भारत गावों का देश है. गाँधी जी ने कहा था की गांव का सुधार होगा तो देश सुधरेगा. अब सचमुच गांव उत्कृष्ट हो रहा है. गांव एक आदर्श गांव बन गये है. ग्रामीण युवकों को अब शहरों की ओर भागने या पलायन करने की जरूरत नही. गांवों में ही उद्योग लगाने के लिए लोन की सुविधा है तो तकनीक भी मिल रही है. प्रधानमंत्री योजना गांवों में ही उद्योग धंधे (Rural Business )के साथ प्रगति के रास्ते पर चल पड़ी है
खादी ग्रामोद्योग विकास योजना (Khadi Gramodyog Vikas Yojana)
रोजगार मुक्त गाँव योजना को खासतौर पर सभी निम्न वर्ग के नागरिकों के लिए शुरू किया गया है.इस योजना से हजारों नए कारीगरों को रोजगार के अवसर दिए जायेंगे. इस योजना में प्रत्येक गांव से लगभग 250 कारीगरों को प्रत्यक्ष रोजगार दिये जायेंगे तथा कारीगरों को चरखे, करघे आदि दिए जायेंगे. खादी ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा 2019-20 में मौजूद सब्सिडी के नेतृत्व वाले मॉडल को सम्पूर्ण रूप से बदल दिया जाएगा. इसके साथ ही खादी ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत एक नए आयाम “रोजगार युक्त गांव” को जोड़ा गया है. जिस के चलते खादी क्षेत्र में उपक्रम आधारित परिचालन शुरू भी किया जाएगा. Khadi Gramodyog Vikas Yojana 2019 को इसलिए शुरू किया गया ताकि इस योजना से देश के सभी नए बुनकरों को चालू और अगले वित्त वर्ष में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा सके.
खादी ग्रामोद्योग विकास योजना चालू वित्त वर्ष 2018-19 में और अगले वित्त वर्ष 2019-20 में हजारों नए कारीगरों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर दिए जाएंगे.
इसके अलावा, खादी ग्रामोद्योग योजना का मुख्य लक्ष्य ‘सब्सिडी के नेतृत्व वाले मॉडल’ के स्थान पर ‘एंटरप्राइज एलईडी बिजनेस मॉडल’ पेश करना है.
क्या सुविधा मिलेंगी (What facility will be available)
Khadi Gramodyog Vikas Yojana 2019 के तहत प्रति गांव 250 कारीगरों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्रदान किये जायेंगे. खादी कारीगरों को 10,000 चरखे, 2,000 करघे और 100 युद्धक इकाइयां प्रदान करके 50 गाँवों में खादी ग्रामोद्योग योजना शुरू की जाएगी. मौजूदा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस जैसे CGCRI, CFTRI, IIFPT, CBRTI, KNHPI, IPRITI आदि के माध्यम से उन्नत कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन करेगा. जिससे कारीगरों को अधिक से अधिक लाभ मिलेगा. इसके अलावा, सभी खादी संस्थानों को 30% अनुदान मिलेगा और ये संस्थान दक्षता, संसाधनों के इष्टतम उपयोग, अपशिष्ट की कमी और प्रभावी प्रबंधकीय प्रथाओं के लिए अतिरिक्त 30% प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगे.
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना पूर्णतया भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक महत्वपूर्ण स्वरोजगार की योजना है, जिसका संचालन प्रदेश में तीन एजेन्सियों क्रमशः जिला उद्योग केन्द्र, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, एवं उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा किया जाता है। भारत सरकार द्वारा उक्त योजना के क्रियान्वयन हेतु राष्ट्रीय स्तर पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग, (के0वी0आई0सी0) को नोडल एजेन्सी के रूप में नामित किया गया है। भारत सरकार द्वारा उक्त योजना के क्रियान्वयन में उपरोक्त तीनों एजेन्सियों के मध्य में 40: 30: 30: प्रतिशत का अनुपात निश्चित किया गया है। तद्नुसार ही तीनों एजेन्सियों को बजट एवं लक्ष्य का आवंटन प्राप्त होता है योजना का विवरण निम्नवत है.
योजना का पूरा विवरण (Full details of this scheme)
कार्यक्षेत्र
उद्यम की स्थापना ग्रामीण क्षेत्र में ही अनुमन्य है.
परियोजना का अधिकतम आकार
रू०-25.00 लाख तक.
पात्र उद्यमी
18 वर्ष से ऊपर आयु का पुरूष/महिला उद्यमी.
आवेदन कैसे करें (How to Apply)
पीएमईजीपी योजनान्तर्गत ऑनलाइन आवेदन ही अनुमन्य है तथा कोई भी आवेदक www.kviconline.gov.in की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकता है तथा इस वेबसाइट पर योजना के सम्बन्ध में सम्पूर्ण दिशा-निर्देश एवं विस्तृत जानकारी उपलब्ध है.
अपेक्षित दस्तावेज
परियोजना शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र, तकनीकी योग्यता प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र (जहां लागू हो) आदि.
लाभार्थियों का चयन
जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कार्यदल के माध्यम से होता है.
परियोजना की मंजूरी
तकनीकी आर्थिक व्यवहार्यता के अनुसार बैकों द्वारा परियोजना की मंजूरी प्रदान की जाती है.
निजी अंशदान
सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को परियोजना लागत का 10 प्रतिशत एवं आरक्षित श्रेणी के लाभार्थियों हेतु परियोजना लागत का 5 प्रतिशत का अंशदान लगाना होता है.
द्वितीय बार ऋण प्राप्त करने की सुविधा
इस योजनान्तर्गत तीन वर्ष पुरानी सफल इकाईयों को उद्यम के विस्तार हेतु धनराशि रू0 25.00 लाख एवं उत्पादन इकाईयों को रू0 1.00 करोड़ तक का ऋण बैंकों के माध्यम से प्राप्त करने की सुविधा अनुमन्य है. उक्त ऋण धनराशि पर 15 प्रतिशत अनुदान भी उपलब्ध है.
ब्याज उपादान की सुविधा
पीएईजीपी योजनान्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की वित्तपोषित इकाईयों को पं0 दीनदयाल ग्रामोद्योग रोजगार योजना के तहत ब्याज उपादान (अधिकतम 13 प्रतिशत तक) ऋण के प्रथम वितरण की तिथि से तीन वर्षों तक दिये जाने का प्रावधान है.