अभावों में जीना कोई अभिशाप नहीं है. लेकिन अभावों में रहकर जिंदगी से कोई सबक नहीं लेना अभिशाप से कम नहीं है. पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के चोपड़ा ब्लॉक के दांधुगाछ गाँव की अनिमा मजूमदार ने अभावों में जीवन गुजारते हुए जिंदगी से सबक ली और मशरूम की खेती में नई उपलब्धि हासिल की.
आज वह खुद आत्मनिर्भर ही नहीं है बल्कि वह अन्य ग्रामीण महिलाओं को सफलता का स्वप्न दिखाने और उस पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं. हम यहां बात कर रहे हैं पिछड़े कृषि प्रधान जिले उत्तर दिनाजपुर की करीब 26 वर्षीय अनिमा मजूमदार की जिसने मशरूम की खेती में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. चोपड़ा के आस-पास के क्षेत्रों में उसे मशरूप लेडी के रूप में जाना जाता है.
अनिमा मजुमदार को मशरूम की खेती के क्षेत्र में उनके योगदान और सफलता के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ फार्म वुमन अवार्ड यानी “महिंद्रा समृद्धि पुरस्कार - 2019” से सम्मानित किया गया है. हालांकि सफलता के इस शिखर पर पहुंचना उतना आसान नहीं था. इसके लिए अनिमा को काफी संघर्ष और मेहनत भी करनी पड़ी. दुख और कष्ट भी उठाने पड़े.
लेकिन आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने का जुनून उसके अंदर हमेशा उफान मारता रहा. इसलिए वह कभी हताश नहीं हुई. अनिमा मजुमदार और उनके पति एकड़ जमीन वाले सीमांत किसान हैं. जमीन ही आय का एकमात्र जरिया थी. इसलिए शुरूआत में उन्हें अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. खेती से ही अपनी रोज़ी रोटी कमाना और अपने बच्चों की शिक्षा व परिवार का अन्य का खर्च उठाना बहुत मुश्किल था. घर का खर्च उठाने के लिए अनिमा के पति पहले मुर्गी पालन करते थे. अनिमा बताती हैं कि मुर्गी पालन से दुर्गंध आने पर आस-पास के लोगों ने विरोध जताया. इसलिए उनके पति को मुर्गी पालन का व्यवसाय बंद कर देना पड़ा.
एक दिन अनिमा उत्तर दिनाजपुर के कृषि विज्ञान केंद्र गईं. वहां उसकी मुलाकात उत्तर बंग कृषि विश्व विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान की विशेषज्ञ की डॉ. अंजलि शर्मा से हुई. डॉ. शर्मा के सुझाव पर अनिमा ने मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेना शुरू किया.
कुछ दिनों के प्रशिक्षण के उपरांत ही वह मशरूम की खेती के वैज्ञानिक गुर सिख लिए. उसके बाद उसे कृषि विज्ञान केंद्र के बायो-इनपुट प्रयोगशाला में भी मशरूम स्पॉन उत्पादन पर उन्नत प्रशिक्षण लेने के लिए भेजा गया. उसने मशरूम के मूल्य संवर्धन पर प्रशिक्षण भी सफलता पूर्वक पूरा किया. प्रशिक्षण के दौरान अनिमा ने मशरूम से विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ तैयार करने की विधिवत जानकारी हासिल की. उसने मशरूम से अचार तैयार करन से लेकर दलेर बोरी (पल्स चंक) और मशरूम का पापड़ आदि तैयार करने तक में महारत हासिल किया.
इसके बाद अनिमा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने उत्तर दिनाजपुर कृषि विज्ञान केंद्र की तकनीकी मदद से अपने घर पर मशरूम से विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ तैयार करने की इकाई लगाई. अपने पति के सहयोग से अनिमा ने कुछ दिनों में ही मशरूम के अचार, मशरूम दलेर बोरी और मशरूम के पापड़ का उत्पादन करने में झंडे गाड़ दिए.
उसकी ईकाई से मशरूम के तैयार खाद्य पदार्थ आसपास के बाजारों समेत सिल्लीगुड़ी के बाजार में भी बिकने लगे. मशरूम की खेती करने के एक वर्ष के बाद अनिमा आत्म निर्भर ही नहीं हुई, वह अच्छी खासी आय भी अर्जित करने लगी. इस व्यवसाय में आज अनिमा को खेती और उत्पादन पर आने वाले खर्चों को छोड़कर 15,000 से 30,000 रुपए प्रति महीना तक की आमदनी हो रही है.
भारत की प्रसिद्ध कंपनी महिंद्रा ने कृषि विकास के लिए काम करने वाले विश्वविद्यालयों और अन्य संगठनों के सहयोग से कृषि क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले सर्वश्रेष्ठ किसानों/ महिलाओं को पुरस्कृत करने के लिए जब नामांकन की घोषणा की तो उत्तर दिनाजपुर कृषि विज्ञान केंद्र ने अनिमा का नाम इसके लिए प्रस्तावित किया. उत्तर दिनाजपुर कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से अनिमा ने इसके लिए नामांकन पत्र भर दिया. 18 मार्च, 2019 को महिंद्रा समृद्धि पुरस्कार- 2019 समारोह नई दिल्ली के अशोका इंटरनेशनल होटल में आयोजित किया गया.
खचाखच भरे विशिष्ट व्यक्तियों और कृषि विशेषज्ञों की मौजूदगी में अनिमा को मशरूम की खेती, स्पॉन उत्पादन और मूल्य वर्धित मशरूम उत्पादन में योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ युवा महिला किसान अवार्ड प्राप्त हुआ. महिंद्रा समृद्धि पुरस्कार - 2019 के तहत अनिमा को 2.11 लाख की पुरस्कार राशि, प्रशस्ति पत्र और एक विजेता ट्रॉफी स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए. अनिमा को अपने घर से दिल्ली तक के आने जाने के लिए टिकट की व्यवस्था भी महिंद्रा कंपनी ने ही की थी.
पुरस्कार के लिए नामित व्यक्तियों को चयन करने वाली जूरी के सदस्यों में शीर्ष कृषि वैज्ञानिक शामिल थे. कई स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद अनिमा को मशरूम की खेती और उसके मूल्य वर्धित उत्पाद तैयार करने में योगदान के लिए महिंद्रा समृद्धि पुरस्कार के लिए चुना गया. अनिमा आज खुद मशरूम की खेती कर तरह-तरह के खाद्य उत्पाद बना रही हैं व अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए भी प्रेरेणा की स्रोत बनी हुई है. उत्तर बंगाल में आज अनिमा मशरूम लेडी के रूप में चर्चित है. उत्तर बंगाल कृषि विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट के होमपेज पर आज अनिमा की सफलता की कहानी कृषि के अध्येताओं के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है.