Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 1 December, 2020 5:58 PM IST

अगर आप में कुछ करने का जज्बा होता है, तो इस दुनिया में कोई भी काम करना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है. कुछ ऐसा ही हरियाणा के वीरेंद्र यादव ने कर दिखाया है. उन्होंने एक ऐसी मिसाल कायम की है, जिससे आज वह बहुत अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं. दरअसल, अक्सर लोग खूब पैसा कमाने के लिए दूसरे शहर या विदेशों का रूख कर लेते हैं. मगर हरियाणा के कैथल जिले के फराज माजरा गांव में रहने वाले वीरेंद्र यादव (Virendra Yadav) विदेश से वापस आकर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. आइए आपको वीरेंद्र यादव की सफलता की कहानी बताते हैं.

लोगों को दिखाई नई राह

32 वर्षीय वीरेंद्र यादव को आस्ट्रेलिया की नागरिकता भी मिल चुकी थी, लेकिन उन्हें विदेश रास नहीं आया और वह अपने गांव वापस लौट आए. यहां आकर वीरेंद्र ने खेती करना शुरू कर दिया. इस दौरान फसल अवशेष को निपटाने की समस्या खड़ी हो गई. वीरेंद्र का कहना है कि प्रदूषण की वजह से उनकी दोनों बेटियों को एलर्जी हो गई थी. तभी उन्होंने इस विषय में गंभीरता से सोचा और इस समस्या का समाधान निकालने का मन बना लिया. जब उन्हें पता चला कि पराली को बेचा जा सकता हैं, तो उन्होंने कई एनर्जी प्लांट और पेपर मिल से संपर्क करना शुरू कर दिया. वहां पराली बेचने पर समूचित मूल्य देने का आश्वासन दिया गया. फिर उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से काम करने शुरू कर दिया. आज वीरेंद्र अपने और दूसरे किसानों के खेतों की पराली खरीदकर बेचने का काम कर रहे हैं.

50 प्रतिशत पर खरीदा स्ट्रा बेलर

वीरेंद्र यादव ने पराली के आयताकार गट्ठे बनाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से 50 प्रतिशत अनुदान पर स्ट्रा बेलर खरीद रखा है. इससे उन्हें काफी मदद मिलती है. के काम आता है.

1 सीजन में कमाए 50 लाख

धान के सीजन में वीरेंद्र यादव ने 3 हजार एकड़ से 70 हजार क्विंटल पराली के गट्ठे बनाए हैं. उन्होंने 135 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से 50 हजार क्विंटल पराली एग्रो एनर्जी प्लांट में बेची है. इसके अलावा 10 हजार क्विंटल पराली पिहोवा के सैंसन पेपर मिल को भेजी है. मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो इस सीजन में उन्होंने लगभग 94 लाख 50 हजार रुपए तक की कमाई कर ली है. वह इस कारोबार से खूब मुनाफ़ा कमा रहे हैं. अगर कुल खर्च की राशि को अलग कर लिया जाए, तो अब तक उन्हें 50 लाख रुपए का मुनाफ़ा हो चुका है. इसी तरह उनकी कमाई का सिलसिला चलता रहेगा, क्योंकि जनवरी और फरवरी में भी पराली बेचेंगे. फिलहाल, वीरेंद्र के पास 4 स्ट्रा बेलर समेत लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की मशीनरी है. इससे वह पराली प्रबंधन का काम करते हैं.

वीरेन्द्र यादव का कहना है कि एक सीजन में ही सारा निवेश वापस मिल गया था. इस तरीके से पराली जलाने वाले किसानों सबक लेना चाहिए. वीरेंद्र सभी किसानों के लिए प्रेरणा हैं, जिन्होंने पराली की समस्या को कमाई में तब्दील कर दिया है.

English Summary: Started Parali's business and earned millions of rupees in 1 year
Published on: 01 December 2020, 06:02 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now