झारखंड में इंजीनियर से किसान बने दीपक मेहता हरिहरगंज स्थित कौवाखोह में 35 एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे है. उन्होंने धनबाद से इलेक्ट्रनिक इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद वह काम की तलाश में ससुर गोपाल मेहता के पास हरियाणा गए और यही से शुरू हुई किसान बनेन की पूरी कहानी. यही पर जाकर उन्होंने पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती देखी है. बाद में उनको खेती से मुनाफा कमाने की ऐसी सीख मिली कि 2017 में नौकरी का मोह त्याग कर वापस आ गए. बाद में उन्होंने कुल 12 एकड़ जमीन ली और उस पर स्ट्रॉबरी की खेती करने का कार्य करने लग गए थे. पहले साल के तीन महीने के अंदर तीन से चार लाख रूपये की आमदनी हुई थी. दीपक बताते है कि सबसे बड़ी चुनौती यह है कि स्ट्राबेरी की मार्केटिंग और किसानों को अपने तरीके बदले के लिए तैयार करना. उन्होंने इसके लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली.
हुनर के साथ सरकार का साथ
दीपक ने स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ी हर बरीकी को काफी बेहतरीन तरीके से समझा. यही नहीं राज्य सरकार ने उनके इस काम में काफी साथ दिया. उनको सरकार की तरफ से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ मिला. इसके अलावा दो बार सरकार से ग्रीन हाउस के लिए 1.55 लाख की और शेड -नेट के लिए 1.77 लाख की मदद मिली.
नेतरहाट में उगा रहे स्ट्रॉबेरी के पौधे (Strawberry plants growing in Netarhat)
दीपक ने सबसे पहले अपने फार्म में एक एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी के कुल 20 हजार पौधों को उगाने का कार्य किया है. उन्होंने जब स्ट्रॉबेरी खेती को शुरू किया तब 14 रूपये में एक पौधा खरीदा था, अब ये पौधे नेतरहाट की नर्सरी में उगाए जा रहे है.
सितंबर महीने में लगाए गए ये पौधे नवंबर के पहले हफ्ते से फल देना शुरू कर देंगे. गर्मियों की शुरूआत के साथ ही मार्च के अंत और अप्रैल की शुरूआत तक देते रहेंगे. दीपक बताते है कि सिर्फ तीन महीनों में स्ट्रॉबेरी से प्रति एकड़ दो लाख रूपये लगा कर चार लाख रूपये की कमाई की.
झारखंड की जलवायु उचित (The climate of Jharkhand is fair)
दीपक को यह नहीं पता था कि उनकी जमीन स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है या नहीं. इसीलिए उन्होंने मृदा परीक्षण विभाग की मदद ली है. उन्होंने स्ट्रॉबेरी को उगाने के लिए न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस और अधिक तापमान 30 से 32 डिग्री तापमान होना चाहिए.
बता दें कि स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए मिट्टी का पीएच स्तर सात और पानी का स्तर 0.7 तक होना चाहिए. इस लिहाज से झारखंड की नमी वाले इलाके वाले और दोमट मिट्टी काफी उपयुक्त है.