राजस्थान के ताल छापर की शमशान भूमि आयुर्वेदिक औषधीय पौधों का भंडार है. वैसे तो राजस्थान के चुरू जिले का ताल छापर वन्यजीवों के संरक्षण के लिए दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन चुरू जिले में तालछपार के धनाराम प्रजापत ने जो कि एक पर्यावरण प्रेमी है उन्होंने समाज के लिए बेहद ही अनूठी मिसाल को पेश किया है. बता दें कि धनराम ने शमशान भूमि में इतने आयुर्वेदिक पौधों को लगाया है कि यह अपने आप में औषधियों का भंडार बन गया है.
प्रकृति से प्रेम (Nature love)
दरअसल धनराम सबसे पहले शमशान भूमि में नियमित रूप से पहुंचकर पक्षियों के लिए दाने को डालते थे. फिर उनको शमशान में सूखे पौधे नजर भी आए है. बाद में उन्होंने सूख रहे पौधों को पानी भी देना शुरू कर दिया है. धनाराम प्रजापत पेशे से दुकानदार है लेकिन वह बचपन से ही पर्यावरण से प्रेम करते थे. उनके मुताबिक वह पेड़ पौधों का वह उनसे इतना ही प्यार करते है, जितना की इंसानों से.
कई तरह के है औषधीय पौधें (There are many types of medicinal plants)
मुक्तिधाम में अपामार्ग, हरश्रृंगार, पारस, पिंपल, गोखरू, अश्वगंधा,पुर्नगवा, गिलोय,नीम, ग्वारपाठा, चमेली, तुलसी गुडल, नागचंपा नीम, खारा समेत कई तरह के औषधीय पौधे लगाए है. जो कि सालों बाद काफी बड़े पेड़ बनने लगे है. उन्होंने बताया कि अनेकों आयुर्वेद चिकित्सक यहां पर पहुंचते है और उपयोगी औषधीय पौधे निशुल्क ले जाते है.
औषधीय कार्य पर हुई प्रशंसा (Appreciation for medicinal work)
धनाराम ने शमशान भूमि में कुल 60 औषधीय पौधों को लगाया है जिससे लोगों को आयुर्वेद का फायदा मिल सकें. वही इलाके के सरकारी और निजी आयुर्वेदिक चिकित्सक इन सभी औषधीय पौधों को देखने पहुंचने लगे है.
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यहां तक कि कुछ चिकित्सक पौधे लेकर भी गए है. उनके इस कार्य की काफी लोग प्रशंसा करने लगे है. धनाराम जी का यह प्रयास काफी अनुकरणीय है. इससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए. जबकि आयुर्वेदिक चिकित्सक कहते है कि इसके सहारे पौधे निश्चित रूप से आयुर्वेदिक औषधियां बनती है. इससे काफी लोग प्रभावित हुए है.