रासायनिक खेती छोड़कर देश के कई किसान आज जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसे में जैविक केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) की खासी डिमांड बढ़ गई है. अगर आप गांव में रहकर किसी ऐसे बिजेनस की तलाश कर रहे हैं जिसमें लाखों की कमाई के साथ बेहद कम निवेश हो तो केंचुआ खाद का बिजनेस आपके लिए शानदार आईडिया है.
हरियाणा के करनाल के रहने वाले युवा किसान निर्मल सिंह सिद्धू इसी बिजनेस से सालाना 20 लाख रुपये का बिजनेस कर रहे हैं. एक समय वे मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे. तो आइये जानते हैं निर्मल सिंह से वर्मीकम्पोस्ट बिजनेस का पूरा गणित.
बेहद कम निवेश में शुरू करें बिजनेस
निर्मल सिंह का कहना है कि उनकी मल्टीनेशनल कम्पनी में लगभग डेढ़ लाख रूपये महीने की सैलरी थी. लेकिन जॉब छोड़कर इस बिजनेस में आने की सबसे बड़ी वजह फैमिली में कुछ स्वास्थ्य समस्याएं थी. हम लोग आज हर फसल रासायनिक खेती के जरिए ऊगा रहे हैं. मेरी खुद की जमीन पर भी रासायनिक खेती की जाती थी. तब मुझे ऐसा लगा कि कहीं न कहीं हम अपनी जमीन से दूर जा रहे हैं.
इसके लिए मैं ऐसे बिजनेस की तलाश कर रहा था जिससे अच्छी इनकम भी हो सके और फैमिली की हैल्थ का ध्यान भी रखा जा सके. वहीं मल्टीनेशनल कंपनियों में काम का प्रेशर रहता है, लेकिन मैं यहां मेंटली काफी फ्री हूं. साथ ही लोगों को रोजगार भी दे रहा हूँ. उनका कहना हैं कि जॉब किसी चीज का हल नहीं है. हम लोगों को एक अलग रास्ता तलाशना चाहिए. बेहद कम इन्वेस्टमेंट में इस बिजनेस से अच्छी कमाई कर रहा हूं. सबसे अच्छी बात है कि इसके लिए गांव में ही कच्चा मटेरियल (गोबर आदि) आसानी से मिल जाते हैं.
कम प्रतिस्पर्धा है?
वे बताते हैं कि इस काम को शुरू करने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह भी थी कि इसमें प्रतिस्पर्धा बेहद कम थी. साथ ही वर्मीकम्पोस्ट के लिए कोई पक्का सेड बनाना पड़ता है. सामान्य खेत की जमीन पर ही वर्मीकम्पोस्ट तैयार किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि लो इन्वेस्टमेंट में यह बिजनेस शुरू किया था. साथ ही कच्चे बेड का यह फायदा है कि नेचुरल वातावरण में जो खाद तैयार होगी वह ज्यादा फायदेमंद होगी. खुला रखने से हवा एयर कूलर का काम करती है. वहीं कच्चे बेड ऐसे बनाते हैं कि हवा चाहे पूर्व से चले या पश्चिम से वेंटिलेशन सही रहता है.
क्या है वर्मी कम्पोस्ट?
कच्चे गोबर को वोर्म्स खाकर डिकम्पोज कर देते हैं. इससे वर्मीकम्पोस्ट तैयार होती है. कच्ची गोबर खेतों में सीधे डालने से दीमक पैदा हो जाती है. वहीं वर्मीकम्पोस्ट कच्चे गोबर खाद से आठ गुना अधिक ताकतवर होती है. चावल, गेहूं की जैविक खेती के लिए यह उपयुक्त होती है. जहां एक एकड़ में कच्ची गोबर खाद की आठ ट्रॉलियां डाली जाती है. वहीं वर्मीकम्पोस्ट के एक ट्रॉली खाद से अच्छी पैदावार हो जाती है. दरअसल, वोर्म्स कच्ची गोबर को खाकर डिकम्पोज करते हैं जिससे इसमें प्राकृतिक मेन्यूएसिड निकलते हैं जो खाद को ताकतवर बनाते हैं. वर्मीकम्पोस्ट में 14 से ज्यादा प्रकार के पोषक तत्व होते हैं. इस खाद के बाद फसल में दूसरी खाद डालने की जरूरत नहीं पड़ती है.
वर्मीकम्पोस्ट कैसे बनता है?
सबसे पहले ऐसी जगह का चुनाव करें जहां पानी का भराव न हो. वहीं बेड के लिए जमीन को ऐसा शेप देते हैं कि पानी साइड से निकल जाए. अब सबसे पहले प्लास्टिक सीड को जमीन पर बिछाया जाता है. इसके बाद आसपास से एक ईंट की दीवार बना देते हैं जिससे वर्मीकम्पोस्ट बाहर न निकले. इसके बाद कच्ची गोबर का डाल देते हैं. अब इसमें दो तीन दिन पानी लगाते हैं जिससे जो मिथेन गैस पैदा होती है वह निकल जाती है. गोबर को ठंडा होने के बाद इस पर केंचुआ डालते हैं. अब इसे पराली से ढँक कर पानी लगा देते हैं. दरअसल, केंचुए के जीने के लिए पानी ही अहम स्त्रोत है. बता दें कि बेड की लंबाई 30 फीट तथा चौड़ाई 9 फीट रखी जाती है. इसके लिए सिनिया फटेडा प्रजाति का केंचुआ उपयोग किया जाता है.
कितनी इनकम होती है?
एक बेड से लगभग 12 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट तैयार होता है. साल में 5 बार वर्मीकम्पोस्ट तैयार किया जाता है. इस तरह एक बेड से साल में 60 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट तैयार होता है जो कि 600 रूपये क्विंटल की हिसाब से बिकता है. इस तरह एक बेड से सालाना 36 हजार रूपये की कमाई होती है. यदि 10 बेड भी है तो सालाना 3.36 लाख रूपये की आमदानी हो जाती है. ध्यान रहे गर्मी के दिनों में इसमें रोजाना पानी दिया जाता है. वहीं सर्दियों में 30 दिनों बाद पानी लगाना बंद कर देते हैं. 60 से 65 दिन में केंचुआ खाद तैयार हो जाती है.
किन चीजों का रखें ध्यान
1. जरुरत से ज्यादा पानी न दें. जिससे वेंटिलेशन में प्रॉब्लम आ जाती है.
2. ऐसी जगह का चुनाव करें जहां पानी का अधिक भराव न हो.
प्रोसेसिंग मशीन कैसे काम करती है?
सिंह ने बताया कि वर्मीकम्पोस्ट की छनाई मशीन बाजार में नहीं मिलती है. इसके लिए खुद उन्होंने मशीन तैयार की है जो वर्मीकम्पोस्ट की अच्छी तरह से छनाई करती है. यह मशीन केवल 30 से 35 हजार रूपये में तैयार की है. जो तीन क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट की छनाई एक घंटे में कर देती है. इस तैयार खाद की पैकिंग की जाती है जिसे बाजार में बेचा जाता है.