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Updated on: 28 August, 2019 5:00 PM IST

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से महज 92 किलोमीटर दूरी पर 7 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे मड़ावग गांव में न तो कोई भी उद्योगपति है और न ही ज्यादा ऊंचे पद पर बैठे हुए लोग है. लेकिन हम आपको बता दे कि यह एशिया के सबसे अमीर गांवों में से एक है. यहां हर परिवार की आमदनी 70 से 75 लाख रूपये है. यह सेब के बगानों में झोंकी गई एक मेहनत का नतीजा है.

80 के दशक से नहीं था कोई भी सेब

गांव में 80 के दशक से सेब नहीं था. आज गांव में सेब की फसल आने लगी है और उम्मीद है कि 1800 की आबादी वाले इस गांव से इस साल करीब 7 लाख पेटी सेब के निकालेगे.यह सेब देश में सबसे अच्छी क्वालिटी का सेब है. इसमें रॉयल एप्पल, रेड गोल्ड, गेल गाला जैसी किस्में किसानों ने लगाई है. इस गांव में 80 के दशक तक सेब नहीं था. पहली बार किसान हीरा सिंह ने यहां पर सेब के पौधों को लेकर आए थे. बाद में हीरा सिंह के यहां सेब को लगाने का कार्य किया जो कि काफी सफल रहा है. हीरा सिंह बताते है कि आज मडावग पंचायत से 12 से 15 लाख बॉक्स सेब हर साल दुनियाभर में जाता है जिससे लोगों को काफी फायदा होता है

की जाती है सालभर पेड़ों की देखरेख

बता दें कि मड़ाबग का सेब का आकार काफी ज्यादा अच्छा है. यह बड़े आकार का सेब है. यहां हर साल बर्फ के गिरने पर सेब की क्वालिटी इतनी बेहतर होती है कि यह सेब जल्दी खराब नहीं होते है. लोग सेब के बागानों की देखभाल बच्चों की तरह ही करते है साथ ही वह ठंड के मौसम में बगीचों में रात और दिन डटे रहते है. यहां पर जीरो डिग्री से भी कम तापमान पर लोग पेड़ों से बर्फ को हटाने का काम करते है. यह बर्फ पेड़ों की शाखाओं को तोड़ सकती है. सेब की यह फसल अप्रैल से लेकर अगस्त सितंबर तक तैयार होती है.लेकिन किसी कारण ओले गिरे तो यह फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है.

English Summary: Farmers of this village of Himachal are earning millions of rupees by cultivating apple
Published on: 28 August 2019, 05:04 PM IST

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