तुलसी का पौधा हर घर में पूजा जाता है. इसका उपयोग जड़ी बूटियों के रूप में होता है, इसलिए इसे "जड़ी बूटियों की रानी" के रूप में जाना जाता है. यह वनस्पति रूप से लैमियासी (Lamiaceae) के परिवार से संबंधित है.
भारत में सदियों से तुलसी के पौधे की खेती कई उपयोगों के लिए होती आ रही है. तुलसी में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिसके चलते इसका उपयोग काफी किया जाता है. यदि आप भी कोई व्यवसाय (Business) शुरू करना चाहते हैं, तो आप तुलसी की खेती कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें कम लागत के साथ अच्छा रिटर्न मिलता है.
औषधीय पौधों की खेती (Cultivation Of Medicinal Plants ) किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. भारत में कई राज्यों के किसानों ने औषधीय पौधे की खेती करने और अच्छी आय अर्जित करने का विकल्प चुना है. तुलसी जैसे औषधीय पौधे उगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देता है. बता दें तुलसी की खेती (Basil Cultivation) करने के लिए महज 15000 रूपए निवेश कर आप तुलसी की खेती का कार्य शुरू कर सकते हैं.
तुलसी की खेती से कर सकते हैं अच्छी कमाई (You Can Earn Good Money By Cultivating Basil)
तुलसी की फसल से दो तरह के उत्पाद मिलते हैं, पहला बीज और दूसरा पत्ते. तुलसी के बीजों की बात करें, तो इसे सीधे बाजार में बेचा जा सकता है, जबकि पत्तों से तेल प्राप्त किया जा सकता है. मंडियों में बीज का भाव करीब 150 से 200 रुपये प्रति किलो है. इसके तेल का भाव 700 से 800 रुपये प्रति किलो है. अगर आप इसके आधार पर आंकड़े जुटाते हैं, तो 2.25 से 3 लाख रूपए तक आसानी से कमाया जा सकता है. इसके अलावा एक एकड़ तुलसी की फसल पैदा करने में 5000 रुपये का खर्च आता है. वहीँ, अगर बचत की बात करें, तो एक एकड़ तुलसी की फसल से 36,000 रुपये की बचत एक फसल में हो जाती है. जबकि साल में तुलसी की तीन फसल पैदा की जा सकती है.
तुलसी की खेती के लिए जरुरी बातें (Important Things For Tulsi Cultivation)
मिटटी (Soil)
तुलसी की खेती के लिए अच्छे कार्बनिक पदार्थों के साथ अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए. वहीं, इसकी अच्छी उपज के लिए मिटटी का pH मान 5.5 से 7 के बीच का मान उपयुक्त माना जाता है.
भूमि की तैयारी (Land Preparation)
तुलसी की खेती के लिए खेत की मिटटी को अच्छे से भुरभुरा कर लिया जाता है. उसके बाद बीजों को बारीक वाली क्यारियों में बोया जाता है.
बीजों की बुवाई (Sowing Seeds)
तुलसी की खेती में बीजों की बुवाई 4.5 x 1.0 x 0.2 मीटर आकार की क्यारी तैयार की जाती है. उसके बाद बीज को 60 सेंटीमीटर x 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जाता है.
नर्सरी प्रबंधन और प्रत्यारोपण (Nursery Management and Transplantation)
अच्छी उपज के लिए बुवाई से पहले मिट्टी में 15 टन गोबर की खाद डालें. तुलसी के बीजों को सुविधाजनक स्थान पर तैयार क्यारियों पर बोयें. बीज मानसून से 8 सप्ताह पहले क्यारियों में बोया जाता है. बीजों को 2 सेमी की गहराई पर बोया जाता है. बिजाई के बाद गोबर की खाद और मिट्टी की पतली परत बीजों पर फैला दी जाती है. इसके बाद इसमें सिंचाई की जाती है.
रोपाई से 15-20 दिन पहले, 2% यूरिया घोल लगाने से रोपाई के लिए स्वस्थ पौध देने में मदद मिलती है. रोपाई अप्रैल के मध्य में की जाती है.
सरकार भी दे रही है बढ़ावा (Government Is Also Promoting)
बता दें कि औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है, ताकि औषधीय पौधों की खेती के साथ – साथ किसानों की आमदनी में इजाफा किया जाये.