GFBN Story: गन्ने और केले की स्मार्ट खेती से हिमांशु नाथ ने रचा सफलता का इतिहास, सालाना टर्नओवर 1 करोड़ से ज्यादा! GFBN Story: लाख की खेती से मिलन सिंह विश्वकर्मा को मिली बड़ी पहचान, सालाना कमा रहे हैं भारी मुनाफा! GFBN Story: रिटायरमेंट के बाद इंजीनियर शाह नवाज खान ने शुरू की नींबू की खेती, अब कमा रहे हैं शानदार मुनाफा! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 8 June, 2019 1:42 PM IST
Medicinal Crops

मो0 जावेद बिहार के मुजफ्फरपुर में आयुर्वेद में विश्वास और औषधीय पौधों के प्रति लगाव से पर्यावरण संरक्षण की राह को दिखाने का काम कर रहे है. दरअसल शहर से सटे राजोपट्टी निवासी मो जावेद औषधीय पौधों की बागवानी के जरिए पर्यावरण संरक्षण की अलख जागा रहे है. उन्होंने कई तरह के फलों के अलावा औषधीय फसलों को भी लगाने का कार्य किया है.

दरअसल वह रघुनाथपुरी में वह एक आयुर्वैदिक डॉक्टर है. उनके पिता नरूल हसन भी औषधीय खेती करने का कार्य करते थे. दरअसल जावेद ने उनके सानिध्य में ही बागवानी का कार्य शुरू किया है. उनका सबसे बड़ा मकसद लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है.

ये पौधे हैं आकर्षण के केंद्र (These plants are the center of attraction)

मों जावेद की बागवानी में सफेद तुलसी, स्याह तुलसी, रूद्राक्ष, प्रह्लाद, बड़ी और छोटी इलायची, दाल चीनी, दालचीनी, तेजपत्ता, आलू बुखारा, व्हाइट जामुन, चेरी, सेब, नाशपाती, मैंगो स्टार, पपीता, आम, केला, अमरूद, हरफरौली, खीरा,मौसमी, ऑल स्पाइस, जायफल, अंजीर, हींग, कागजीबेल, जैतुन, बेदाना, कौराना, साइकस, भंगरिया जैसे औषधीय पौधे है. उन्होंने सेब की एक नस्ल अरब से मंगवाई है, वे अन्य प्रदेशों से पौधे लाकर बागवानी में लगाते है.

बॉटनिकल गार्डन जैसी तस्वीर (Photo of botanical garden)

उनके आवासीय परिसर में फैली बागवानी बॉटिनिकल गार्डन जैसी लगती है. यहां पर न केवल भारतीय बल्कि विदेशी औषधीय पौधे आसानी से मिल जाते है. इन पौधों में किसका क्या महत्व है यह बात उनको काफी अच्छे से पता है. उनहें फार्मा में अच्छा अनुभव भी है जिसके आधार पर उनको नौकरी मिली है. सामाजिक कार्यकर्ता कमर अख्तर बताते हैं कि उनका आवास एक बागवान है, जिसमें देश-विदेश के औषधीय पौधे पर्यावरण की रक्षा का संदेश दे रहे।

शुगर फ्री केला देखने आते लोग (People coming to see sugar free banana)

जावेद के बाग में तो वैसे सौ से ज्यादा औषधीय पेड़-पौधे होते है. लेकिन केले की अलग-अलग प्रजातियां मुख्य आकर्षण का केंद्र है. यहां का केला शुगर फ्री है. छोटे आकार वाले इस केले की कलम हैदराबाद से मंगवाई है.

यह खबर भी पढ़ें: Medicinal Plants: क्या आपको पता है औषधीय पौधों के ये फायदे...

केले की एक और प्रजाति है जिसमें ऊपर की ओर फल लगता है. इसी बाग में फूल का झांडू का पेड़ लगा है. यहां पर खीरे का पेड़ भी लगा हुआ है. इसी के साथ कपूर और सिंदूर का पेड़ भी देखने को यहां मिल जाएगा.

English Summary: Environmental protection with the help of medicinal plants
Published on: 08 June 2019, 01:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now