Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 1 July, 2019 1:38 PM IST
Sarpagandha Cultivation

यदि किसान पारंपरिक फसलों की खेती के साथ औषधीय पौधों की खेती ठीक से करे तो वह काफी बढ़िया मुनाफा कमा सकता है. बिहार के पूर्णिया जिले के जलालगढ़ प्रखंड के किसान जितेंद्र कुशवाहा आज खुशहाली की जिंदगी जी रहे हैं. वह पिछले दस वर्षों से अनाज की खेती के साथ-साथ सर्पगंधा की दो से तीन एकड़ में खेती करने का काम कर रहे हैं.

सर्पगंधा है बेहद असरकारक औषधि (Sarpagandha is very effective medicine)

किसान जितेंद्र बताते हैं कि सर्पगंधा की फसल 18 माह में तैयार हो जाती है. वह महज 75 हजार रूपये खर्च करके डेढ़ साल में 3-4 लाख रूपये कमा रहे है. सर्पगंधा के फल, तना, जड़ सभी चीजों का उपयोग होता है. इसीलिए इनसे मुनाफा ज्यादा होता है. जितेंद्र कहते हैं कि इसकी खेती वह केवीके, जलालगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर कर रहे हैं जिससे उनको ज्यादा फायदा मिल रहा है. एक एकड़ में करीब 25 से 30 क्विंटल सर्पगंधा का उत्पादन होता है और इससे प्रति किलो 70 से 80 रूपये में इसकी बिक्री होती है. सर्पगंधा की कई तरह की प्रजातियां होती है इसमें राववोल्फिया सरपेंटिना प्रमुख है. राववोल्फिया टेट्राफाइलस दूसरी प्रजाति होती है जिसको औषधीय पौधे के रूप में उगाया जाता है. सर्पगंधा की जड़ को औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता है. इसके अलावा जड़ में रेसरपीन, सरपेजीन, रौलवेनीन, आदि अलकलाइड भी होते है.

ऐसे तैयार करें पौध (Prepare plants like this)

इसके बीज नर्सरी में तैयार किया जाता है. इसके लिए ऊंची नर्सरी भी बनाते है. इसके बीज की बुआई का आरंभ मई और जून में होता है. बाद में रोपाई अगस्त के महीने में की जाती है. इसके एक हेक्टेयर के लिए कुल 8 से 10 किलो बीज की आवश्यकता होती है. बुआई के पहले बीज को पानी में 24 घंटे फुला लेने पर बीज अंकुरित होता है.  नर्सरी में 20 से 25 सेंटीमीटर के फासले पर 2 सेंटीमीटर गहरे कुंड में दो से पांच सेंटीमीटर की दूरी पर गिरते है. दो महीने के बाद तैयार किए गए बिचड़े की रोपाई की जाती है.

ऐसे तैयार करें कलम

सर्पगंधा की जड़ में कलम के लिए पेंसिल होती है मतलब इसकी मोटाई 2.5 से 5 सेटीमीटर होती है. इसके छोटे टुकड़े कर दिए जाते है. इसे पांच सेंटीमीटर की गहराई पर पौधशाला में लगाते हैं. तीन सप्ताह के बाद कल्ले आ जाने पर खेत में रोपाई कर देते है. तने से पौधे को तैयार करने के लिए 15 से 20 सेंटीमीटर पेंसिल बनाते है. 4 से 6 सप्ताह में रूटेड कटिंग को तैयार करके खेत में रोपाई करते है.

10 से 38 डिग्री पर होती है खेती (Cultivation is done at 10 to 38 degree)

सर्पगंधा की खेती उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु में की जा सकती है, 10 डिग्री सेंटीग्रेड से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तक इसकी खेती के लिए तापमान बेहतर होता है. इसकी खेती का सही समय जून से अगस्त तक होता है. 1200 से 1800 मीटर तक वर्षा वाले क्षेत्र में इसकी खेती को सुचारू और सही तरीके से किया जाता है. सर्पगंधा की खेती को बीज के द्वारा, तना कलम और जड़ के सहारे आसानी से किया जा सकता है.

English Summary: Farmers are earning millions of profits by cultivating Sarpagandha
Published on: 01 July 2019, 01:43 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now