 1200 पौधे लगाता है, तो उसे 2 पौधे के बीच दूरी कम से कम 2 मीटर की रखनी चाहिए. अगर किसान समतल भूमि में खेती कर रहे हैं, तो सबसे पहले खेतों की अच्छी तरह तैयार कर लें, ताकि बारिश का पानी खेतों में जमा न हो पाए. इस तरह पौधे सुरक्षित रहते हैं. बिहार के कई जिलों के किसान बड़े स्तर पर पपीते की खेती कर सकते हैं, क्योंकि यहां की मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है.
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