आज हम एक ऐसी सफल किसान की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने शैवाल की मदद से एक ख़ास तरह का बायोफ्यूल तैयार किया है. जो पारंपरिक ईंधन के मुकाबले सस्ता और इकोफ्रेंडली है. यह बाज़ार में मिलने वाला पेट्रोल और डीजल से काफी ख़ास माना जा रहा है. आइये जानते हैं इस सफल किसान की सफलता के बारे में.
दरअसल, रांची के विशाल गुप्ता ने बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद एक तेल और गैस की कंपनी में काम किया. इसके बाद साल 2018 में उन्होंने थर्ड जेनरेशन फ्यूल को लेकर एक नई रिसर्च की शुरुआत की. जहाँ उन्होंने रांची के बिरला कृषि विश्वविधालय के प्रोफेसर डा .कुमार भूपति से मुलाकात हुई. इस दौरान उन्होंने उनके साथ मिलकर शैवालों से जुड़े कई तरह की शोध की. उन्होंने डॉ भूपति के साथ मिलकर शैवालों से बायोफ्यूल की शोध कर एक ख़ास तरह का ईंधन तैयार किया है.
कृषि वैज्ञानिक विशाल गुप्ता एक ऑयल इंडस्ट्री से ताल्लुक रखते है, इसलिए उनके लिए बायोफ्यूल की शोध काफी दिलचस्प मानी जा रही है. जब उन्होंने शैवाल से बायोफ्यूल तैयार किया, तो मंत्रालय से उन्होंने अपना पेट्रोल पंप खोलने के मंजूरी मांगी, जिसमें उन्हें करीब दो साल का वक़्त लगा.
बता दें कि विशाल गुप्ता वर्तमान समय में 2000 से 25000 किलो लिटर के हिसाब से तेल की बिक्री कर रहे हैं. इसके अलावा विशाल गुप्ता रांची नगर निगम के साथ एक करार (एमओयू) करने के लिए अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं, जहाँ वो बढ़ते बायोफ्यूल की मांग को देखकर बायोफ्यूल के उत्पादन की बड़े पैमाने पर योजना बना रहे हैं.
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इसकी अगर कीमत की बात करें, तो यह पेट्रोल और डीजल की तुलना में 27 रुपए सस्ता है. इसकी कीमत 78 रूपए है.
बायोफ्यूल की खासियत (Specialty Of Biofuel)
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बायोफ्यूल पर्यावरण के लिए बहुत अच्छा माना जा रहा है.
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पेट्रोल और डीजल की तुलना में काफी सस्ता है.
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इसे निकलने वाला कार्बन सेहत पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डालता है.
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इसका इस्तेमाल पेट्रोल और डीजल इंजन वाली गाड़ियों में भी किया जा सकता है
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यह ख़ास ईंधन केवल एक ही राज्य में मिल रहा है.