अगर इंसान में लगन हो, तो वह ऐसा काम भी कर सकता है, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है. ऐसा ही काम सफल किसान जयशंकर कुमार ने कर दिखाया है. वह पहले सामान्य नौकरी करते थे, फिर एक दिन उन्होंने मोती की खेती करने का विचार बनाया. इसकी खेती करने के लिए पहले पूरी जानकारी जुटाई, साथ ही जयपुर और भुवनेश्वर में ट्रेनिंग ली. इसके बाद अपने गांव में ही मोती की खेती करना शुरू कर दिया. मौजूदा समय में वह मोती की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने की सराहना
बाते रविवार पीएम मोदी ने लाइव टेलीकास्ट के जरिए मन की बात कार्यक्रम में बेगूसराय जिले के डंडारी प्रखंड के तेतरी गांव में रहने वाले सफल किसान जयशंकर कुमार के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि किसान ने वंशीधर उच्च विद्यालय तेतरी में क्लर्क की नौकरी छोड़ दी और कम लागत से उन्नत खेती करने का रास्ता अपनाया। इससे वह देश के अन्य किसानों के लिए नजीर बन गए हैं.
सफल किसान की अभिरुचि
सफल किसान जयशंकर कुमार ने पशुपालन में बकरी, बत्तक, खरगोश, मत्स्य पालन में अभिरुचि दिखाई है, साथ ही औषधीय पौधों की खेती में भी अभिरुचि दिखाई है. इसके अलावा मीठे जल वाले ताल-तलैया में मोती तैयार करने का काम करते हैं. इसमें लागत भी बहुत कम लगती है.
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ऐसे होता है मोती तैयार
किसान का कहना है कि मोती को जिस आकार में तैयार करना है. उसी आकार में जिंदा सीप के शरीर को ऑपरेट करना पड़ता है. इस दैरान उस आकृति का कैल्सियम कार्बोनेट का टुकड़ा जिंदा सीप के शरीर में डाल दिया जाता है. इस वजह से सीप के शरीर को कष्ट होता है, जिससे सीप शरीर के अंदर से कैल्सियम केमिकल का श्राव करता है. इसके बाद यह श्राव उक्त टुकड़े पर जमने लगता है. यह टुकड़ा जिंदा सीप के शरीर और तालाब में लगभग 6 महीने तक पड़ा रहता है. इसके बाद मनचाही आकृति का मोती तैयार हो जाता है.
500 रुपए की लागत से 5 हजार की कमाई
सफल किसान की मानें, तो एक सीप से मोती तैयार करने में लगभग 400 से 500 रुपए की लागत आती है. बाजार इसका मूल्य 4 से 5 हजार रुपए तक मिल जाता है. इतना ही नहीं, किसान ने वर्मी कम्पोस्ट के जरिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया है, जो कि किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. बता दें कि किसान को इन सराहनीय कार्यों के लिए जिला स्तर और राज्य स्तर पर पुरस्कृत भी किया गया है.
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