Organic Farming: रासायनिक खेती से जैविक खेती में परिवर्तन करने पर आने वाली चुनौतियां और उनका समाधान देश की 500 टॉप कंपनियों में इंटर्नशिप का मौका! PM Internship Yojana में अब 15 अप्रैल तक करें रजिस्ट्रेशन Pension Yojana: मात्र 210 रुपये जमा करें और हर महीने पाएं 5000 रुपये पेंशन! जानिए क्या है पूरी योजना Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया Diggi Subsidy Scheme: किसानों को डिग्गी निर्माण पर मिलेगा 3,40,000 रुपये का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन Digital India: लॉन्च हुआ फेस आईडी वाला Aadhaar App, अब नहीं देनी होगी कहीं आधार की फोटोकॉपी! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Tarbandi Yojana: अब 2 बीघा जमीन वाले किसानों को भी मिलेगा तारबंदी योजना का लाभ, जानें कैसे उठाएं लाभ? सिंचाई के लिए पाइप खरीदने पर किसानों को ₹15,000 तक की सब्सिडी, जानिए पात्रता और आवेदन प्रक्रिया!
Updated on: 28 August, 2019 5:00 PM IST

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से महज 92 किलोमीटर दूरी पर 7 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे मड़ावग गांव में न तो कोई भी उद्योगपति है और न ही ज्यादा ऊंचे पद पर बैठे हुए लोग है. लेकिन हम आपको बता दे कि यह एशिया के सबसे अमीर गांवों में से एक है. यहां हर परिवार की आमदनी 70 से 75 लाख रूपये है. यह सेब के बगानों में झोंकी गई एक मेहनत का नतीजा है.

80 के दशक से नहीं था कोई भी सेब

गांव में 80 के दशक से सेब नहीं था. आज गांव में सेब की फसल आने लगी है और उम्मीद है कि 1800 की आबादी वाले इस गांव से इस साल करीब 7 लाख पेटी सेब के निकालेगे.यह सेब देश में सबसे अच्छी क्वालिटी का सेब है. इसमें रॉयल एप्पल, रेड गोल्ड, गेल गाला जैसी किस्में किसानों ने लगाई है. इस गांव में 80 के दशक तक सेब नहीं था. पहली बार किसान हीरा सिंह ने यहां पर सेब के पौधों को लेकर आए थे. बाद में हीरा सिंह के यहां सेब को लगाने का कार्य किया जो कि काफी सफल रहा है. हीरा सिंह बताते है कि आज मडावग पंचायत से 12 से 15 लाख बॉक्स सेब हर साल दुनियाभर में जाता है जिससे लोगों को काफी फायदा होता है

की जाती है सालभर पेड़ों की देखरेख

बता दें कि मड़ाबग का सेब का आकार काफी ज्यादा अच्छा है. यह बड़े आकार का सेब है. यहां हर साल बर्फ के गिरने पर सेब की क्वालिटी इतनी बेहतर होती है कि यह सेब जल्दी खराब नहीं होते है. लोग सेब के बागानों की देखभाल बच्चों की तरह ही करते है साथ ही वह ठंड के मौसम में बगीचों में रात और दिन डटे रहते है. यहां पर जीरो डिग्री से भी कम तापमान पर लोग पेड़ों से बर्फ को हटाने का काम करते है. यह बर्फ पेड़ों की शाखाओं को तोड़ सकती है. सेब की यह फसल अप्रैल से लेकर अगस्त सितंबर तक तैयार होती है.लेकिन किसी कारण ओले गिरे तो यह फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है.

English Summary: Farmers of this village of Himachal are earning millions of rupees by cultivating apple
Published on: 28 August 2019, 05:04 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now